Karwachauth: अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए करवा चौथ के दिन करें 8 चीजों का दान

punjabkesari.in Thursday, Oct 17, 2024 - 03:38 PM (IST)

नारी डेस्कः करवाचौथ व्रत (Karva Chauth 2024) का त्योहार आने में कुछ ही दिन बचे हैं। इस बार करवा का त्योहार 20 अक्तूबर को आ रहा है। हिंदू धर्म में इस व्रत का खास महत्व है। महिलाएं इस दिन सोल्ह-श्रृंगार कर, सरगी आदि खाकर करवा व्रत रखती और पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं। अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए महिलाएं करवा कथा सुनती हैं। माता गौरा (पार्वती) की पूजा कर उन्हें श्रृंगार व सरगी का सामान अर्पित करती हैं और पति की लंबी उम्र और सुख समृद्धि मांगती हैं। रात को चांद को अर्घ्य देती हैं और छलनी में चांद फिर पति का चेहरा देखती हैं और अपने व्रत का समापन करती हैं। इसी के साथ अखंड सौभाग्य प्राप्ति के लिए आप इस दिन खासतौर पर कुछ चीजों का दान कर सकती हैं। ये 8 वस्तुओं का दान सुहागन को अखंड सौभाग्य का सुख व समृद्धि देगा। 

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चलिए आपको बताते हैं कि करवा के दिन अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए किन 8 चीजों का दान करना चाहिए।

कुमकुम यानि कि सिंदूर- इस दिन माता गौरा (पार्वती ) को कुमकुम भेंट करें। सिंदूर सुहागन महिला की माथे पर सजी सुहाग की निशानी है।। इसलिए इसका दान करें।
फूल अर्पित करें। फूल कोई भी हो सकता है आप लाल, पीले ,संतरी, सफेद किसी भी तरह के फूल का दान कर सकते हैं। इसे मां गौरी के चरणों में जरूर अर्पित करें। 
चंदन का दान भी करें। आपको बाजार से चंदन की लकड़ी या चंदन का पाउडर भी मिल जाएगा। आप किसी भी तरह का चंदन भेंट कर सकते हैं। 
काजल भी महिला के सोलह-श्रृंगार में शामिल किया जाता है। काजल का दान भी करें। 
पान का पत्ता भी हिंदू धर्म पूजा में विशेष महत्व रखता है और पान का पत्ता आप करवा पूजन में दान के रूप में अर्पित कर सकते हैं। 
ईख जिसे हम गन्ना कहते हैं। गन्ने को पूजा में अर्पित करें या किसी को दान दें। 
लौंग और जीरा, ये दोनों चीजें भी सौभाग्य सूचक है इसलिए करवा चौथ के दिन लौंग और जीरे का दान भी करें। 
ये सारी चीजें करवा चौथ व्रत की कथा सुनने के दौरान माता पार्वती को अर्पित कर सकते हैं। ये सारी चीजें सौभाग्य सूचक मानी जाती है इसलिए अखंड सौभाग्य और सुख-समृद्धि की प्राप्ति के लिए इन चीजों का दान अवश्य करें। इसके अलावा आप मेहंदी, चुड़ियां, बिंदी आदि भी मां पार्वती को पूजा के दौरान अर्पित करें। 

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मां पार्वती ने रखा था सबसे पहले करवा चौथ का व्रत| Karwa Chauth Mein Kis Devi Ki Puja Hoti Hai

पौराणिक कथाओं के मुताबिक, करवा चौथ का व्रत सबसे पहले माता पार्वती ने अपने पति भगवान शिव के लिए रखा था। माता पार्वती ने भगवान शिव को पाने के लिए कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को निर्जला व्रत रखा था। इस व्रत के बाद ही उनका विवाह शिव के साथ हुआ था।  कहते हैं कि इस व्रत के प्रभाव से ही माता पार्वती को अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त हुआ था और तभी से सुहागिन महिलाएं पति की लंबी उम्र और अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद पाने के लिए करवा चौथ का व्रत रख रही हैं। करवा चौथ की पूजा में दो करवे रखे जाते हैं। इनमें से एक करवा, देवी मां का होता है और दूसरा सुहागिन महिला का। 

करवाचौथ पर मां पार्वती और भगवान शिव की पूजा 

बहुत से लोगों के मन में यह सवाल आता है कि करवाचौथ के दिन किसकी पूजा की जाती है तो बता दें कि इस दिन भगवान शिव, माता पार्वती, कार्तिकेय, गणेश, और चंद्रमा की पूजा की जाती है। करवा चौथ का व्रत अनादि काल से चली आ रही परंपरा है। महिलाएं इस दिन बिना जल और अन्न के दिनभर व्रत रखती हैं। भगवान शिव और माता पार्वती की विधिवत पूजा की जाती है। पूजा के लिए बालू या सफ़ेद मिट्टी की वेदी बनाकर सभी देवी-देवताओं को स्थापित किया जाता है। मां पार्वती को सोल्ह-श्रृंगार, जैसे मेहंदी, महावर, सिंदूर, कंघा, बिंदी, चुनरी, चूड़ी, और बिछुआ आदि अर्पित किया जाता है। करवा चौथ की पूजा में करवा माता को भी पूजा जाता है। करवा चौथ की रात सुहागिन महिलाएं छलनी से चांद देखती हैं और अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं। शाम को चंद्रमा की पूजा के बाद पति के हाथों से पानी पीकर व्रत खोला जाता है। कहा जाता है कि करवा चौथ के दिन चंद्रमा से अमृत की वर्षा होती है।

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करवा चौथ के व्रत की कथा|  Karwa Chauth Ki Vrat Katha

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, करवा चौथ के व्रत की कथा देवी करवा और उनके पति से जुड़ी है। देवी करवा अपने पति के साथ तुंगभद्रा नदी के पास रहती थीं। एक दिन करवा के पति नदी में स्नान करने गए तो एक मगरमच्छ ने उनका पैर पकड़ लिया और नदी में खिंचने लगा। अपनी मृत्यु करीब देखकर करवा के पति ने करवा को पुकारा। पति की पुकार सुन करवा दौड़कर नदी के पास पहुंचीं तो देवी ने पति का सिर मगर के मुंह में देखा। देवी करवा ने एक कच्चा धागा लेकर मगरमच्छ को एक पेड़ से बांध दिया। करवा के सतीत्व के कारण मगरमच्छ कच्चे धागे में बंधा गया लेकिन करवा के पति और मगरमच्छ दोनों के प्राण संकट में फंसे थे।

करवा ने यमराज देव को पुकारा और पति को जीवनदान देनेका आग्रह किया लेकिन यमराज देव ने करवा से कहा- मैं ऐसा नहीं कर सकता क्योंकि अभी मगरमच्छ की आयु शेष बची है और तुम्हारे पति की आयु पूरी हो चुकी है। क्रोधित होकर देवी करवा ने यमराज से कहा, अगर आपने ऐसा नहीं किया तो मैं आपको श्राप दे दूंगी। सती के श्राप से भयभीत होकर यमराज देव ने तुरंत मगरमच्छ को यमलोक भेज दिया और करवा के पति को जीवनदान दिया इसलिए करवाचौथ के व्रत में सुहागन स्त्रियां करवा माता से प्रार्थना करती हैं कि हे करवा माता जैसे आपने अपने पति को मृत्यु के मुंह से वापस निकाल लिया वैसे ही मेरे सुहाग की भी रक्षा करना।

नोटः ये सारी जानकारी इंटरनेट ज्योतिष सुझाव से दी गई हैं। 


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Content Writer

Vandana

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