केवल 33 की उम्र में ली आखिरी सांस: किस खतरनाक बीमारी से हुई हॉलीवुड एक्ट्रेस केली मैक की मौत?

punjabkesari.in Thursday, Aug 07, 2025 - 10:28 AM (IST)

नारी डेस्क: हॉलीवुड एक्ट्रेस केली मैक के निधन की खबर ने दुनियाभर में उनके फैंस को दुखी कर दिया है। महज 33 साल की उम्र में इस प्रतिभाशाली अभिनेत्री ने 2 अगस्त को दुनिया को अलविदा कह दिया। उन्होंने पॉपुलर वेब सीरीज ‘The Walking Dead’ में शानदार अभिनय कर लोगों के दिलों में अपनी जगह बनाई थी। उनकी मौत का कारण एक दुर्लभ और खतरनाक बीमारी बनी, जिसका नाम है – ग्लियोमा (Glioma)। आइए जानते हैं, ये बीमारी क्या है, कैसे होती है, इसके लक्षण क्या हैं और कितना खतरनाक हो सकता है ये कैंसर।

ग्लियोमा क्या है?

ग्लियोमा एक प्रकार का ब्रेन ट्यूमर होता है, जो मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी (Spinal Cord) को प्रभावित करता है। यह ट्यूमर ग्लियल कोशिकाओं से बनता है, जो दिमाग की तंत्रिकाओं को सुरक्षा और समर्थन देती हैं। जब इन कोशिकाओं की अनियमित रूप से वृद्धि होने लगती है, तो ये कैंसर में बदल जाती हैं। ये ट्यूमर धीरे-धीरे रीढ़ की हड्डी से शुरू होकर दिमाग तक फैल सकता है। इसका असर व्यक्ति की सोचने, बोलने, याद रखने और चलने-फिरने की क्षमता पर पड़ता है।

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

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ग्लियोमा मुख्य रूप से 3 प्रकार का होता है-

एस्ट्रोसाइटोमा (Astrocytoma): यह ट्यूमर एस्ट्रोसाइट नाम की ग्लियल कोशिकाओं से बनता है। यह धीरे या तेजी से बढ़ सकता है। यह ब्रेन कैंसर बच्चों में अधिक देखा जाता है।

ग्लियोब्लास्टोमा (Glioblastoma): यह ग्लियोमा का सबसे खतरनाक और आक्रामक रूप है। यह बहुत तेजी से बढ़ता है और इसका इलाज करना मुश्किल होता है। यह मुख्य रूप से वयस्कों को प्रभावित करता है।

ओलिगोडेंड्रोग्लियोमा (Oligodendroglioma): यह न्यूरॉन्स को इंसुलेट करने वाली कोशिकाओं से बनता है और मस्तिष्क व स्पाइन के चारों ओर फैलता है। यह भी वयस्कों में अधिक देखने को मिलता है।

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 ग्लियोमा होने का खतरा किन लोगों को ज्यादा होता है?

यदि किसी के परिवार में पहले किसी सदस्य को ग्लियोमा हुआ हो, तो अगली पीढ़ी में भी इसका खतरा हो सकता है। सिर पर बार-बार रेडिएशन लगने से इस बीमारी का खतरा बढ़ सकता है। 45 से 70 वर्ष की आयु के लोगों में यह बीमारी आम है। यह बीमारी पुरुषों में महिलाओं की तुलना में थोड़ी ज्यादा देखने को मिलती है।

 ग्लियोमा के लक्षण क्या होते हैं?

क्लीवलैंड क्लिनिक के अनुसार, ग्लियोमा के लक्षण कुछ इस प्रकार हो सकते हैं

बार-बार या सुबह-सुबह सिर दर्द होना

मिर्गी के दौरे आना

याददाश्त कमजोर होना

बोलने या समझने में दिक्कत

चलने या संतुलन बनाने में कठिनाई

देखने में समस्या आना या डबल विजन

ग्लियोमा का इलाज कैसे होता है?

ग्लियोमा का इलाज ट्यूमर के आकार, स्थान और प्रकार पर निर्भर करता है। इलाज के मुख्य तरीके हैं ट्यूमर को शारीरिक रूप से निकालने की कोशिश की जाती है। रेडियोथेरेपी - ट्यूमर हटाने के बाद बची हुई कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए रेडिएशन का इस्तेमाल किया जाता है।

कीमोथेरेपी: कैंसर को खत्म करने के लिए दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है।

इम्यूनोथेरेपी: यह नई तकनीक है, जिसमें शरीर की रोग प्रतिरोधक प्रणाली को मजबूत कर कैंसर से लड़ने में मदद दी जाती है। डॉक्टरों का मानना है कि अगर इस बीमारी का समय रहते इलाज किया जाए, तो मरीज़ की स्थिति को बेहतर किया जा सकता है।

भारत में ग्लियोमा के कितने मामले सामने आते हैं?

भारत में हर साल 40,000 से 50,000 ब्रेन ट्यूमर के केस सामने आते हैं। इन मामलों में से बड़ी संख्या ग्लियोमा से जुड़ी होती है। इनमें भी ग्लियोब्लास्टोमा सबसे खतरनाक होता है, जिसमें मरीज का 5 साल से ज्यादा जीना मुश्किल हो जाता है। भारत में इस बीमारी की पहचान देर से होने के कारण मरीज़ों को समय पर इलाज नहीं मिल पाता।

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

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 केली मैक का जाना क्यों है बड़ा नुकसान?

केली मैक सिर्फ एक प्रतिभाशाली अभिनेत्री ही नहीं थीं, बल्कि एक फिल्ममेकर भी थीं। उन्होंने न सिर्फ टीवी और फिल्मों में अभिनय किया, बल्कि शॉर्ट फिल्मों का निर्देशन, लेखन और संपादन भी किया था। उनकी आखिरी फिल्म ‘Universal’, हाल ही में प्रदर्शित की गई थी।

उनका यूं असमय जाना फिल्म जगत और उनके चाहने वालों के लिए एक बहुत बड़ी क्षति है।   

 

 


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Content Editor

Priya Yadav

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