इन 5 खेलों से बच्चे सीखेंगे जिंदगी जीने का हुनर

punjabkesari.in Friday, Jan 25, 2019 - 02:38 PM (IST)

आजकल जमाना डिजीटल होता जा रहा है और  खेलने-कुदने की उम्र में बच्चे स्मार्टफोन चलाते रहना ज्यादा पसंद करते है। बच्चों का बेस्ट फ्रेंड फोन बनता जा रहा है। वह आसपास के लोगों से मिलना-जुलना बहुत कम कर देते हैं। ज्यादातर लोग सोचते है कि बाहर जाने से बेहतर है कि बच्चा घर में ही रहें इसलिए फोन चलाते हुए वह अपना ज्यादा समय बिता देता है लेकिन इससे बच्चे का बचपन कहीं खो सा जाता है। इस वजह से बच्चो के शरीर का विकास भी अच्छे से नहीं हो पाता। इसलिए जरुरी है कि बच्चों को अपने जमाने के खेलों के बारे में बताया जाएं ताकि वह पुराने खेलों को खेलते-खेलते जिंदगी जीने की कला सीख सकें और बेहतर भविष्य बना सकें-

 

रस्सी कूदना

रस्सी कूदने से खेल-खेल में फिटनेस बन जाती है। रस्सी कूदने से मेटॉबालिज्म बढ़ता है। रस्सी कूदते समय दो बच्चे रस्सी पकड़ते है और एक बच्चा कूदता है। इस तरह से बच्चों में विश्वास बढ़ता है। रस्सी कूदने से बच्चा फिट रहता है और दोस्त भी बनाता है।

सितोलिया

बचपन में आपने भी ये खेल जरुर खेला होगा। इस खेल में सात पत्थरों को एक-दूसरे के ऊपर रखते हैं और गेंद मारकर पत्थरों को गिराया जाता है। इस खेल में दो टीमें होती है और बच्चा टीमवर्क का हुनर भी सीखने लगता है। 

पोषम पा

पोषम पा भई पोषम पा डाकिए ने क्या किया? इस गाने को गाते-गाते खेल को खेला जाता है। इसमें आउट होने वाला खेल से बाहर हो जाता था। इस खेल से बच्चा जीवन में हर हालत में सतर्क रहने का हुनर सीखता है।

 

कंचा

कंचे का खेल बहुत ही मजेदार होता है। इस खेल में कंचे से निशाना लगाया जाता है। अगर निशाना चुक जाए तो बच्चा हार जाता है। इस तरह बच्चा काम में फोकस रहना सीखता है और बैलेंस वर्क की आदत को अपनाता है।

लंगड़ी टांग

एक टांग को हवा में रखकर और दूसरी टांग को जमीन पर रखकर इस खेल को खेला जाता है। इसमें बैलेंस बनाना मुश्किल होता है पर धीरे-धीरे आगे बढ़ने से जीत मिल जाती है। इस तरह के खेल से बच्चा मुश्किल हालातों का सामना करने का हुनर सीखता है।
 

 

Content Writer

Vandana