जानिए राष्ट्रगान से जुड़ी 12 खास बातें

punjabkesari.in Wednesday, Aug 14, 2019 - 01:32 PM (IST)

राष्ट्रगान यानि की 'जन गण मन' जो कि हर सरकारी विभाग, सरकारी प्रोग्राम में सुना जाता है। यह न केवल देश की एकता का प्रतीक है बल्कि देश की शान है। इसके साथ ही यह देश की परंपरा को दर्शाने के साथ साथ देश के इतिहास को बताता है। बच्चों से लेकर बड़े तक सभी इसे बड़े ही गर्व से गाते है लेकिन क्या आपको पता है कि यह क्यों बना था? इसके बनने की पीछे क्या कारण है? चलिए आज आपको बताते है कि क्यों व कैसे राष्ट्रगान की शुरुआत हुई थी। 

- किसी भी गीत या कविता को राष्ट्रगान का दर्जा देने के लिए अधिनियम पास करना पड़ता है, जब तक सरकार उसे पास नही करती है तब तक वह पूरे देश में राष्ट्रगान के तौर पर लागू नही होता है। 

-भारत के संविधान द्वारा हिंदी संस्करण के राष्ट्रगान को 24 जनवरी, 1950 को अपनाया गया था। 

- रविंद्रनाथ टैगोर ने इस बंगाली भाषा में लिखा था। 

- इसे गाने के लिए 52 सेकेंड का समय तय किया गया है, इसे कभी भी इससे ज्यादा समय में नही गाया जाता है। 

- 'जन गण मन अधिनायक जय हे' का जन्म कोलकाता में हुआ था।

- 27 दिसंबर, 1911 में पहली बार इसे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के वार्षिक सम्मेलन के दूसरे दिन गाया गया था। यह सम्मेलन कोलकात्ता में हुआ था।

- टैगोर की भतीजी सरला देवी चौधरानी ने इसे अपनी आवाज देते हुए स्कूल के प्रोग्राम में गाया था। 

- वर्तमान समय में राष्ट्रगान की धुन आंध्र प्रदेश के एक छोटे-से जिले मदनपिल्लै से ली गई है।

- मशहूर कवि जेम्स कजिन की पत्नी मारग्रेट ने इस राष्ट्रगान का अंग्रेजी में अनुवाद किया था। 

- नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने संस्कृतनिष्ठ बांग्ला से हिंदी में राष्ट्रगान का अनुवाद करवाया था

- मारग्रेट जो मशहूर कवि जेम्स कजिन की पत्नी थी वे बेसेंट थियोसोफिकल कॉलेज की प्रधानाचार्य भी थीं। इन्होंने ही राष्ट्रगान का अंग्रेजी में अनुवाद किया।

- नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने राष्ट्रगान का संस्कृतनिष्ठ बांग्ला से हिंदी में अनुवाद करवाया था व इसका अनुवाद कैप्टन आबिद अली ने किया था। 
इसके लिए कैप्टन राम सिंह ने संगीत दिया था। 

- अगर कोई व्यक्ति राष्ट्रगान के नियमों का पालन नही करता है या सका अपमान करता है तो Prevention of Insults to National Honour Act, 1971 की धारा-3 के तहत उसके खिलाफ करवाई की जाती है।
 

Content Writer

khushboo aggarwal