IVF से ज्यादा आसान और सस्ती है IUI, जानिए दोनों ट्रीटमेंट्स के फायदे-नुकसान
punjabkesari.in Sunday, Jan 05, 2020 - 10:02 AM (IST)
हाल ही में करीना कपूर की फिल्म 'गुड न्यूज' ने खूब धमाल मचाया, उनके साथ अक्षय कुमार, दिलजीत दोसांझ और कियारा आडवाणी के काम को भी खूब पसंद किया गया। पूरी फिल्म IVF पर आधारित थी। अगर आप IVF के बारे में नहीं जानते तो बता दें कि यह वो टैकनीक है जिसके जरिए बांझ महिलाएं मां बनने का सुख पा सकती हैं।
इस तकनीक के जरिए सिर्फ आम ही नहीं कई फेमस एक्ट्रेस भी बेबी प्लान कर मां बनने का सुख हासिल कर चुकी हैं, अब यह प्रक्रिया काफी कॉमन हो गई है बावजूद इसके लोग आई.वी.एफ. से डरते हैं बल्कि अब तो और भी कई तकनीक आ गई है जिसमें एक आई.यू .आई. ( IUI) भी है। फिर भी लोगों के मन में इन टैकनीक्स को लेकर बहुत सारे मिथक हैं पहला तो यह कि इसमें बच्चा किसी दूसरे का होता है जो कि सबसे बड़ी गलत धारणा है। इसमें अंडा पत्नी और शुक्राणु पति के ही होते हैं। इस ट्रीटमेंट से पैदा होने वाला बच्चा पति-पत्नी का ही होता है।
तो चलिए आपको बताते हैं इन दोनों ही प्रक्रियाओं के बारे में...
इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF)
आईवीएफ यानि की टेस्ट ट्यूब बेबी जिसे इन विट्रो फर्टिलाइजेशन कहते हैं। इस प्रक्रिया में महिलाओं के गर्भाश्य में दवाइयों व इंजैक्शन की मदद से सामान्य से अधिक अंडे बनाए जाते हैं। फिर सर्जरी के जरिए अंडों को निकालकर लैब में कल्चर डिश में पति के शुक्राणुओं के साथ मिलाकर निषेचन (Fertilization) के लिए 2-3 दिन रखा जाता है। इस पूरी प्रक्रिया में अल्ट्रासाउंड का इस्तेमाल किया जाता है। आखिर में जांच के बाद बने भ्रूण को वापिस महिला की कोख में इम्प्लांट कर दिया जाता है। बच्चेदानी में भ्रूण इम्प्लांट करने के बाद 14 दिनों में ब्लड या प्रेगनेंसी टेस्ट के जरिए इसकी सफलता और असफलता का पता चलता है। इस प्रक्रिया से महिला के मां बनने के संभावना करीब 70% तक होती है।
इंट्रायूटेरिन इनसेमिनेशन तकनीक (IUI)
अब बताते हैं आपको आई.यू.आई. (IUI) यानि इंट्रायूटेरिन इनसेमिनेशन तकनीक के बारे में भी जो आईवीएफ से ज्यादा सरल प्रक्रिया है। आई यू आई एक आसान फर्टिलिटी ट्रीटमेंट है जो बिना प्रजनन दवाइयों के किया जाता है। इसमें पुरुष के शुक्राणुओं को साफ कर सीधा प्लास्टिक की पतली कैथेटर ट्यूब के जरिए महिला के गर्भाश्य में इंजेक्ट कर दिए जाते हैं लेकिन इसमें महिला को पहले ही अंडे उत्पादन के लिए प्रजनन दवाइयों का सेवन होता है ताकि भ्रूण बन सके।
IVF और IUI में फर्क क्या?
IVF की तुलना में IUI तकनीक ज्यादा आसान होती है और इसमें समय भी कम लगता है और यह सस्ती प्रक्रिया भी है। दरअसल,IUI में पुरूषों के शुक्राणुओं को साफ करके महिला के गर्भाश्य में रखा जाता है, जिसके बाद अंडे फर्टिलाइज्ड हो जाते हैं। जबकि IVF मे अंडों निकाल कर ट्यूब में फर्टिलाइज्ड किया जाता है, जो भ्रूण बन जाते हैं और फिर इसे महिला के गर्भाश्य में रखा जाता है।
कितने समय में बन सकती हैं मां?
IVF में अंडे इंप्लांट करने के 12-14 दिन बाद ब्लड टेस्ट व प्रेगनेंसी टेस्ट किया जाता है, जिसमें पता चलता है कि यह तकनीक सफल हुई या नहीं। हालांकि IUI ट्रीटमेंट में भी 12-14 बाद ही रिजल्ट आता है लेकिन इसकी शुरूआती प्रक्रिया में IVF से कम समय लगता है।
क्या उम्रदराज महिलाओं के लिए सही है ये ट्रीटमेंट?
40 से 50 उम्र की महिलाओं में गर्भधारण करने की क्षमता 10% कम हो जाती है। ऐसा इसलिए क्योंकि इस उम्र में पीरियड्स कम व बंद हो जाते हैं, जिसके कारण प्रेगनेंसी में दिक्कत आती है। वहीं अगर महिलाएं गर्भधारण कर भी ले तो गर्भपात का खतरा रहता है जबकि इन दोनों तकनीक में ऐसा कोई खतरा नहीं होता। ज्यादा उम्र में भी मां बनने के लिए यह दोनों ही तकनीक महिलाओं के लिए फायदेमंद है।
अब बताते हैं आपको इनके साइड इफेक्ट्स...
IVF के साइड इफेक्ट्स
. इस प्रक्रिया में गर्भ में 2 भ्रूण डाले जाते हैं, जिससे जुड़वां बच्चे होने का जोखिम रहता है। हालांकि कुछ लोग जुड़वां बच्चे चाहते भी हैं।
. इसमें प्रजनन दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है, जिसके कारण गर्मी लगना, सिरदर्द, जी-मिचलाना जैसे लक्षण दिखाई देते हैं।
. IVF में भ्रूण गर्भाश्य की जगह फैलोपियन ट्यूब में विकसित हो सकता है।
. आईवीएफ के जरिए शिशु को 'स्पाइना बिफिडा' यानी रीढ़ की हड्डी संबंधी बीमारियों का खतरा भी रहता है।
IUI के साइड इफेक्ट्स
. वैसे आईयूआई प्रक्रिया में कोई बड़ा खतरा नहीं होता है लेकिन इस दौरान महिलाओं को कुछ परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है...
. कैथेटर यानी प्लास्टिक की ट्यूब को योनि मार्ग के जरिए गर्भाशय तक ले जाने में दिक्कत हो सकती है, जिससे पेट में दर्द रहता है।
. इस दौरान ओव्यूलेशन को उत्तेजित करने के लिए कुछ दवाएं दी जाती है, जिसका खराब प्रभाव पड़ सकता है। इसके कारण एक से अधिक अंडे विकसित हो सकते है, जिस कारण ओवेरियन हाइपर स्टिमुलेशन सिंड्रोम (OHSS) हो सकता है।
. इस प्रक्रिया के बाद संक्रमण की आशंका रहती है।
IVF व IUI के बाद कुछ सावधानियां बरतना जरूरी
-ट्रीटमेंट के बाद कम से कम 2 हफ्ते तक बाथ टब ना लें। इससे अंडा अपनी जगह से हट सकता है। इस ट्रीटमेंट में शॉवर बाथ लेना ही फायदेमंद है।
-प्रेगनेंसी में एक्सरसाइज करना अच्छा होता है लेकिन इन मामलों में हल्की-फुल्की एक्सरसाइज करने की सलाह दी जाती है। आप मॉर्निंग वॉक, प्रणायाम या मेडिटेशन कर सकती हैं।
-कैफीन व अन्य मादक वस्तुओं का सेवन भी ना करें। इससे गर्भ ठहरने में परेशानी हो सकती है।
-ज्यादा भारी वजन भी ना उठाएं और ज्यादा से ज्यादा आराम करें। साथ ही अपनी डाइट पर ध्यान दें।
-संबंध बनाने से बचें क्योंकि इससे प्राइवेट पार्ट में इंफैक्शन का खतरा हो सकता है।
अब तो महिलाएं जान चुकी होंगी आई.वी.एफ. और आई.यू.आई. तकनीक के फायदे लेकिन आपको हमारा यह पैकेज कैसा लगा हमें बताना ना भूलें।