बच्चे को नींद का अटैक दे सकती है मां-बाप की यह लापरवाही

punjabkesari.in Tuesday, Dec 18, 2018 - 12:25 PM (IST)

अनिद्रा की समस्या का शिकार 50 की उम्र से ज्यादा के लोग होते हैं। आपकी भी यही धारणा है तो आप गलत सोच रहे हैं, आजकल इस परेशानी का शिकार मासूम बच्चे भी होने लगे हैं। अमेरिकन स्लीप फाउंडेशन द्वारा की गई एक रिसर्च के अनुसार, स्कूल जाने वाले बच्चे के लिए कम से 8 घंटे की नींद लेना बहुत जरूरी है लेकिन मॉडर्न लाइफस्टाइल और बढ़ती सामाजिक व शारीरिक समस्याओं के कारण बच्चे बेहतर नींद नहीं ले पाते। जिससे वे अनिद्रा के शिकार हो रहे हैं। इससे उसका शारीरिक विकास रूक सकता है। 

 

अनिद्रा के कारण

इसका सबसे बड़ा कारण लाइफस्टाइल की गड़बड़ी है। देर रात तक जागना और सुबह देर तक सोना या देर से सोना और जल्दी उठ जाना इसकी निशानियां है। देर रात तक टीवी या मोबाइल देखना, ऑनलाइन गेम खेलना, पढ़ाई का बढ़ता बोझ, घर-परिवार की परेशानियां आदि। 

 

मां-बाप हैं इसके लिए जिम्मेदार 

मां-बाप बच्चे की हर जरूरत का खास ख्याल रखते हैं। उसकी पोष्टिक भोजन के साथ-साथ लेटेस्ट गैजेट्स की भी हर जरूरत पूरी की जाती है लेकिन इन सब चीजों के बीच वे बच्चों की अच्छी नींद का ख्याल रखना भूल जाते हैं। जो अनिद्रा की परेशानी को और भी ज्यादा बढ़ा देती है। 

क्यों जरूरी है पर्याप्त नींद? 

नींद के दौरान भी अंदरूनी शारीरिक क्रियाएं काम करती रहती है। इस समय शरीर का पाचन तंत्र, लिवर और किडनी को सही तरह से काम करने का समय मिलता है। इसके साथ ही मस्तिष्क को पर्याप्त ऑक्सीजन भी नींद के दौरान ही मिलती है। जिससे सारे दिन की थकावट दूर होकर मस्तिष्क को अगले दिन के लिए स्फूर्ति और ऊर्जा भी मिलती है।वहीं, पर्याप्त नींद न लेने से बच्चे में ड्रीमिंग स्लीप की अवधि भी कम होने लगती है। जिससे उनकी यादाश्त पर बुरा असर पड़ता है। 

 

अनिद्रा से होने वाली परेशानियां

इससे न सिर्फ बच्चे का मानसिक स्वास्थ्य बल्कि उसके शारीरिक स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ता है। बच्चों में सोते समय सांस संबंधी परेशानी, खर्राटे भरना, टॉन्सिल जैसी शारीरिक समस्याएं भी अनिंद्रा का कारण होती हैं। 

पाचन क्रिया में गड़बड़ी पैदा होना
हमेशा सिर दर्द रहना
बच्चों में चिड़चिड़ापन आना
स्मरण शक्ति कमजोर होना
आंखों में जलन
शारीरिक कमजोरी आना

 

बढ़ सकती है ‘हाइपरएक्टिव नार्कोलेप्सी’ की समस्या

इस पर लक्षणों पर ध्यान न देने पर बच्चे में  ‘हाइपरएक्टिव नार्कोलेप्सी’ (hyperactive narcolepsy) जैसी गंभीर बीमारी के भी होने का खतरा ज्यादा बढ़ जाता है। इस बीमारी में बच्चे को कहीं भी और कभी भी नींद का दौरा पड़ जाता है। इससे उसके गिरने या चोट लगने का डर बना रहता है। 

क्या करें पेरेंट्स? 

बच्चा अगर अनिद्रा की समस्या से घिर रहा है तो इसे नजरअंदाज न करें। इसके लिए पेरेंट्स को थोड़ी मेहनत करनी पड़ेगी। सबसे पहले उसका टाइम टेबल सेट करें, हर काम करने के लिए समय बाधित होना बहुत जरूरी है। पढ़ाई, खेल, टीवी, मोबाइल, खाना आदि का सही समय होगा तो वह समय पर सोएगा और समय पर उठेगा। इससे अनिद्रा की परेशानी काफी हद तक कम होने लगेगी। 

Content Writer

Priya verma