कार्तिक पूर्णिमा: इन घाटों पर स्नान व दीपदान करने का होता है महत्व
punjabkesari.in Thursday, Nov 26, 2020 - 06:01 PM (IST)
हिंदूओं का पवित्र महीना कार्तिक मास चल रहा है। मान्यता है कि इस दौरान दीपदान व गंगा स्नान करने से जीवन में चल रही परेशानियां दूर होकर आर्थिक लाभ होता है। मास के अन्य में कार्तिक पूर्णिमा के दिन पर गंगा स्नान करने का विशेष महत्व होता है। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष में आने वाली पूर्णिमा कार्तिक पूर्णिमा के नाम से जानी जाती है। इस शुभ दिन भारत देश के सभी गंगा घाटों पर लोग स्नान करने आते हैं। ऐसे में इन जगहों पर हजारों की तादार में भीड़ जमा होती है। तो चलिए बताते हैं इस बारे में विस्तार से...
उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर में दिखती है धूम
कार्तिक पूर्णिमा का यह शुभ दिन दिवाली से करीब 15 दिन बाद आता है। इस साल यह पर्व 30 नवंबर दिन सोमवार को मनाया जाएगा। इसे खासतौर पर उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। ऐसे में वहां की रौनक देखने लायक होती है। मान्यता है कि इस दौरान देवी-देवता काशी की धरती पर आते हैं। साथ ही भक्तों के दुखों को दूर करते हैं। साथ ही सच्ची श्रद्धा से मांगी गई मन्नते पूरी की जाती है। इसके कारण काशी में बड़ी मात्रा में यात्री पहुंचते हैं।
पंचगंगा घाट से शुरू हुई देव दीपावली मनाने की परंपरा
सभी घाटों पर दीये जलाकर उन्हें रोशन किया जाता है। इन दिन देवी-देवताओं की दिवाली मानी जाती है। ऐसे में गंगा घाटों दिवाली की तरह दीपक जलाकर सजाया जाता है। सभी जगह पर रौनक ही रौनक देखने को मिलती है। बात अगर पंचगंगा घाट की करें तो यहां की रौनक कुछ अलग ही दिखाई देती है। यह घाट वाराणसी में बसा गंगा नदी का घाट है। यहां पर इस शुभ दिन को देव दीपावली कहा जाता है। कहा जाता है कि इस शुभ दिन को सबसे पहले इसी जगह पर सन 1915 में मनाया गया था। तब वहां पर हजारों दीपक जलाकर दिवाली की तरह चारों तरफ रोशनी की गई थी। उसके बाद ही देव दीपावली मनाने की परंपरा शुरू हो गई।
घाटों पर देखती है अलग ही रौनक
इस दिन गंगा घाट पर हजारों की गिनती में श्रद्धालु जमा होते हैं। गंगा स्नान करने के बाद दीप जलाएं जाते हैं। माना जाता है कि दीपक जलाने से जीवन में किए गए पाप दूर हो सुख-समृद्धि व खुशहाली मिलती है। वाराणसी के बहुत से ऐसे घाट है जहां पर देश-विदेश से लोग डुबकी लगाने आते हैं। वाराणसी में करीब 100 घाट है साथ ही उनमें से केदार घाट, प्रयाग घाट, अस्सी घाट, ललिता घाट, सिंधिया घाट, अहिल्याबाई घाट, नारद घाट, चेतसिंह घाट, तुलसी घाट, हरिश्चन्द्र घाट, मुंशी घाट, दशाश्वमेध घाट आदि घाटों पर देश-विदेश से लोग आकर इस दिन को मनाने आते हैं।