Karwa Chauth: ऐसी 8 चीजें, जिसके बिना अधूरा है महिलाओं का व्रत

punjabkesari.in Tuesday, Nov 03, 2020 - 11:49 AM (IST)

कल सभी सुहागिन महिलाएं और अच्छा वर पाने के लिए कुवांरी लड़कियां करवा चौथ का व्रत रखेंगी। पति की लंबी उम्र के लिए महिलाएं पूरी निष्ठा से निर्जला करवा चौथ व्रत रखती हैं। मगर इस व्रत के कुछ नियम व रिवाज है, जिनका पालन बहुत ही जरूरी माना जाता है। हम आपको कुछ ऐसी चीजों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनके बिना करवा चौथ का व्रत अधूरा माना जाता है।

सरगी का उपहार

करवा चौथ के व्रत की शुरूआत सरगी से होती है। हर सास अपनी बहू को सरगी देती है, जिससे वो अपने व्रत की शुरूआत करती है। इसके बिना करवा चौथ का व्रत अधूरा माना जाता है। अगर आपकी सास नहीं है या किसी कारण वह आपको सरगी नहीं दे सकती है तो आप घर की अन्य बुजुर्ग महिला से सरगी ले सकती हैं।

निर्जला व्रत का विधान

यह व्रत निर्जल होती है, जिसमें पानी तक पीने की मनाही होती है। इस दौरान कुछ भी खाना व पीना वर्जित माना जाता है। हालांकि गर्भवती, बीमार और स्तनपान कराने वाली महिलाएं दूध, चाय, जल आदि ग्रहण कर सकती हैं।

शिव और गौरी की पूजा

व्रत में सुबह श्री गणेश, भगवान शिव और माता गौरी की पूजा की जाती है, ताकि आपको अखंड सौभाग्य, यश एवं कीर्ति का आशीर्वाद मिले। जो महिलाएं ऐसा नहीं करती उनका व्रत अधूरा माना जाता है।

शिव-गौरी की मिट्टी की मूर्ति

व्रत पूजन के लिए शुद्ध पीली मिट्टी से शिव, गौरी एवं गणेश जी की मूर्ति बनाकर चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर स्थापित किया जाता है। माता गौरी को सिंदूर, बिंदी, चुन्नी तथा भगवान शिव को चंदन, पुष्प, वस्त्र आदि पहनाते हैं। फिर दूसरे दिन करवा चौथ की पूजा संपन्न होने के बाद घी-बूरे का भोग लगाकर उन्हें विसर्जित करते हैं। हालांकि आजकल महिलाएं बाजार से बनी-बनाई मूर्ति ले आती हैं।

करवा चौथ की कथा

शाम के समय में महिलाएं मंदिर या घर में एकत्र होकर करवा चौथ व्रत कथा सुनती है, जो सबसे जरूरी है। अगर आप किसी कारण कथा न सुन पाए तो आपका व्रत अधूर माना जाएगा इसलिए इस दौरान कथा जरूर सुनें।

थाली फेरना

करवा चौथ की कथा सुनने के बाद सभी महिलाएं सात बार थालियां फेरती हैं। पूजा के बाद सास के चरण छूकर उन्हें बायना भेंट स्वरूप दिया जाता है। ऐसा न करने वाली महिलाओं का व्रत भी पूरा नहीं माना जाता।

करवे और लोटे को सात बार फेरना

इस व्रत में कई सारे नियम है, जिसमें से करवा व लोटा फेरना भी एक है। व्रत कथा पूरी होने के बाद महिलाएं थाली फेरती है, ताकि घर में सभी प्रेम के बंधन में मजबूती से जुड़े रहें।

पति खोलते हैं व्रत

सुहागन महिलाएं छलनी में पहले दीपक रखती हैं, फिर इसके बाद चांद को और फिर अपने पति को देखती हैं। इसके बाद पति अपनी पत्नी को पानी पिलाकर और मिठाई खिलाकर व्रत खुलवाते हैं। अगर आपका पति विदेश या आपसे दूर है तो आप उसकी फोटो देखकर व्रत खोल सकती हैं।

Content Writer

Anjali Rajput