बांग्लादेश की रहस्यमयी जिन्नात मस्जिद: जहां इंसान नहीं अलौकिक शक्तियां करती हैं नमाज!
punjabkesari.in Monday, Sep 29, 2025 - 02:00 PM (IST)

नारी डेस्क : भारत के पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश में एक ऐसी रहस्यमयी मस्जिद है, जिसके बारे में कहा जाता है कि इसका निर्माण किसी इंसान ने नहीं, बल्कि जिन्नातों ने किया है। इस मस्जिद का नाम है मस्जिद-ए-जामे अब्दुल्लाह। आइए जानते हैं इसके रहस्यों के बारे में विस्तार से।
जिन्नात की मदद से बनी मस्जिद
स्थानीय लोगों के अनुसार, साल 1888 में इस मस्जिद के पास मौलाना अब्दुल्ला नाम के एक बुजुर्ग रहते थे। कहा जाता है कि मौलाना ने जिन्नातों की मदद से मात्र एक ही रात में इस मस्जिद का निर्माण करवा दिया। इसी वजह से यह मस्जिद आज भी रहस्य, आस्था और श्रद्धा का प्रमुख केंद्र मानी जाती है, जहां लोग इसे अलौकिक शक्ति का प्रतीक मानकर आते हैं।
मस्जिद का सबसे बड़ा रहस्य
यह मस्जिद बांग्लादेश के लक्ष्मीपुर इलाके में स्थित है। स्थानीय लोगों का दावा है कि मस्जिद में कोई भी इंसान नहीं रहता, लेकिन आधी रात के बाद इसके अंदर से अजीबो-गरीब आवाजें सुनाई देती हैं। ऐसा लगता है मानो कोई कुरान की आयतें पढ़ रहा हो। हैरानी की बात यह है कि मस्जिद में कोई मौलाना या मुफ्ती मौजूद नहीं होता।
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इंसानों से ज्यादा जिन्नात की मस्जिद
कहा जाता है कि जो भी व्यक्ति इस मस्जिद में प्रवेश करता है, उसे ऐसा महसूस होता है जैसे कोई उसके पीछे-पीछे चल रहा हो। यह रहस्यमयी एहसास लोगों के मन में डर और आस्था दोनों भर देता है। शायद यही वजह है कि इस मस्जिद को इंसानों से ज्यादा जिन्नातों की मानी जाती है। करीब 200 साल बीत जाने के बाद भी यहां का माहौल आज भी उतना ही रहस्यमयी और रोमांचक बना हुआ है।
दुनिया में और भी हैं ऐसी मस्जिदें
स्थानीय लोगों का मानना है कि ऐसी मस्जिदें सिर्फ बांग्लादेश में ही नहीं, बल्कि भारत, अजरबैजान, सऊदी अरब जैसे देशों में भी मौजूद हैं। कहा जाता है कि ऐसी जगह जाने से पहले मन को पूरी तरह साफ रखना चाहिए, वरना हो सकता है आप अपने साथ कोई जिन्न लेकर बाहर निकल आएं।
मस्जिद ए जमे अब्दुल्लाह केवल एक इबादतगाह नहीं, बल्कि रहस्य और आस्था का प्रतीक है। स्थानीय लोगों की मान्यता और जिन्नातों से जुड़ी कहानियां इसे और भी रहस्यमयी बना देती हैं। चाहे ये दंतकथाएं हों या सच, लेकिन इस मस्जिद का माहौल हर आने वाले को अचंभित कर देता है। यही कारण है कि यह मस्जिद आज भी लोगों की श्रद्धा, डर और जिज्ञासा का केंद्र बनी हुई है।