PCOD और PCOS में जानें फर्क, कैसे बच सकती है महिलाएं?

punjabkesari.in Sunday, Aug 23, 2020 - 12:37 PM (IST)

पीरियड्स महिला की जिंदगी का एक अहम हिस्सा है। जब तक आपके पीरियड्स रेगुलर हैं तो समझ लें आपका शरीर सही ढंग से काम कर रहा है लेकिन बिजी लाइफस्टाइल, तनाव और खाने-पीने की गलत आदतों के चलते महिलाओं के पीरियड्स अनियमित होने लगते हैं और हार्मोनल असंतुलन होने लगता है, जिसे महिलाएं पहले तो अनदेखा कर देती हैं और जब समस्या बढ़ जाती हैं तो उस पर गौर करती हैं। समस्या पर ध्यान न दिए जाने के चलते महिलाएं पीसीओडी और पीसीओएस की समस्या हो सकती है जो सिर्फ पीरियड नहीं प्रेग्नेंसी में भी दिक्कत पैदा करती हैं और मोटापे, डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और यूट्रस कैंसर जैसी समस्याओं का कारण भी बन सकती है।

 

चलिए पहले हम आपको पीसीओडी और पीसीओएस के बारे में बताते हैं और साथ ही दोनों के बीच का फर्क भी क्योंकि ज्यादातर महिलाएं इन्हें एक ही समस्या समझ लेती है।

पीसीओडी और पीसीओएस क्या है?

पीसीओएस यानि पॉलीसिस्टिक ओवेरी सिंड्रोम और पीसीओडी यानि पॉलीसिस्टिक ओवेरी डिसआर्डर। वैसे यह दोनों ही समस्या हार्मोनल असंतुलन के कारण होती हैं और अंडाशय की खराबी से जुड़ी होती है लेकिन दोनों में थोड़ा मगर महत्वपूर्ण फर्क है। पीसीओडी के मामले में, महिलाओं के बॉडी में बहुत सारे अनचाहे बाल उगने लगते है जबकि पीसीओएस में बाल झड़ने लगते हैं। इसी के साथ चेहरे पर मुंहासे होने लगते हैं। वास्तव में, पीसीओएस अधिक गंभीर है क्योंकि यह एक दुष्चक्र है, जिसमें ओवरी में बहुत सारे सिस्ट बनने लगते हैं।

इस समस्या के बारे में महिला बात करने में हिचकिचाती हैं जबकि आज यह महिलाओं में इनफर्टिलिटी का मुख्य कारण बना हुआ है। एक अध्ययन के अनुसार, पीसीओएस के बढ़ते मामलों को आमतौर पर 15 से 30 साल की आयु के महिलाओं ज्यादा शिकार है, जिसका स्पष्ट कारण यही है कि भारत में महिलाओं के बीच इस बीमारी को लेकर जागरूकता और अज्ञानता की कमी है।

अब जानिए इस पीसीओएस होने के कारण

बीते जमाने की अपेक्षा आज महिलाएं इस बीमारी की तेजी से शिकार हो रही हैं। आज भारत में 5 में से 1 महिला इस बीमारी से ग्रस्त है। जिसकी वजह है...


-खराब लाइफस्टाइल
-फास्ट फूड खाना
-चीनी से भरपूर चीजों का सेवन 
-फिजीकल एक्टिविटी ना के बराबर यानि लिमिटेड चलना-फिरना, एक्सरसाइज ना करना
-तनाव या प्रैशर में रहना।
-बढ़ा हुआ वजन

अब जानिए इसे कंट्रोल करने के तरीके

-सबसे पहले तो अपनी डाइट को हैल्दी बनाएं। बाहर के तली-भुनी मसालेदार चीजों को छोड़ें और फलों और सब्जियों को शामिल करना चाहिए।
-ब्रोकली, फूलगोभी और पालक, बादाम, अखरोट, ओमेगा और फैटी एसिड में समृद्ध खाद्य पदार्थ खाएं।
-तीन बार अधिक भोजन करने के बजाय पांच बार कम मात्रा में भोजन करें।
-उच्च फाइबर वाले खाद्य पदार्थों का उपभोग करें।
-रोजाना कम से कम आधे घंटे की एक्सरसाइज करें।
-चीनी-नमक का कम खाएं।
-लिक्विड डाइट ज्यादा लें। पानी का अधिक सेवन करें।

पीसीओएस या पीसीओडी से बचने के लिए योग और मेडिटेशन का सहारा लें। आप कपालभाती, पवनमुक्त आसन, हलासन, धनुरासन, सर्वागासन आदि करें। इससे सिर्फ आपको पीसीओडी व पीसीओएस से ही राहत नहीं मिलेगी बल्कि मोटापा, डायबिटीज, अपच जैसी कई समस्याओं से भी छुटकारा मिलेगा।

इसके अलावा जितना हो सकें खुद को तनाव मुक्त रखें और अपनी मनपसंद काम जरूर करें। इससे आप कई बीमारियों से बची रहेगी।

Content Writer

Anjali Rajput