दहेज लिया तो साहब जाएंगे जेल, सरकारी कर्मचारियों के लिए केरल सरकार का बड़ा कदम

punjabkesari.in Thursday, Jul 29, 2021 - 01:05 PM (IST)

दहेज देना और स्वीकार करना सदियों पुरानी भारतीय परंपरा है, जो आज भी चली आ रही है। जमाना चाहे कितना भी मॉर्डन क्यों ना हो जाए लेकिन भारतीय समाज में दहेज प्रथा अभी भी ज्यों की त्यों बनी हुई है। आज भी कई जगहों पर लोगों को दहेज प्रथा की जंजीरों ने जकड़ रखा है। यही नहीं, देश की कितनी बेटियां आज भी इस काली प्रथा की भेंट चढ़ा दी जाती है। खासकर जिन लड़कों की सरकारी नौकरी होती है वो दहेज मांगना अपना हक समझ लेते हैं। मगर, हाल में केरल सरकार ने दहेज प्रथा के खिलाफ ऐसा सहारनीय कदम उठाया है, जो देश की बेटियों की सुरक्षा कर सकता है।

सरकारी नौकरी वाले पुरुषों के लिए उठाया कदम

दरअसल, केरल सरकार ने दहेज प्रथा के खिलाफ एक बड़ा कदम उठाया है। सरकार ने दहेज निषेध अधिनियम, 1961 को सख्ती से लागू करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही राज्य सरकार ने एक सर्कुलर जारी कर सरकारी नौकरी करने वाले पुरुषों एक घोषणा पत्र देने को कहा है।

शादी के बाद देना होगा 'दहेज नहीं' लेने वाला घोषणा पत्र

इस घोषणा पत्र को शादी के एक महीने के अंदर अपने विभागों के प्रमुखों को देना होगा जिसमें लिखा होगा कि उन्होंने कोई दहेज नहीं लिखा। इस पत्र पर कर्मचारी की पत्नी, पिता और ससुर के हस्ताक्षर होने जरूर होंगे। सरकार सरकारी पुरुष कर्मचारियों को दहेज प्रथा के दुष्प्रभावों व दहेज निषेध अधिनियम के बारे में जागरूकता करना चाहती है।

दहेज लिया तो खानी पड़ेगी जेल की हवा

महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा जारी किया गया यह सर्कुलर पूरे राज्य में दहेज निषेध से संबंधित कार्यों के संचालन व समन्वय का प्रभारी है। अगर कोई घोषणा पत्र जमा नहीं करवाता या दहेज लेता है तो उसे दहेज अधिनियम के अनुसार जेल की हवा खानी पड़ सकती है। यही नहीं, अब सरकारी पदों पर जो नियुक्तियां होंगी, उनसे पहले ही शपथ पत्र लिया जाएगा।

केरल में 26 नवंबर को मनाया जाएगा दहेज निषेध दिवस

बता दें कि इससे पहले राज्य सरकार ने सभी जिलों में दहेज निषेध अधिकारी नियुक्त करने के लिए दहेज निषेध नियमों में संशोधन किया था। वहीं, सरकार राज्य में 26 नवंबर को दहेज निषेध दिवस के रूप में मनाने का फैसला पहले ले चुकी है।

95% शादियों में आज भी दिया-लिया जा रहा दहेज

एक शोध में सामने आया कि पिछले कुछ दशकों से भारतीय गांवों में दहेज प्रथा की स्थिति में कोई सुधार नहीं हो पाया है। शोधकर्ताओं ने 1960 से 2008 के बीच हुई 40,000 ग्रामीण शादियों का आंकलन किया, जिसमें सामने आया कि 1961 में दहेज प्रथा को गैर-कानूनी घोषित करने के बाद भी 95% शादियों में दहेज दिया गया। इनमें सवर्ण जातियों ने सबसे अधिक दहेज दिया जबकि इसके बाद ओबीसी, एससी और एसटी का नाम है।

केरल की स्थिति सबसे खराब

गौरतलब है कि विश्व बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक, केरल में 1970 के दशक से दहेज प्रथा का चलन तेजी से बढ़ा है। पिछले कुछ वर्षों में सबसे ज्यादा दहेज यहीं दिया और लिया गया इसलिए केरल सरकार दहेज को लेकर सख्त कदम उठा रही हैं। वहीं हरियाणा, गुजरात और पंजाब में भी दहेज की दर में काफी वृद्धि हुई। हालांकि, ओडिशा, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र में दहेज प्रथा में काफी कमी आई है।

Content Writer

Anjali Rajput