जानिए क्या है मकर संक्रांति का महत्व और पूजन का समय ?

punjabkesari.in Sunday, Jan 12, 2020 - 11:46 AM (IST)

लोहड़ी के अगले दिन ही मकर संक्रांति का त्योहार पूरे देश में बड़ी धूम-धाम के साथ मनाया जाता है। लोग घरों में तिल के लड्डू बना कर खाते है और पतंग उड़ाते है। मकर संक्रांति मनाने के पीछे न केवल वैज्ञानिक बल्कि धार्मिक मान्यता भी है।चलिए बताते है आपको इस त्योहार से जुड़ी पौराणिक कथाएं।


मकर संक्रांति का शुभ मुहूर्त

हर साल मकर संक्रांति लोहड़ी के अगले दिन मनाई जाती है लेकिन अगर यह शाम को आए तो वह अगली सुबह ही सेलिब्रेट की जाती है। इसलिए इस साल मकर संक्रांति 14 नहीं बल्कि 15 जनवरी को सेलिब्रेट की जाएगी। जिसके अनुसार संक्रांति पर स्नान करने का समय 15 जनवरी को सुबह है और संक्रांति काल 07:19 बजे, पुण्य काल 07:19 बजे और महापुण्य काल 07:19 से 09: 03 बजे तक है।

 


मकर संक्रांति क्यों मनाई जाती है ? 

मकर संक्रांति मनाने के पीछे एक नहीं बल्कि कई तरही की कहानियां शामिल है। भारतीय ज्योतिष के अनुसार यह दिन पिता सूर्य और पुत्र शनि की मुलाकात के तौर पर मनाया जाता है। इस दिन गुरु की राशि धनु में रहने वाला सूर्य ग्रह मकर यानि की शनिदेव की राशि में प्रवेश करता है। 

गंगा का हुआ था अवतरण

माना जाता है कि इस दिन धरती पर गंगा नदी का अवतरण हुआ था। जिस कारण इस दिन गंगा नदी में स्नान करना बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। वहीं इस दिन गंगा जी भागीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होकर सागर में मिल गई थी। इसी वजह से इस दिन गंगा सागर पर मेला लगता है।

भीष्म पितामाह ने त्यागे थे अपने प्राण

महाभारत के दौरान भीष्म पितामाह ने अपने प्राण त्यागने के लिए सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने का इंतजार किया था। माना जाता है सूर्य के उत्तरायण के समय शरीर त्यागने वाले या मृत्यु को प्राप्त करने वाली आत्माएं कुछ काल के लिए देवलोक में जाती है। जिससे उन्हें पुनजन्म से छुटकारा मिल जाता है और मोक्ष का प्राप्ति होती है। 

असुरो का हुआ था अंत 

इस दिन भगवान विष्णु ने असुरों का अंत कर युद्ध समाप्ति की घोषणा की थी। इसलिए यह दिन बुराई पर अच्छाई का दिन भी माना जाता है। 

 

खाते है तिल-गुड़ के पकवान

सर्दी के मौसम में तापमान में आई गिरावट के कारण कई तरह की बीमारियां होने का खतरा रहता है। ऐसे में इस दिन तिल-गुड़ से बनी चीजें खाई जाती है और बांटी जाती है क्योंकि तिल और गुड़ शरीर में गर्मी पैदा करते है। साथ ही इससे शरीर को कई तरह के पोषक तत्व मिलते है। इस दिन प्रसाद के तौर पर खिचड़ी बनाई जाती है।
 

Content Writer

khushboo aggarwal