बड़ी गरीबी में गुजरा कादर का बचपन, रात को कब्रिस्तान में जाकर करते थे यह काम

punjabkesari.in Tuesday, Oct 22, 2019 - 05:49 PM (IST)

कादर खान को हिंदी सिनेमा का नायाब हीरा कहा जाए तो इसमें कुछ गलत नहीं होगा। आज भले ही कादर खान इस दुनिया में ना हो लेकिन उनकी चमक सदियो तक लोगों के जहन में बरकरार रहेगी। आज का दिन काफी खास हैं क्योंकि आज ही के दिन कादर खान का जन्म हुआ था। चलिए उनके जन्मदिन के मौके पर जानते है उनकी जिंदगी से जुड़ी कुछ बातें...

कादर खान का जन्म 22 अक्टूबर, 1937 को अफगानिस्तान के काबुल में हुआ था लेकिन अपना गुजर-बसर करने के लिए उनकी फैमिली मुंबई में शिफ्ट हो गई थी हालांकि यहां भी उन्हें घर का खर्च करने के लिए कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा। मुंबई में कादर खान और उनके परिवार को एक गंदी बस्ती में रहना पड़ा। गरीबी इतनी थी कि खाने तक के लाले पड़ गए थे। कई बार तो कादर खान को खाली पेट सोना पड़ता था। जब वह बहुत छोटे थे तभी उनके मां-बाप अलग हो गए। इसके बाद तो जैसे कादर खान पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। पिता के छोड़ने के बाद उनकी मां की जबरदस्ती दूसरी शादी करा दी गई।

गरीबी और दुखों के कारण कादर को अपना छोटी उम्र में ही अपना स्कूल छोड़ना पड़ा और बस्ती में ही एक मिल में काम करने लगे लेकिन उनकी मां के जौर लगाने पर कादर खान ने फिर से पढ़ाई शुरू की। मां की बदौलत कादर इंजिनियर बन गए और मुंबई के एक कॉलेज में इंजिनियरिंग के छात्रों को पढ़ाने लगे।कादर एक किस्सा ये है कि कादर खान बचपन में रात के वक्त कब्रिस्तान जाया करते थे। रिपोर्ट्स की माने तो कादर वहां जा कर रियाज करते थे। ऐसे ही एक दिन वे वहां रियाज कर रहे थे कि अचानक एक टॉर्च की लाइट उनके चेहरे पर आई। टॉर्च की रोशनी करने वाले आदमी ने पूछा कि वे यहां क्या कर रहे हैं?खान ने जवाब में कहा मैं यहां रियाज कर रहा हूं। मैं दिनभर में जो भी अच्छा पढ़ता हूं रात में उसका यहां आकर रियाज करता हूं। सवाल करने वाला शक्स उनसे काफी प्रभावित हुआ और उन्हें नाटकों में काम करने की सलाह दी। खास बात थी उन्होंने अपनी जिंदगी के इस वाकया को साल 1977 में आईं फिल्म 'मुकद्दर का सिकंदर' की स्क्रीप्ट में अहम सीन दिया था।

हालांकि कादर कॉलेज में अक्सर नाटकों में भाग लिया करते थे जिसके चलते एक्टर दिलीप कुमार की नजर कादर खान पर पड़ी और उन्होंने कादर को अपनी फिल्म में साइन कर लिया। बस यहीं से उनकी किस्मत के दरवाजे खुल गए। फिर कादर ने 1973 में आई दाग से अपने फिल्मी करियर की शुरूआत की। कादर खान ने अपने करियर में 300 से भी ज्यादा फिल्मों में काम किया और 1 हजार से भी ज्यादा फिल्मों के डायलॉग लिखे। खबरों की मानें तो अमिताभ बच्चन को भी कादर की बदौलत ही इतना बड़ा मुकाम हासिल हुआ लेकिन कादर का करियर खत्म होने के पीछे अमिताभ का ही बड़ा हाथ रहा जिसका जिक्र एक बार खुद कादर खान ने किया था। उन्होंने कहा था कि अगर मैं अमित को सर जी कहकर बुलाना शुरू कर देता तो मेरा करियर यूं एकाएक खत्म न हो जाता।

उस वक्त फिल्म इंडस्ट्री को गहरा सदमा लगा जब 2018 में कादर खान इस दुनिया को छोड़कर चले गए। वह सुप्रान्यूक्लियर पाल्सी नाम की एक बीमारी से ग्रस्त थे। इस बीमारी के कारण उनका चलना-फिरना बंद हो गया था। 2015 से वह हमेशा ही वीलचेयर पर रहने लगे थे। इतना ही नहीं उनकी याददाश्त भी जाने लगी थी और लंबे समय के इलाज के बाद वो दुनिया को अलविदा कह गए, मगर उनके डॉयलाग व किरदार लोगों आज भी याद रखते है।

Content Writer

Sunita Rajput