कोल्हापुरी पहनने के शौकीन नहीं जानते होंगे इस चप्पल की खासियत

punjabkesari.in Tuesday, Apr 17, 2018 - 11:32 AM (IST)

लड़कियां फैशन में लड़कों से ज्यादा अप टू डेट रहती हैं। आउटफिट्स,फुटवियर, ज्वैलरी हो या फिर हेयर स्टाइल लड़कियों को हर चीज परफैक्ट चाहिए लेकिन कुछ फैशन फंड़े कभी भी आउट नहीं होते। हर मौसम और हर समय इन्हें पसंद किया जाता है, इन्हीं में से एक है कोल्हापुरी चप्पलें। भारत में इसका फैशन आज से नहीं बल्कि 13 वीं शताब्दी से चला आ रहा है। जिसे आज के मॉडर्न जमाने में भी खूब पसंद किया जाता है। जिसकी देश ही नहीं बल्कि विदेश में भी बहुत डिमांड है। 


इन चप्पलों को खास तौर पर महाराष्ट्र के कोल्हापुर में डिजाइन की जाती हैं। जिस गांव में ये चप्पलें बनती थी उसी की वजह से इसका नाम कोल्हापुर रख दिया गया। कोल्हापुरी चप्पलों के अलावा इसे कनवली, कपाशी, पायटन, कचकड़ी, बक्कलनवी और पुकारी आदि के नाम से भी जाना जाता है। जो बाद में कोल्हापुरी चप्पलों के नाम से मशहूर हुई। 


1920 में एक सौदागर परिवार ने इन चप्पलों के नए डिजाइन निकाले। बाद में सौदागर परिवार ने इन चप्पलों को बनाने की कला कुछ नए लोगों को भी सिखानी शुरू की। इसके बाद धीरे-धीरे यह चप्पलें देश के अन्य हिस्सों में बेची और पसंद की जाने लगी। 


अलग-अलग पैटर्न में बनाई जाने वाली ये चप्पलें भारत सहित 8 और देशों में भी निर्यात की जाती है। इन्हें बनाने के लिए चमड़ा अधिकतर चेन्नई और कोलकाता से आता है हालांकि आज के समय में चमड़े की जगह कोल्हापुरी चप्पलों को प्लाइवुड से बनाया जाता है जो इतनी ग्रेस फुल नहीं लगती। कोल्हापुरी चप्पलें बनाने की कला दिनों-दिन कम होती जा रही है। ये फुटवियर बनाने वाले कारिगरों की डिमांड है कि सरकार इसके लिए कुछ प्रयास करे और कोल्हापुर में एक फुटवियर डिजाइन संस्थान खोले ताकि इस कला को खत्म होने से बचाया जा सके। 

 


 

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