Johnson & Johnson पाउडर से कैंसर का खतरा, फिर भी कंपनी बेच रही प्रोडक्ट्स
punjabkesari.in Thursday, Jul 29, 2021 - 01:03 PM (IST)
जॉनसन एंड जॉनसन कंपनी अपने प्रोडेक्ट को लेकर एक बार फिर से सुर्खियों में है। दरअसल हाल ही में खबरें सामने आई थी कि जॉनसन एंड जॉनसन कंपनी के बेबी पाउडर के इस्तेमाल से कैंसर होने का खतरा है, इतना ही नहीं जॉनसन एंड जॉनसन कंपनी की सनस्क्रीन को लेकर भी बवाल हो चुका है।
वहीं अब अमेरिका में अश्वेत महिलाओं के एक ग्रुप नेशनल काउंसिल ऑफ नीग्रो वुमन ने जॉनसन एंड जॉनसन के खिलाफ मुकदमा दायर किया है। जिसमें आरोप लगाया गया है कि कंपनी ने यह जानते हुए भी कि उसके पाउडर से डिम्बग्रंथि (ovarian) कैंसर हो सकता है इसके बावजूद धोखेबाजी से मार्केटिंग कर इसे अश्वेत महिलाओं को बेचने पर जोर दिया गया।
काउंसिल के मुताबिक, जॉनसन एंड जॉनसन ने नस्लीय मानसिकता (racial mindset) के साथ अमेरिका की अश्वेत महिलाओं (black women) को पाउडर व उससे संबंधित प्रोडक्ट बेचे,जबकि कंपनी को पहले से पता था कि यह सभी प्रोडक्ट अश्वेत महिलाएं इस्तेमाल तो कर सकती हैं लेकिन अगर उन्हें कोई भी बीमारी हुई तो बाकी महिलाओं के मुकाबले कहीं ज्यादा मुश्किलें झेलनी पड़ सकती है।
अमेरिका में ब्लैक वूमेन को समय पर नहीं मिल पाती मेडिकल सुविधाएं
जानकारी के लिए बतां दें कि अमेरिका में अश्वेत महिलाओं को जल्द मेडिकल सुविधाए नहीं मिल पाती, इतना ही नहीं ज्यादातर महिलाओं का मेडिकल इंश्योरेंस भी नहीं होता।
फैमिली एलीगेशन
वहीं, काउंसिल की प्रवक्ता वांडा टिडलाइन ने इन खबरों के बीच जानकारी देते हुए बताया कि उन्हें 2012 में ओवेरियन कैंसर हुआ जबकि उनके परिवार के इतिहास में कोई भी इस बीमारी का शिकार नहीं हुआ। उन्होंने बताया कि वह पिछले कई सालों से जॉनसन एंड जॉनसन का बेबी पाउडर इस्तेमाल कर रही थीं क्योंकि कंपनी अपने विज्ञापनों में इसे सेफ और प्रोटेक्ट बताती आई है।
कंपनी पर दर्ज है 25 हज़ार केस, सेटलमेंट के लिए हर साल खर्च करती हैं 4,000 करोड़ रुपए
वहीं जानकारी के लिए आपकों बतां दें कि जॉनसन एंड जॉनसन कंपनी पहले से ही करीब 25,000 केस अपने पाउडर और इससे जुड़े उत्पादों की वजह से झेल रहा है। इनमें आरोप है कि इन उत्पादों की वजह से महिलाओं में ओवेरियन कैंसर व मेसोथेलियोमा जैसी बीमारियों की शिकार हुईं है। इतना ही नहीं इन प्रोडक्ट के इस्तेमाल से कई महिलाओं ने तो अपनी जान भी गंवा ली है। वहीं इन सब के बीच कंपनी हर साल 4,000 करोड़ रुपए ऐसे मुकदमों पर सेटलमेंट करने के लिए खर्च करती हैं।
पहली बार नहीं है कंपनी द्वारा अल्पसंख्यक समुदायों को निशाना बनाना
बतां दें कि जॉनसन एंड जॉनसन द्वारा अल्पसंख्यक समुदायों (minority communities) को निशाना बनाने का यह आरोप कोई नया नहीं हैं। कंपनी द्वारा अश्वेत महिलाओं को 1992 से ही लक्ष्य बनाकर ज्यादा से ज्यादा मात्रा में पाउडर बेचने की कोशिश होती रही। कंपनी के अंदरुनी दस्तावेजो में इन महिलाओं को ऐसा अवसर बताया गया जिन्हें वे अपने उत्पाद बड़ी मात्रा में बेच सकते हैं। महिलाओं को सलून से लेकर चर्च और संगीत कार्यक्रमों से लेकर रेडियो विज्ञापनों तक में पाउडर बेचने की कोशिश की गई।
वहीं अब न्यू जर्सी की स्टेट अदालत में यह मुकदमा करने वाली महिलाओं ने कंपनी को निर्देश देने की मांग की है कि वह अश्वेत महिलाओं में कैंसर की शुरुआती जांच के लिए सेवाएं दे। साथ चिकित्सा निगरानी व्यवस्था बनाए।
जॉनसन एंड जॉनसन की सफाई
वहीं जॉनसन एंड जॉनसन की प्रवक्ता किम मोंटागिनो ने एक बयान में कहा कि हमारी कंपनी के खिलाफ लगाए जा रहे आरोप झूठे हैं, और यह विचार कि हम उद्देश्यपूर्ण और व्यवस्थित रूप से एक समुदाय को बुरे इरादों के साथ लक्षित करेंगे। यह सभी बयान अनुचित और बेतुका है।
कंपनी पर लगा है हजारों करोड़ रुपये का जुर्माना
जानकारी के लिए बतां दें कि कंपनी ने पिछले साल उत्तरी अमेरिका में अपने बेबी पाउडर के प्रोडक्ट को यह कह कर बिक्री बंद कर दी थी कि वहां प्रोडक्ट की डिमांड कम है जबकि असल वजह प्रोडक्ट कैंसरकारी थे। जिसके के लिए 22 महिलाओं द्वारा दायर मुकदमे में कंपनी पर हजारों करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगा है।