मजदूरी में बीता आदिवासी जोधईया बाई का जीवन, अब अपने हुनर से इंटरनेश्नल स्तर पर पाई पहचान

punjabkesari.in Thursday, Oct 10, 2019 - 11:06 AM (IST)

 जिस उम्र में लोग लाठी सहारा लेकर चलते है उस उम्र में 80 साल की जोधईया बाई बैगा हाथों में ब्रश पकड़ कर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना रही हैं। मध्यप्रदेश के आदिवासी बहुल उमरिया जिले के लोढ़ा गांव की रहने वाली जोधईया द्वारा बनाई गई पेंटिंग्स की इटली के मिलान शहर में प्रदर्शनी लगाई गई है। इस प्रदर्शनी के  माध्यम से जोधईया ने मध्यप्रदेश की ट्राइबल आर्ट को एक नई पहचान दी है। 

 

पति के मौत के बाद शुरु की पेटिंग

जोधईया का रंगों से रिश्ता आज का नही बल्कि पिछले 40 सालों का हैं। पति के निधन के बाद उन्होंने रंगों की मदद से कागज पर विभिन्न तरह की आकृतियां बनानी शुरु की थी। जोधइया ने पेंटिंग्स बनाने के लिए भारत के कई हिस्सों का दौरा किया हैं। उन्हें अपने आस-पास कोई भी चीज दिखती है वह उसकी पेंटिंग बनाने लग जाती है। इस समय वह विभिन्न चीजों पर पेटिंग बना चुकी हैं। 

 

शुरुआत पर बांटे गए कार्ड 

मिलान की आर्ट गैलरी में जोधईया की पेंटिंग प्रदर्शनी पर कार्ड बांटे गए जिस पर भगवान शिव के चित्र बने हुए है। इन पेंटिंग्स को भी जोधईया बाई ने खुद बनाया है। एग्जिबिशन के माध्यम से उनके हुनर को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली हैं। 

मजदूरी में बिता उसका जीवन

जोधईया बाई अपने जीवन में कभी भी स्कूल नही गई हैं लेकिन अपने हुनर को उन्होंने पहचान कर उससे अपने जीवन को एक नई दिशा दी हैं। इतना ही नही पति के निधन के बाद परिवार की आर्थिक हालात भी अच्छी नही थी जिस कारण उनके जीवन का अधिकतर हिस्सा मजदूरी में ही निकल गया। इसी दौरान जोधईया ने पेंटिंग बनानी शुरु की। 


 

Content Writer

khushboo aggarwal