जानिए क्यों होती है पैंक्रियाज में सूजन? इसके लक्षण और कारण

punjabkesari.in Tuesday, Nov 23, 2021 - 06:33 PM (IST)

कई ऐसी बीमारियां हैं जिनके लक्षण एक जैसे होते हैं। इन बीमारियों की पहचान कर पाना थोड़ा मुश्किल होता है। अग्नाशय शोध यानी पैंक्रियाज में सूजन भी ऐसी ही एक बीमारी है। यह एक गंभीर समस्या है जो पेट के ऊपरी भाग में होती है। इस दौरान पेट में दर्द होता है। यह अचानक हो सकती है और कई दिनों तक रह सकती हैं। अगर ज्यादा दिनों तक यह समस्या रहे तो शरीर पर इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं। आइए जानते हैं अग्नाशयशोथ के लक्षण, कारण और उपचार के बारे में-

क्या होता है अग्नाशयशोथ?

अग्नाशयशोथ अग्नाशय में होने वाली सूजन है। इसे इंगलिश में पैंक्रियाज में सूजन या पैंक्रियाटाइटिस कहते हैं। अग्न्याशय पेट की बड़ी ग्रंथि होती हैं। जो छोटी आंत के ऊपरी हिस्से की बगल में पाई जाती है। अग्नाशय पाचन में सहायक होने वाले एंजाइम बनाता है। रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने वाला इंसुलिन हार्मोन भी अग्नाशय द्वारा निर्मित होता है। इसलिए अग्नाशयशोथ के रोगियों में कभी-कभी उच्च रक्त शर्करा का स्तर होता है। यह दो प्रकार के होते हैं- एक्यूट पैंक्रियाटाइटिस और क्रॉनिक पैंक्रियाटाइटिस।

कारण

पैंक्रियाटाइटिस का आम कारण है शराब और पित्त पथरी। पित्त पथरी पित्त नली में खिसककर अग्नाशय वाहिनी को अवरुद्ध कर सकती है। वायरल संक्रमण, दवाएं भी तीव्र अग्नाशयशोथ का कारण बनती हैं। गॉल ब्लैडर स्टोन को भी नज़रअंदाज न करें। घर में पहले भी कोई इस समस्या से पीड़ित रहा है तब भी यह बीमारी हो सकती है। इसके अलावा इम्युनिटी का कमजोर होना, पेट में घाव और सर्जरी, हाई कोलेस्ट्रॉल इस समस्या का कारण बन सकते हैं। जिसे पित्त की पथरी, पेट में तेज दर्द, पीलिया या पेट में सूजन है, उसे तत्काल डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

लक्षण

• जी मचलाना और उल्टी
• पेट-पीठ में दर्द, खाने के बाद दर्द बढ़ना
• पेट, फेफड़े में द्रव जमा होने से सांस में कठिनाई
• शरीर के ऊपरी हिस्से में दर्द
• पेट में सूजन और नरम होना
• बुखार, कमजोरी और सुस्ती
• वजन कम होना
• पीलिया का रोगी होना

उपचार

जालंधर के एस.जी.एल सुपर स्पैशिएलिटी अस्पताल में गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी सर्जन डॉ. दिशा स्याल के मुताबिक जीवन शैली में कुछ जरूरी बदलाव करके इस समस्या से बचा जा सकता है। जैसे- शराब और धूम्रपान का सेवन न करें, वजन को नियंत्रित रखें, नियमित व्यायाम करें, अधिक वसा और मसालेदार भोजन, कैफीन युक्त पेय पदार्थों से दूर रहें। लाल मीट और वसा युक्त डेयरी प्रोडक्ट्स के सेवन से बचें। रोजाना डाइट में हरी साग-सब्जियों और फलों को शामिल करें। —डॉ. दिशा स्याल
जीत के साथ हार भी जरूरी

News Editor

Shiwani Singh