जानिए भोजन नली की गंभीर बीमारी एकेलेसिया के लक्षण और कारण

punjabkesari.in Tuesday, Mar 01, 2022 - 04:24 PM (IST)

एकेलेसिया एक गंभीर बीमारी  है। यह मनुष्य की भोजन नली यानी ग्रासनली को बुरी तरह प्रभावित करती है। यह एक दुर्लभ बीमारी है। एक लाख व्यक्तियों में से लगभग 1.6% लोगों को ही प्रभावित करती है। एकेलेसिया किसी भी उम्र में हो सकती है लेकिन ज्यादातर यह 25 से 70 वर्ष की आयु वर्ग के लोगों में पाई जाती है। यह महिला और पुरुष दोनों को बराबर रूप से प्रभावित करती है। आइए जानते हैं इसके लक्षण, कारण और उपाय...

कारण

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जब भोजन की नली की नसों को नुक्सान पहुंचता है तो यह नली काम करना बंद कर देती है। इससे एकेलेसिया होता है। सामान्य तौर पर भोजन नली दो तरीके से हमारे द्वारा खाए गए खाने को पेट तक पहुंचाती है। पहली प्रकिया में पेरिस्टलिसस के जरिए। जिसमें आहार नली की मांसपेशियां वैकल्पिक रूप से संकुचित, शिथिल, फिर संकुचित और शिथिल होती रहती हैं। इस दौरान खाना भोजन नली के ऊपर से नीचे की ओर जाता है। वहीं दूसरी प्रकिया में जब खाना आहार नाल के नीचे पहुंचता है तो उससे और पेट से जुड़ी वाल्व खुल जाती है और खाना पेट में चला जाता है।  जब दोनों प्रक्रिया में समस्या उतन्न होती है तो व्यक्ति एकेलेलिया से ग्रसित हो जाता है। इस दौरान खाना पेट तक नहीं जाता। भोजन नली में ही अटका रहता है, जिससे व्यक्ति का दम तक घुट सकता है।

लक्षण

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•रात में खांसी आना
•सीने में जलन और दर्द
•भोजन का ऊपर आना
•तरल पदार्थ निगलने में कठिनाई
•दम घुटना
•खाना करने के बाद दर्द और उल्टी
•धीरे-धीरे वजन घटना

उपचार

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जालंधर के एस.जी.एल सुपर स्पैशिएलिटी अस्पताल में गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी सर्जन डॉ. दिशा स्याल बताती हैं कि इस बीमारी के इलाज के लिए शुरू में दवाएं दी जाती हैं। इसके बाद एंडोक्कोपिक की जाती है। अगर बीमारी के लक्षण फिर दिखते हैं तो रोगी की सर्जरी की आवश्यकता पड़ती है। बेहतर इलाज के लिए लैप्रोस्कोपिक सर्जरी अच्छी होती है। सर्जरी के दौरान मोटी मांसपेशियों को निकाला जाता है और एसिड या भोजन के भाटा को रोकने के लिए आहार नली और पेट के बीच एक नया वाल्व बनाया जाता है। इसके अलावा एकेलेसिया के बेहर इलाज के लिए आहार में जरूरी बदलाव करना भी जरूरी है। जैसे- धीरे-धीरे और छोटे टुकड़ों में खाना खाना, भोजन को अच्छी तरह चबाकर खाना, खाना खाने के बाद भरपूर पानी पीना, सोने से चार घंटे पहले खाना खाना। 

—डॉ. दिशा स्याल


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News Editor

Shiwani Singh

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