नहीं रहीं देश की पहली महिला हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. पद्मावती, आखिरी वक्त में भी नहीं छोड़ा था काम

punjabkesari.in Tuesday, Sep 01, 2020 - 11:46 AM (IST)

कोरोना के केस लगातार बढ़ते जा रहे हैं बावजूद इसके हमारे कोरोना वॉरियर्स अपनी ड्यूटी से पीछे नहीं हटे हैं और वो लगातार अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं लेकिन अब इसी बीच एक दुखद खबर सामने आई है। भारत की पहली महिला हृदयरोग विशेषज्ञ डॉ. पद्मावती का निधन हो गया है। हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ एस पद्मावती ने 103 वर्ष की आयु में दुनिया को अलविदा कह दिया। खबरों की मानें तो वह कोरोना से संक्रमित थी। 

इस दुखद खबर की जानकारी नेशनल हार्ट इंस्टीट्यूट (एनएचआई) ने दी। डॉ पद्मावती को गॉडमदर ऑफ कार्डियोलॉजी कहा जाता था। उनके निधन से भारत में शोक की लहर है। कईं दिग्गज राजनेता उनकी मौत पर दुख प्रगट कर रहे हैं। 

सांस लेने में हुई तकलीफ 

मीडिया रिपोर्टस की मानें तो उन्हें सांस लेने में दिक्कत हो रही थी वहीं उन्हें बुखार की शिकायत भी और साथ ही वह कोरोना संक्रमित भी पाई गई थी इतना ही नहीं उनके फेफड़ों में निमोनिया भी था और इस कारण से उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। 

NHI की स्थापना की थी 

भारत की पहली महिला हृदय रोग विशेषज्ञ ने 1981 में एनएचआई की स्थापना की थी और उनके इस योगदान के कारण ही उन्हें ‘गॉडमदर ऑफ कार्डियोलॉजी’ की उपाधि दी गई थी।

12 घंटे करती थीं काम 

मीडिया रिपोर्टस की मानें तो महान हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ पद्मावती अपने आखिरी दिनों में भी काम करती रही। अपने काम में सक्रिय रहने वाली डॉ पद्मावती 2015 के अंत तक वे दिन में 12 घंटे और हफ्ते में पांच दिन एनएचआई में काम कर रही थीं। 

मिल चुके हैं कईं अवार्डस 

भारत में पहली कार्डियक केयर यूनिट की स्थापना का श्रेय लेने वाली डॉ पद्मावती को हार्वर्ड मेडिकल इंटरनेशनल अवार्ड के अलावा बहुत से पुरस्कार मिल चुके हैं। उन्हें 1992 में भारत सरकार द्वारा पद्म विभूषण से सम्मानित भी किया जा चुका है।

Content Writer

Janvi Bithal