भारतीय छात्रों के लिए सबसे असुरक्षित है कनाडा, ये देश भी लिस्ट में शामिल
punjabkesari.in Sunday, Feb 04, 2024 - 03:09 PM (IST)
विदेश में जाकर पढ़ना हर किसी बच्चे का सपना होता है लेकिन पिछले 5 सालों में अलग-अलग देशों में 400 से ज्यादा भारतीय छात्रों की मौत के कारण पेरेंट्स डर गए हैं। वहीं हाल ही में विदेश मंत्री एस जयंशकर ने बताया कि अलग-अलग कारणों से विदेश में 5 सालों में 403 भारतीय छात्रों की जान जा चुकी है। विदेश में लगातार हो रही भारतीय छात्रों की मौत ने पेरेंट्स को भी चिंता में डाल दिया है।
अज्ञात कारणों से हो रही है बच्चों की मौत
जहां एक बड़ा सपना लेकर छात्र विदेश में पढ़ाई के लिए जाते थे ऐसे में अब यह खबर सुनकर पेरेंट्स भी बच्चों को बाहर भेजने से डर रहे हैं। पेरेंट्स इस बात को लेकर परेशान है कि आखिर कोई तो वजह होगी जिसके कारण विदेश में लगातार भारतीय छात्रों की विदेश में मौत हो रही है। वहीं भारत सरकार ने साल 2018 से अलग-अलग कारणों से अब तक हुई छात्रों की मौतों का ब्यौरा दिया है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बताया कि पिछले वर्षों में 403 भारतीय छात्रों की विदेश में विभिन्न कारणों से मौत हो गई है।
विदेश में कुल इतने भारतीय छात्रों की मौत
विदेश मंत्री ने कहा कि विदेश में भारतीय छात्रों का कल्याण सरकार की पहली प्राथमिकता है। सरकार ने शुक्रवार को लोकसभा को इस बारे में सूचित किया है कि प्राकृतिक कारणों, दुर्घटनाओं और चिकित्सा स्थितियों जैसे अलग-अलग कारणों से 2018 के बाद से ही विदेशों से भारतीय छात्रों की मौत की कुल 403 घटनाएं दर्ज की गई हैं। इन घटनाओं में 91 मामले कनाडा के हैं और कनाडा पहले नंबर पर है। इसके बाद ब्रिटेन में 48 मामले हैं। जयशंकर ने बताया कि - 'विदेश में भारतीय छात्रों के सामने आने वाले किसी भी मुद्दे प्राथमिकता के आधार पर प्रतिक्रिया देते हैं।'
इस देश में सबसे ज्यादा भारतीय छात्रों की मौत
जयशंकर ने इस दौरान बताया कि 2018 के बाद से विदेश में भारतीय छात्रों की मौत का देश-वार विवरण के आंकड़ों के जरिए पता चलता है। कनाडा में 91 मामलों के साथ शीर्ष पर है। इसके बाद ब्रिटेन में 48, रुस में 40, अमेरिका में 36, ऑस्ट्रेलिया में 35, यूक्रेन में 21 और जर्मनी में 20 भारतीय छात्रों की मौतें हुई हैं। आंकड़ों के अनुसार, साइप्रस में 14, फिलीपींस और इटली 10-10 और कतर, चीन और किर्गिस्तान में नौ-नौ भारतीय छात्रों की मौत हुई है। सभी देशों में मौतों के अलग-अलग कारण हैं।