कहीं आपके बच्चे को तो नहीं लग रही ई-सिगरेट की लत, तुरंत सुधार लें उसकी आदतें

punjabkesari.in Sunday, Apr 10, 2022 - 12:26 PM (IST)

स्वास्थ्य पर ई-सिगरेट के प्रभावों को जानने के लिए की गई एक प्रमुख समीक्षा के अनुसार सार्वजनिक स्वास्थ्य के पैरोकारों ने यह आशंका जताई है कि स्कूल जाने वाले बच्चों में ई-सिगरेट का बढ़ता उपयोग युवावस्था में उन्हें धूम्रपान की लत की तरफ ले जाने का प्रारंभिक संकेत है और सभी उम्र के लोगों को ई-सिगरेट के कश लेना प्रत्यक्ष स्वास्थ्य नुकसान पहुंचाता है। इस रिपोर्ट को संघीय स्वास्थ्य विभाग द्वारा कमीशन किया गया था और ऑस्ट्रेलियाई राष्ट्रीय विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं द्वारा तैयार किया गया था। कुल मिलाकर, यह पाया गया कि ई-सिगरेट से होने वाले स्वास्थ्य जोखिम किसी भी संभावित लाभ से काफी अधिक हैं। समीक्षा के बाद उन लॉबिस्टों को चुप हो जाना चाहिए, जिन्होंने लंबे समय से ई-सिगरेट की बिक्री को बढ़ावा देने के लिए सीमित डेटा का इस्तेमाल किया है।

समीक्षा हमें क्या बताती है?

समीक्षा ने ई-सिगरेट के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों के पीछे के सबूतों को देखा। इन्हें सिगरेट के सुरक्षित विकल्प और धूम्रपान छोड़ने में सहायता के रूप में देखा जाता है।

समीक्षा में पाया गया कि इस बात के निर्णायक क्लिनिकल ​​सबूत हैं ई-सिगरेट तीव्र (अल्पकालिक) फेफड़ों को नुकसान, जलन, दौरे का कारण बनते हैं, और इनके लगातार उपयोग से इनकी लत लग जाती है।

ई-सिगरेट गले में जलन और मतली जैसे कम गंभीर नुकसान भी पहुंचाते हैं।

ई-सिगरेट इनडोर वातावरण में हवा में छोटे कणों का उत्पादन करते हैं (संभावित रूप से गैर-उपयोगकर्ताओं को नुकसान पहुंचाते हैं)।

सबूतों के बीच समीक्षा मजबूत रूप से इस बात की पुष्टि करती है कि ई-सिगरेट के उपयोग के पैटर्न पहली बार सामने आने के बाद से तंबाकू नियंत्रण विशेषज्ञ चिंतित हैं।

जो लोग कभी धूम्रपान नहीं करते हैं , यदि वे ई-सिगरेट का उपयोग करते हैं, तो उनके धूम्रपान करने की संभावना तीन गुना अधिक होती है, उन लोगों की तुलना में जिन्होंने कभी ई-सिगरेट का उपयोग नहीं किया है।

यह तंबाकू कंपनियों और उनके खुदरा सहयोगियों के लिए बड़े फायदे का सौदा है।


नुकसान और फायदे में तुलना

समीक्षा में पाया गया कि सीमित सबूत ई-सिगरेट व्यक्तियों को धूम्रपान रोकने में सहायता करते हैं। लेकिन यह इस बात के सबूतों से ज्यादा मजबूत नहीं है कि ई-सिगरेट का उपयोग करने से धूम्रपान छोड़ चुके लोगों को फिर से तंबाकू के सेवन की लत लग सकती है।

ई-सिगरेट से किसी भी लाभकारी परिणाम के लिए समीक्षा में कोई निर्णायक या मजबूत सबूत नहीं है।

ई-सिगरेट कुछ व्यक्तियों को धूम्रपान करने से रोकने में मदद कर सकता है। इसलिए उन्हें केवल अधिकृत चिकित्सा पेशेवरों के नुस्खे के माध्यम से उपलब्ध होना चाहिए जो लोगों को धूम्रपान छोड़ने में मदद करने के लिए प्रशिक्षित हैं।

ऑस्ट्रेलियन इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ एंड वेलफेयर के आंकड़ों से पता चलता है कि अपने जीवनकाल में ई-सिगरेट का उपयोग करने की सबसे अधिक संभावना 18 से 24 वर्ष के आयु वर्ग के लोगों में हैं। यह 2016 में 19.2% से बढ़कर 2019 में 26.1% हो गया है।

ई-सिगरेट उपयोग करने वाले, जो बाद में धूम्रपान करने लगते हैं, का दूसरा सबसे बड़ा उपयोगकर्ता समूह 14 से 17 वर्ष के बच्चों का है।

समीक्षा से यह भी पता चलता है कि युवा पुरुष उम्र और लिंग के हिसाब से प्रमुख ई-सिगरेट उपयोगकर्ता समूह हैं।

18-24 आयु वर्ग के ऑस्ट्रेलियाई पुरुष एकमात्र आयु वर्ग हैं, जो ऑस्ट्रेलियाई स्वास्थ्य और कल्याण संस्थान के नवीनतम आंकड़ों पर, तीन साल पहले की तुलना में अधिक दरों पर धूम्रपान कर रहे हैं।


हमें पहुंच सीमित करने की आवश्यकता है

ई-सिगरेट से जो भी लाभ बताए जा सकते हैं, जैसे कि लोगों को धूम्रपान छोड़ने में मदद करना, समीक्षा के अनुसार, इससे होने वाले नुकसान की तुलना में कहीं कम हैं।

दुर्भाग्य से, ई-सिगरेट के नियमन पर सार्वजनिक नीति शक्तिशाली व्यावसायिक हितों से प्रभावित होने के जोखिम में है। जन स्वास्थ्य के हित में इन ताकतों का विरोध किया जाना चाहिए।


बच्चों को ई-सिगरेट से कैसे दूर रखें

सबसे पहले बच्चों से खुलकर बात करें।
उन्हें स्मोकिंग से जुड़े नुकसान के बारे में बताएं।
खुद भी सिगरेट जैसी बुरी आदत से दूर रहें।
बच्चों को अलग-अलग तरह की एक्टिविटी में बिजी रखें।
अपने बच्चों को समझाएं कि सिगरेट एक बुरी आदत है इसे ट्राई करना कूल नहीं बल्कि एक बेवकूफी है।


कैसे काम करती है ई-सिगरेट


ई-सिगरेट  एक ऐसी डिवाइस है जो बैटरी चार्ज करने पर काम करती है। इसमें  निकोटिन और हानिकारक रसायन तरल रूप में एक रिफिल में होते हैं। जिन्हें डिवाइस में फिट किया जाता है।  इसके चलते जब कश लगाते हैं तो हीटिंग डिवाइस इसे गर्म करके भाप में बदल देती है।  इसलिए इसे स्मोकिंग नहीं वेपिंग कहते हैं।  इसका सीधे तौर पर छाती और मस्तिष्क पर  बुरा असर पड़ता है।

 

अगर आपके बच्चे के कपड़े, उनके मुंह और उनकी सांसो से तंबाकू जैसी गंध आती है। अगर बच्चे बार-बार बाहर जाने के लिए बहाने बनाने लगे, या वो वॉशरूम में अपना ज्यादा समय बिताने लगे तब आप ये समझ सकते हैं कि शायद आपके बच्चे को स्मोकिंग की आदत लग चुकी है। स्मोकिंग करने वाले लोगों के हाथ और नाखून पीले पड़ने लगते हैं, उनकी होंठ नीले और काले होने लगते हैं।

(पॉल ग्रोगन, एडजंक्ट सीनियर लेक्चरर, द डैफोडिल सेंटर, सिडनी विश्वविद्यालय; और गाइ मार्क्स, रेस्पिरेटरी मेडिसिन के प्रोफेसर, साउथ वेस्टर्न सिडनी क्लिनिकल स्कूल, यूएनएसडब्ल्यू सिडनी)

Content Writer

vasudha