कार्तिक पूर्णिमा पर वाराणसी के इन घाटों पर स्नान व दीपदान करने का विशेष महत्व
punjabkesari.in Thursday, Nov 18, 2021 - 03:55 PM (IST)
हिंदू धर्म में कार्तिक मास सबसे पवित्र माना जाता है। इस दौरान आने वाली देवउठनी एकादशी में भगवान विष्णु करीब 4 महीने की योग निद्रा से जागते हैं। धार्मिक मान्यताओं अनुसार, इस दौरान दीपदान, दान और गंगा स्नान का विशेष महत्व है। माना जाता है कि ऐसा करने से जीवन की समस्त समस्याएं दूर होकर सुख-समृद्धि का आगमन होता है। इस मास में आने वाली पूर्णिमा को देव दीपावली भी कहते हैं। इस साल यह शुभ दिन 19 नवंबर 2021, दिन शुक्रवार को पड़ रहा है। इस शुभ अवसर पर देश के गंगा घाटों में लोग खासतौर पर स्नान करने जाते हैं। मगर वाराणसी के कई घाटों में अलग ही रौनक देखने को मिलती है। आइए जानते हैं इसके बारे में...
उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर में अलग ही धूम
इस शुभ दिन पर दीपदान के साथ स्नान करने का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यताओं अनुसार, इस खास अवसर पर देवी-देवता काशी की धरती पर आकर देव दिपावली मनाते हैं। ऐसे में उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर में अलग ही धूम देखने को मिलती है। वहीं देशभर से लोग यहां पर स्नान व दीपदान करने आते हैं। मान्यता हैं कि सच्ची श्रद्धा से मांगी गई मनोकामना भगवान जल्दी ही पूरी करते हैं।
पंचगंगा घाट से शुरू हुई देव दीपावली मनाने की परंपरा
कार्तिक पूर्णिमा की शाम सभी घाटों को दीयों से रोशन किया जाता है। बता दें, इस दौरान सभी गंगा घाट दीपावली की तरह सजाए जाते हैं। हर जगह भगवान जी के प्रति भक्तों की आस्था दिखाई देती है। वहीं पंचंगगा घाट की रौनक सबसे अलग होती है। यह पवित्र स्थल वाराणसी में बसा गंगा नदी का घाट है। यहां पर कार्तिक पूर्णिमा को देव दीपावली के नाम से जाना जाता है। कहते हैं कि इस शुभ दिन को सबसे पहले 1915 में इसी घाट पर मनाया गया था। उस समय यहां पर हजारों दीपक जलाए गए थे। फिर उसी दिन से देव दीपावली मनाने की परंपरा शुरू हो गई।
घाटों पर देखती अलग ही रौनक
कार्तिक पूर्णिमा यानि देव दीपावली के दिन गंगा घाट पर हजारों की गिनती में भक्त पहुंचते हैं। लोग गंगा स्नान के बाद दीप जलाते हैं। धार्मिक मान्यताओं अनुसार, दीये जलाने से जीवन के सभी पाप दूर हो जाते हैं। साथ ही घर व जीवन में सुख-समृद्धि व खुशियों का वास होता है। बता दें, वाराणसी में करीब 100 घाट है। इसके साथ ही इस दिन इनमें से केदार घाट, मुंशी घाट, दशाश्वमेध घाट, प्रयाग घाट, सिंधिया घाट, अहिल्याबाई घाट, नारद घाट, अस्सी घाट, ललिता घाट, चेतसिंह घाट, तुलसी घाट, हरिश्चन्द्र घाट आदि स्थलों पर देश-विदेश से लोग आकर कार्तिक पूर्णिमा की शुभ तिथि मनाते हैं।