बर्थडे पर कुलदेवी से आशीर्वाद लेने पहुंची कंगना रनौत, अम्बिका माता मन्दिर से है एक्ट्रेस का खास लगाव
punjabkesari.in Friday, Mar 24, 2023 - 05:05 PM (IST)
बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत ने कल अपना 36वां जन्मदिन मनाया। इस मौके पर वह उस जगह गई जहां से उनका खास लगाव है। हम बात कर रहे हैं राजस्थान के अम्बिका माता मंदिर की जहां से बॉलीवुड की पंगा गर्ल को खिलाफ लड़ने की ताकत मिलती है। यही कारण है कि जब भी मौका मिलता है वह मां का आशीर्वाद लेने इस मंदिर में पहुंच ही जाती है।
कंगना उदयपुर जिले की जगत में स्थित अंबिका माता मंदिर में विशेष आस्था रखती हैं। अपने जन्मदिन पर देवी से आशीर्वाद लेकर उन्होंने खुद को धन्य महसूस किया। एक्ट्रेस का जन्मदिन चैत्र नवरात्रि के दूसरे दिन पड़ा, एसे में वह यहां पहुंचर बेहद खुश थी। उन्होंने मंदिर से एक वीडियो शेयर कर लिखा-"मेरा जन्मदिन द्वितीया नवरात्रि पर आया, क्योंकि मैं व्रत रख रही हूं, मैं उदयपुर में हमारी कुलदेवी अंबिका जी के मंदिर गई और वहां पूजा की, सबको नवरात्रि की शुभकमनाएं..।"
मिनी खजुराजों के नाम से प्रसिद्ध जगत अंबिका मंदिर दसवीं शताब्दी में बनाया गया है। यह ऐतिहासिक मंदिर उदयपुर से लगभग 50 किमी की दूरी पर स्थित है। इतिहासकारों का मानना है कि यह स्थान 5 वीं व 6 ठीं शताब्दी में शिव शक्ति सम्प्रदाय का महत्वपूर्ण केन्द्र रहा था। इसका निर्माण खजुराहो के लक्ष्मण मंदिर से पूर्व लगभग 960 ई. के आस पास माना जाता है। मंदिर के स्तम्भों के लेखों से पता चलता है कि 11वीं सदी में मेवाड़ के शासक अल्लट ने मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था।
राजस्थान का खजुराहो कहा जाने वाले इस मंदिर का परिसर करीब 150 फुट लंबा है तथा ऊँचे परकोटे से घिरा है। मंदिर के ऊपर विभिन्न रूपो में देवी देवताओं की प्रतिमाओं, सुर सुंदरियों एवं लोगों के जन जीवन के दृश्यों की चित्ताकर्षक प्रतिमाओं से सुसज्जित है। खजुराहो शैली से बना यह मंदिर अपनी अलग पहचान रखता है. इसी लिए यहां वर्ष भर देशी विदेशी पर्यटकों का आना जाना रहता है।
नवरात्रि के पावन पर्व में तो इस मंदिर में रौनक देखने लायक होती है। अंबिका माता कंगना रनौत की कुलदेवी हैं, इसी के चलते वह अपने परिवार के साथ साल में दो से तीन बार अंबिका माता के दर्शन करने यहां जरूर आती है। 2020 में अपने भाई की शादी के दौरान भी उन्होंने सपरिवार के साथ माता के दर्शन किए थे। कंगना ने बताया था कि करीब डेढ़ सौ साल पहले उनके पूर्वज यहीं रहते थे। फिर यहां से हिमाचल के मंंडी जाकर बस गए, मगर इस मंदिर में कंगना के परिवार की आज भी गहरी आस्था है।