नैपी खरीदते वक्त रखें इन बातों का खास ध्यान, बच्चों की स्किन रहेगी सॉफ्ट
punjabkesari.in Saturday, Oct 05, 2019 - 02:58 PM (IST)
पेरेंट्स जब भी छोटे बच्चों के साथ बाहर घूमने या किसी फंक्शन पर जाते है तो वह उन्हें नैपी बांध देते है ताकि बीच में मल - मूत्र करने के कारण उनके कपड़े खराब न हो। फंक्शन ही नहीं अधिकतर पेरेंट्स घर पर भी बच्चों को नैपी बांध कर रखते है। ऐसे में बहुत जरुरी है कि नैपी खरीदते समय उसके साइज, फैब्रिक का पूरा ध्यान रखा जाए। जिससे बच्चों को किसी भी तरह की दिक्कत न हो। चलिए बताते है कि नैपी खरीदते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए...
खरीदते समय इन बातों का रखें ध्यान
- नैपी का कपड़ा मुलायम हो ताकि बच्चों की स्किन को किसी भी तरह का नुकसान न पहुंचे। कोशिश करें की नैपी कॉटन या लिनेन फैब्रिक का बना हो।
- नैपी के मल - मूत्र सोखने की क्षमता अधिक व अच्छी होनी चाहिए।
- वैटनेस इंडिकेटर नैपी पर एक रंगीन रेखा होती है, जो पीले से नीली हो जाती है, तो इसका अर्थ होता है कि नैपी गीता है और इसे बदलने का समय हो गया है।
रैशेज को ठीक करने का उपाय
कई बार लगातार नैपी पहने के कारण बच्चों को नितंबो व जांघों परर रैशेज पड़ जाते है। जो त्वचा में नमी की कमी के साथ यह कस कर बांधने, ठीक तरह से न धोना, नैपी में साबुन हो सकता है। रैशेज को ठीक करने के लिए यह घरेलु टिप्स अपनाने चाहिए।
- रैशेज पर एलोवेरा जैल लगाएं।
- बच्चों को कुछ समय बिना नैपी के रहने दें, ताकि वह ठीक हो सकें।
- रैशेज पर पैट्रोलियम जैली लगाएं।
टिप्स
- बच्चे को गुनगुने व माइल्ड साबुन से नहलाएं।
- बच्चे को कॉटन के मुलायम टॉवेल से साफ कर ही कपड़े व नैपी पहनाएं।
- गीले व गंदे नैपी को तुरंत ही साफ करें।
- रात में 1 बार नैपी जरुर बदलें।
- दिन में 8 घंटे बच्चे को बिना नैपी के जरुर रहने दें, इससे उनकी स्किन को हवा लग सकेगी।
- बच्चों के लिए हमेशा एयर टाइट प्लास्टिक कवर वाले नैपी ही इस्तेमाल करें।
- हर 3 से 4 या ज्यादा से ज्यादा 6 घंटे बाद नैपी को जरुर बदल लें।