लापता लेडीज ऑस्कर की दौड़ से बाहर, फिल्म फेडरेशन पर उठे सवाल
punjabkesari.in Wednesday, Dec 18, 2024 - 04:28 PM (IST)
नारी डेस्क: किरण राव की फिल्म लापता लेडीज ऑस्कर 2024 की फाइनल नॉमिनेशन लिस्ट से बाहर हो गई है। इस खबर ने न केवल फिल्म इंडस्ट्री को चौंका दिया है, बल्कि फिल्म फेडरेशन ऑफ इंडिया के फैसलों पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। सोशल मीडिया पर दर्शक और इंडस्ट्री से जुड़े लोग इस बात पर चर्चा कर रहे हैं कि क्या लापता लेडीज भारत की ओर से ऑस्कर के लिए सही प्रतिनिधित्व कर रही थी या नहीं।
क्या है ‘लापता लेडीज’ की कहानी?
किरण राव द्वारा निर्देशित लापता लेडीज एक अनोखी कहानी है, जो महिलाओं की पहचान और समाज में उनकी जगह पर सवाल उठाती है। फिल्म की कहानी ग्रामीण पृष्ठभूमि पर आधारित है, जहां दो नई-नवेली दुल्हनें शादी के बाद ट्रेन में सफर करते हुए अचानक लापता हो जाती हैं। उनके परिवार और समाज में उनकी पहचान घूंघट और नाम के पीछे छिप जाती है। इस फिल्म ने नारी स्वतंत्रता और उनकी आवाज़ के मुद्दों को रेखांकित किया है।
फिल्म को मिली सराहना, लेकिन ऑस्कर के लिए उपयुक्त नहीं?
लापता लेडीज को नेटफ्लिक्स पर रिलीज़ के बाद दर्शकों और समीक्षकों से तारीफें मिलीं। फिल्म की कहानी और किरदारों की अदाकारी को काफी सराहा गया। लेकिन जब इसे ऑस्कर के लिए भारत की आधिकारिक एंट्री के रूप में चुना गया, तभी से चर्चा थी कि यह फिल्म ऑस्कर के लिए सही विकल्प नहीं हो सकती। कई लोगों का मानना था कि फिल्म मनोरंजन के लिहाज से अच्छी है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रतिस्पर्धा करने के लिए इससे बेहतर विकल्प मौजूद थे।
फिल्म फेडरेशन ऑफ इंडिया पर सवाल क्यों?
सोशल मीडिया पर म्यूजिक कंपोजर रिकी केज सहित कई अन्य ने फिल्म फेडरेशन ऑफ इंडिया के चयन पर सवाल उठाए। रिकी ने लिखा, "लापता लेडीज एक एंटरटेनिंग फिल्म है, लेकिन यह ऑस्कर के लिए भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए सही चॉइस नहीं थी। भारत में बेहतरीन आर्टिस्टिक फिल्में बनाई जाती हैं, जो इंटरनेशनल प्लेटफॉर्म पर बेहतर प्रदर्शन कर सकती हैं। लेकिन हम बार-बार मुख्यधारा के बॉलीवुड बबल में फंसे रहते हैं। हमें ऐसी फिल्में चुननी चाहिए, जिनमें सच्चा सिनेमा और कला हो, चाहे वो लो बजट की हों या बिना बड़े सितारों की।"
क्या पायल कपाड़िया की फिल्म थी बेहतर विकल्प?
इस फैसले की आलोचना इसलिए भी हो रही है क्योंकि पायल कपाड़िया की फिल्म ऑल वी इमेजिन एज लाइट को फेडरेशन ने लापता लेडीज के मुकाबले नजरअंदाज कर दिया। ऑल वी इमेजिन एज लाइट को दुनियाभर के फिल्म फेस्टिवल्स में प्रशंसा मिली है और यह गोल्डन ग्लोब में बेस्ट फॉरेन लैंग्वेज फिल्म और बेस्ट डायरेक्टर का नॉमिनेशन भी हासिल कर चुकी है। कई लोगों का मानना है कि यह फिल्म ऑस्कर की दौड़ में बेहतर प्रदर्शन कर सकती थी।
दूसरी उम्मीदें बचाए हुए फिल्में
हालांकि लापता लेडीज ऑस्कर की दौड़ से बाहर हो गई है, लेकिन अन्य भारतीय फिल्मों ने उम्मीदें जिंदा रखी हैं।
संतोष
ब्रिटिश-इंडियन फिल्ममेकर संध्या सुरी की यह फिल्म संतोष यूनाइटेड किंगडम की ओर से ऑस्कर में बेस्ट इंटरनेशनल फीचर फिल्म कैटेगरी में शॉर्टलिस्ट की गई है। यह फिल्म जाति, धर्म और लैंगिक भेदभाव की पृष्ठभूमि पर आधारित एक महिला पुलिस कांस्टेबल की कहानी है।
अनुजा
गुनीत मोंगा के प्रोडक्शन में बनी शॉर्ट फिल्म अनुजा बेस्ट लाइव एक्शन शॉर्ट फिल्म कैटेगरी में शामिल है। यह फिल्म एक गारमेंट फैक्ट्री में काम करने वाली लड़की की कहानी है, जिसे अपने सपनों और परिवार के बीच एक कठिन फैसला लेना पड़ता है।
लापता लेडीज पर ऑस्कर से बाहर होने का असर
लापता लेडीज का ऑस्कर की फाइनल लिस्ट में न आना यह दिखाता है कि हमें अपनी फिल्मों के चयन में अधिक सावधानी बरतने की जरूरत है। ऑस्कर जैसे अंतरराष्ट्रीय मंच पर न केवल कहानी और कला का स्तर मायने रखता है, बल्कि फिल्म की प्रस्तुति और मार्केटिंग भी बड़ी भूमिका निभाती है।
क्या भारतीय सिनेमा भविष्य में बेहतर विकल्पों के साथ ऑस्कर की दौड़ में अपनी जगह बना पाएगा, यह देखना दिलचस्प होगा।