पहली डेटिंग पर किसे भरना चाहिए बिल? सर्वे में पता चला क्या चाहती हैं भारतीय महिलाएं

punjabkesari.in Thursday, Nov 13, 2025 - 12:22 PM (IST)

डेटिंग प्लेटफ़ॉर्म आइल नेटवर्क द्वारा साझा की गई एक रिपोर्ट के अनुसार, शहरी भारतीय सिंगल्स 2025 तक गंभीर रिश्तों की ओर ज़्यादा झुकाव दिखा रहे हैं।  एक सर्वे में Aisle नामक डेटिंग-प्लैटफॉर्म ने पाया कि 53% भारतीय महिलाएँ पहली डेट पर बिल  आधा-आधा (split the bill) चुकाना पसंद करती हैं। वहीं, 42% पुरुष अभी भी मानते हैं कि पुरुष को पूरा बिल देना चाहिए।  72% सिंगल लोगों का मानना है कि खर्च साझा होना चाहिए। सर्वे में यह भी दिखा कि महिलाएं सिर्फ खर्च की बात नहीं कर रही हैं - वे पहले डेट में स्वतंत्रता, बराबरी और निर्णय-शक्ति की अपेक्षा कर रही हैं। 


 इसका मतलब क्या है?

पारंपरिक समझ थी कि डेट पर पुरुष बिल देगा-  यह अब धीरे-धीरे बदल रही है। महिलाएं अब “आप खाओ, मैं नहीं” वाली स्थिति नहीं चाहतीं, वे चाहती हैं कि शुरुआत से ही रिश्ते में समानता  बनी हो। लेकिन यह भी याद रखें-  यह बदलाव शहरों/शहरी महिलाओं में ज़्यादा देखा गया है, ग्रामीण या पारंपरिक सेटिंग में अभी भी पुरुष-भुगतान वाला मॉडल हो सकता है।

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सुझाव अगर आप डेट पर हैं

पहली डेट में बिल की चर्चा अचानक से न करें, लेकिन यदि सामने वाला कहे “आधा-आधा करते हैं” तो सहज हो जाएं। यदि पुरुष को लगता है कि वह पूरी तरह चुकाएगा, तो हल्के अंदाज में यह प्रस्ताव रख सकते हैं कि “अगर आप चाहें तो मैं अगली बार लेता हूं”  इससे दबाव भी नहीं होगा। अगर महिला कहती है कि वो आधा-आधा चुकाना चाहेंगी, तो इसे सकारात्मक तरीके से लें-  यह बराबरी का संकेत है।  सबसे जरूरी खर्च से ज़्यादा मायने रखता है डेट का व्यवहार, समय पर आना, बात-चीत में इमानदारी। एक सर्वे के अनुसार 51% महिलाएं कहती हैं कि समय का पालन करना “मॉडर्न श्वालरी” है। 


भारतीय महिलाएं- उनकी चाहतें और प्राथमिकताएँ

सर्वे बताती हैं कि 97% महिलाओं को कमिटमेंट  (अर्थात् स्थिर रिश्ते) ज़्यादा मायने रखता है, जबकि “आकस्मिक डेटिंग” की ओर झुकाव बहुत कम है।  लगभग 81% महिलाओं ने कहा है कि उन्हें अविवाहित रहना और अकेले रहना भी ठीक लगता है- यानी शादी या साथी चुनने में जल्दबाजी नहीं। 29% महिलाएं कहती हैं कि वे “परफेक्ट शादी+हैप्पिली एवर आफ्टर” की दबाव वाली सोच से राहत महसूस कर रही हैं। 18% महिलाओं ने कहा कि उन्हें अपने साथी में “समान रीति-रिवाज, संस्कृति” होना चाहिये।  एक सर्वे में 70% से ज़्यादा महिलाएं कहना स्वीकार नहीं करती कि वे रिलेशनशिप में पहला कदम खुद उठाएं- वे चाहती हैं पुरुष पहल करे। 

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इनसे यह क्या पता चलता है?

महिलाओं की चाहत अब “अक्स्युअल डेटिंग” से हटकर “वास्तविक, स्थिर, भरोसेमंद साथी” की ओर बढ़ रही है। उन्हें अपने निजी जीवन, करियर, स्व-निर्णय का महत्व है -  इसलिए वे जल्दी-जल्दी रिश्ते बनाने में नहीं हैं। पारंपरिक भूमिका (महिला को इंतजार करना, पुरुष पहल करना) अभी पूरी तरह खत्म नहीं हुई है - बल्कि उसमें बदलाव आ रहा है। “म casual रिलेशनशिप चाहती हूं” का ट्रेंड बहुत ज़्यादा देखने को नहीं मिला - बल्कि यह कि “मैं जान-पहचान में, भरोसेमंद रिश्ते चाहती हूं” वह प्रमुख है।  यह भी दिखता है कि महिलाएँ चाहती हैं कि साथी सिर्फ “मेरा खर्च करेगा” नहीं, बल्कि समान भागीदार हो - भाव, विचार, निर्णय में।


भरोसेमंद रिश्तों की चाहत रखती हैं महिलाएं 

 पहली डेट पर बिल कौन चुकाए, इस मामले में ऐसा नहीं कि एक-सही तरीका है  लेकिन जो साफ़ ट्रेंड है, वो “साझा करना” की ओर है। भारतीय महिलाएं बड़े पैमाने पर कमिटमेंट-ओरिएंटेड हैं-  स्थिर, भरोसेमंद रिश्तों की चाहत रखती हैं। “बस मस्ती-मजाक” वाले रिश्तों का चलन इतना नहीं है जैसा कभी माना जाता था। इसके बावजूद, सामाजिक-संस्कृतिक बैकग्राउंड, शहर/ग्रामीण फर्क, आयु, परिवार का प्रभाव भी तय करता है कि कौन-सी प्रवृत्ति ज्यादा प्रभाव में होगी।
 


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vasudha

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