घर क्यों नहीं लाते Mehandipur Balaji मंदिर का प्रसाद? जानिए इसके पीछे का रहस्य

punjabkesari.in Wednesday, Dec 29, 2021 - 05:11 PM (IST)

देशभर में कई प्राचीन व ऐतिहासिक मंदिर है, जिनका अपना-अपना विशेष महत्व है। इसके साथ ही कई मंदिर रहस्यों से भरे हुए हैं। कहा जाता है कि इन रहस्यों को आज तक कोई भी जान नहीं पाया है। इनमें से ही भारत का एक प्राचीन मेहंदीपुर बालाजी मंदिर हैं जो रहस्यों या चमत्कारों से जगप्रख्यात हैं।  माना जाता है कि मंदिर से मिलने वाला प्रसाद घर पर लाना मना होता है। चलिए आज हम आपको इस प्रसिद्ध मंदिर से जुड़ी कुछ खास बातें व मान्यताएं बताते हैं...

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राजस्थान के दौसा जिला के पास स्थित मेहंदीपुर बालाजी मंदिर

मेहंदीपुर बालाजी मंदिर राजस्थान के दौसा जिला के पास स्थित है। मंदिर 2 पहाड़ियों के बीच स्थित है, जो देखने में बेहद वित्रित लगता है। कहा जाता है कि बालाजी महाराज के दर्शन करने से भूत-प्रेत की बाधाओं से मुक्ति मिलती है। मंदिर में  प्रेतराज सरकार और भैरवबाबा यानि कोतवाल कप्तान की मूर्ति स्थापित है। धार्मिक मान्यताओं अनुसार, किसी के ऊपर साया होने पर कीर्तन करके इसे दूर भगाया जाता है। रोजाना 2 बजे लोगों की पेशी होती है। इसके साथ ही एक अलग मान्यता है कि मंदिर में मिलने वाला प्रसाद घर लेकर नहीं जाया जाता है। चलिए जानते हैं इससे जुड़ी कुछ रहस्यमई बातें...

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मेहंदीपुर बालाजी की रहस्यमई बातें...

 

1,000 साल पुराना मंदिर

माना जाता है कि बाला जी का यह मंदिर करीब 1,000 हजार साल पुराना है। मंदिर में स्थापित बलारूम हनुमान जी की मूर्ति किसी द्वारा बनाई नहीं गई बल्कि यह यह स्वंयभू है। बालाजी की मूर्ति पहाड़ के अखण्ड भाग के रूप में मंदिर के पीछे वाली दीवार का काम भी करती है। कहते हैं कि इस मूर्ति को प्रधान मानते हुए ही बाकी मंदिर का निर्माण किया गया था।

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मंदिर से प्रसाद घर ना ले जाने की मान्यता

बता दें, मेहंदीपुर बालाजी मंदिर से मिलने वाला प्रसाद ना तो खाया जाता है और ना ही इसे घर लेकर जा सकते हैं। इसके साथ ही इस प्रसाद को किसी को देने की भी मनाही होती है। लोगों द्वारा माना जाता है इस प्रसाद को घर ले जाने से आपके ऊपर बुरी साया का असर हो सकता है। इसके साथ ही मेहंदीपुर बालाजी में प्रसाद चढ़ाने का तरीका भी बाकी मंदिरों से अलग है। मंदिर में दर्खावस्त और अर्जी 2 कैटेगरी में प्रसाद चढ़ता है। दर्खावस्त को बालाजी में हाजरी भी कहा जाता है। हाजरी के इस प्रसाद को दो बार खरीदा जाता है। इसके अलावा अर्जी में 3 थालियों में प्रसाद मिलने की प्रथा है। मान्यता है कि मंदिर में दर्खावस्त एकबार लगाने के तुरंत बाद वहां से निकल जाते हैं। इसके साथ ही अर्जी का प्रसाद लौटते समय लेकर उसे पीछे फेंकने का नियम है। कहा जाता है कि प्रसाद को पीछे फेंकने के बाद इसे मुड़कर देखना भी नहीं चाहिए।


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बालाजी की छाती से लगातार बहता पानी

कहा जाता है कि बालाजी की छाती के बीच एक छेद हैं। इसके साथ ही वहां से लगातार पानी बहता है। धार्मिक मान्यताओं अनुसार, इस पानी को बालाजी का पसीना माना जाता है।


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भगवान हनुमान बाल रूप में मौजूद

मान्यता है कि मंदिर में भगवान हनुमान बाल रूप में मौजूद है। इसके साथ ही मंदिर से पास भगवान राम और माता सीता की मूर्ति स्थापित है। ऐसे में हनुमान जी हमेशा अपने भगवान के दर्शन करते ही रहते हैं।

हर रोज 2 बजे कीर्तन होने की प्रथा

कहा जाता है कि मंदिर में  प्रेतराज सरकार के दरबार में किसी पर बुरी आत्मा का साया दूर करने के लिए रोजाना 2 बजे कीर्तन होता है। इसके साथ ही मंदिर में स्थापित भैरवबाबा की मूर्ति नकारात्मक बाधाओं से मुक्ति दिलाती है।

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मंदिर जाने से पहले अपनाना पड़ता है कड़ा नियम

बता दें, मेहंदीपुर बालाजी मंदिर जाने से पहले भक्तों को कड़े नियम का पालन करना होता है। कहा जाता है यहां पर आने से 1 सप्ताह तक हर किसी को  अंडा, मांस, शराब, लहसुन और प्याज का सेवन करने से परहेज रखना चाहिए।

 

 

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neetu