गोल्ड मेडिलिस्ट एथलीट 'पी.यू. चित्रा' का बचा हुआ खाना खाकर बीता बचपन, जानिए उनकी Inspiring स्टोरी

punjabkesari.in Thursday, Jul 04, 2019 - 06:18 PM (IST)

जीत कभी भी दूसरों पर निर्भर नहीं करती है। यह तो सिर्फ खुद के विश्वास व साहस पर निर्भर होती है। अगर सामने वाले को खुद पर विश्वास है, तो दुनिया की कोई भी ताकत उसे जीत की रेखा को पार करने से रोक नहीं सकती हैं। जीत को हासिल करने में सालों की कड़ी मेहनत तो लगती है लेकिन कुछ पल या सेकंड ही होते है। जो कि हार को जीत व जीत को हार में बदल देते है। अकसर यह पल खेल के मैदान में देखने को मिलते है। ऐसा ही पल 2017 में हुई 22 वीं एशियाई एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में एथलीट पी.यू. चित्रा ने सबके सामने पेश किया था। 

 जी हां, हम बात कर रहे है, एथलीट पी.यू. चित्रा के उस पल की जब उन्होंने अपनी पूरी ताकत के साथ 250 से 300 मीटर की दूरी पर चीनी व जापानी लड़कियों को पीछे छोड़ कर गोल्ड हासिल किया था। भारत के सभी लोगों को चित्रा पर बहुत गौरव है क्योंकि उस समय उन्होंने भारत को तीसरा गोल्ड दिलवाया था। 

बचा हुआ खाना खा कर बीता बचपन 

केरेला के पलक्कड़ में 9 जून 1995 को एथलीट चित्रा का जन्म हुआ था। बचपन में उनका परिवार काफी गरीब था, उनके पिता उन्नीकृष्णन व मां वसंता कुमारी खेतों में मजदूरी करते थे। उनके चार भाई बहन थे। जिस कारण उनका घर खर्च पूरा नहीं होता था। मां बाप को कभी काम मिलता तो कभी नहीं, जब कभी काम नहीं मिलता था, तब किसी का बचा हुआ खाना खाना पड़ता था। चित्रा शुरु से ही मध्यम गति में दौड़ने वाली धावक रही है, लेकिन बचपन में परिवार की हालात के कारण खेल सुविधा का हमेशा आभाव रहता था। 

स्कूल फंड से मिलती थी सहायता 

कई बार घर में खाना न होने के कारण भूखे सोना पड़ता था। लेकिन सुबह उठ कर फिजिकल एजुकेशन की क्लास में जाना कभी नहीं भूलती था। स्कूल टाइम में उसे  रोज केरल स्पोर्ट काउंसल की ओर से रोज के 25 व महीने के 625 रुपए मिलते थे। इसी से वह अपनी बेसिक ट्रेनिंग पूरी करती थी। 

जीत चुकी है कई आवार्ड

 2011 में 1500 मीटर, 3000 मीटर, 5000 मीटर रेस में  कांस्य पदक जीता था।  2012 में 1500 मीटर, 3000 मीटर और 56वें केरल स्टेट स्कूल गेम्स में त्रिशंकु में 5000 मीटर दौड़ में स्वर्ण पदक जीता। इसके बाद 2013 के पहले एशियाई स्कूल एथलेटिक  में 3000 मीटर दौड़ में स्वर्ण पदक जीता। 2019 में एशियन एथलेटिक्स चैंपियनशिप में गोल्ड मैडल जीता।  इसके साथ ही नेशनल व इंटरनेशनल स्तर पर कई ओर भी मैडल जीत चुकी हैं।  


 

Content Writer

khushboo aggarwal