अंतर्राष्ट्रीय बाल कैंसर दिवस: बच्चे भी होते हैं Cancer का शिकार, ये लक्षण दिखने पर हो जाएं सतर्क

punjabkesari.in Tuesday, Feb 15, 2022 - 02:14 PM (IST)

गलत खानपान व लाइफस्टाइल के कारण बच्चे भी तेजी से बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। इनमें से एक है कैंसर की बीमारी जो बच्चों को भी तेजी से अपनी चपेट में ले रही है। अध्ययन अनुसार, हर साल दुनियाभर में करीब 2 लाख बच्चे कैंसर की चपेट में आकर अपनी जान गवां लेते हैं। वहीं बच्चे तो नासमझ व मासूम होते हैं। ऐसे में पेरेंट्स का फर्ज हैं कि वे बच्चों की देखरेख सही से करें। इसके साथ ही उनकी सेहत में कोई बदलाव आने पर उसे नजरअंदाज करने की जगह तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

हर साल 15 फरवरी को मनाया जाता अंतर्राष्ट्रीय बाल कैंसर दिवस

दुनियाभर के लोगों को कैंसर की गंभीर बीमारी के प्रति जागरूक करने के लिए हर साल 15 फरवरी को International Childhood Cancer Day यानि अंतर्राष्ट्रीय बाल कैंसर दिवस मनाया जाता है। बच्चों की अच्छी सेहत के लिए यह दिन बेहद मायने रखता है।

कैंसर के मामले 25 प्रतिशत से अधिक भारत में

वैसे तो पिछले कई वर्षों से दुनियाभर के लोगों को कैंसर के प्रति जागरुक किया जा रहा है। इसके साथ ही एक्सपर्ट अनुसार समय रहते इस बीमारी को पकड़ लेने से इसका इलाज भी संभव है। मगर फिर भी कैंसर के मामले दुनियाभर में तेजी से बढ़ रहे हैं। खबरों की मानें तो भारत में विश्वभर के बच्चों में होने वाले कुल कैंसर के करीब 25 प्रतिशत मामले देखने को मिल रहे हैं। इसे रोकने के लिए हर किसी को इसके बारे में सही जानकारी होना बेहद जरूरी है। ऐसे में आज हम आपको बच्चों में कैंसर के दिखने वाले लक्षणों के बारे में बताते हैं। ऐसे में इन लक्षणों को नजरअंदाज करने की जगह तुरंत डॉक्टर से संपर्क करने में भलाई है।

चलिए अब हम आपको बच्चों में कैंसर के दिखने वाले लक्षणों के बारे में बताते हैं...

. भूख कम या ना के बराबर लगना

. बच्चे की नींद में कमी आना

. बिना कोई काम कि भी थकाम, कमजोरी महसूस होना

. बुखार आना

. बच्चे का जोड़ों व हड्डियों में दर्द की शिकायत करना

. बार-बार संक्रमण की चपेट में आना

. इम्यूनिटी कमजोर होने लगती है। इसके कारण ठीक होने में समय लगता है।

. सांस लेने में भी दिक्कत होना

. बच्चे के स्वभाव में चिड़चिड़ापन आना


एक्सपर्ट अनुसार, बच्चों को कैंसर होने का मुख्य कारण आमतौर पर उनके जीन में गड़बड़ी माना जाता है। इसके साथ ही इसे रोका नहीं जा सकता है। मगर आप बच्चे के लाइफस्टाइल व खानपान में सुधार और समय-समय पर डॉक्टर से जांच करवाने से इसका इलाज संभव हो सकता है।

pc: freepik

Content Writer

neetu