कोविड-19 से बच्चों को सुरक्षित रखने के लिए भारत सरकार ने शुरू की तैयारी

punjabkesari.in Thursday, May 27, 2021 - 05:02 PM (IST)

भारत में दूसरी लहर का प्रकोप अभी तक देखने को मिल रहा है। कोविड के शिकार लोगों को अस्पताल में बैड, ऑक्सीजन सिलेंडर यहां तक की दवाइयों के लिए भी कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है। वहीं कहा जा रहा है कोविड की तीसरी लहर इससे भी ज्यादा बदतर हो सकती हैं। कोरोना की तीसरी लहर,  बच्चों पर हावी होने की आंशका जताई जा रही है। ऐसा होने का अहम कारण यह है कि भारत में 18 साल से ज्यादा उम्र के अधिकतर लोगों को कोविड वैक्सीन मिल चुकी होगी। बच्चों को वैक्सीनेशन नहीं दी जा रही जिसके चलते कोरोना वायरस इंफैक्शन का खतरा उन्हें अधिक रहेगा।
 


 इसी को देखते भारत सरकार द्वारा पहले ही बच्चों के इलाज के लिए अपनी चिकित्सा सुविधाओं को तैयार करने का कार्य शुरू कर दिया गया है। अगर बच्चे को संक्रमित होते हैं तो जाहिर सी बात है  कि बच्चे के साथ माता पिता भी रहें इसलिए पहले से ही माता-पिता के लिए जगह बनाने के लिए बिस्तरों और वार्डों को संशोधित किया जा रहा है। मेडिकल स्टाफ को फिर से प्रशिक्षित किया जा रहा है। 

फोर्टिस अस्पताल के डायरेक्टर व मुंबई और महाराष्ट्र मेंं कोविड टास्ट फोर्स के सदस्य राहुल पंडित का कहना है कि राज्य बच्चों की सुरक्षा के लिए पहले से ही कई छोटे कोविड सेंटर युनिट तैयार कर रहा हैं, वहीं उनके माता-पिता के बैठने के लिए भी एक अतिरिक्त जगह की तैयार की जा रही हैं, ताकि वह इस संकट में अपने बच्चों की देखभाल सुरक्षा पूवर्क कर सकें।



अपोलो अस्पताल के इंफेक्शन डिजीज स्पेशलिस्ट ने दी यह अहम जानकारी

चेन्नई के अपोलो अस्पताल के इंफेक्शन डिजीज स्पेशलिस्ट डॉक्टर सुरेश कुमार ने बताया कि, बच्चों के कोरोना पाॅजिटव आने के बाद पैरेंट्स उन्हें एक अलग कमरे में आईसोलेट कर दें तांकि पूरे घर को संक्रमित होने से बचाया जा सकें। वहीं, 10 से 12 वर्ष से ऊपर के बच्चों के साथ माता-पिता अस्पताल में रह सकते हैं लेकिन एक अलग कमरे में और समय-समय पर एहतियात के साथ बच्चे से मिल सकते हैं। हालांकि अब तक अस्पतालों ने कोविड मरीजों के साथ अभिभावकों को रहने के लिए इजाजत नहीं दी है, जिसके लिए अभिभावकों  इस चुनौती का सामना करना पड़ सकता है। 
 

प्रोटोकॉल के तहत बच्चों का इलाज करना बाल रोग विशेषज्ञों के लिए चुनौती -
चूंकि बच्चों के इलाज के लिए सीमित दवाएं उपलब्ध हैं, इसके लिए एक प्रोटोकॉल के तहत बच्चों का इलाज करना बाल रोग विशेषज्ञों की सर्वोच्च प्राथमिकता है। बच्चों को किस प्रकार की ऑक्सीजन थेरेपी दी जानी चाहिए, अन्य सहायक उपचार क्या हैं, कौन सी दवाएं अनुमेय हैं आदि, इन सब की पहले से तैयारी की जानी चाहिए।
 

हालांकि बाल रोग विशेषज्ञों के अनुसार, यह कहना ठीक नहीं है कि तीसरी लहर सिर्फ बच्चों को ही प्रभावित करेगी, उनका कहना है कि बच्चों को इस साइटोकाइन तूफान का इतना ज्यादा प्रभाव इसलिए नहीं पड़ेगा क्योंकि पहले से ही अभिभावक इस वायरस का अनुभव कर चुके हैं।
 

 

कोविड के दौरान बच्चों को है मल्टीसिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम का खतरा-
लेकिन उन्होंने आगाह करते हुए बताया कि कोविड पाॅजीटिव के दौरान बच्चों में मल्टीसिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम (MIS-C) नामक संक्रमण देखा जा रहा है, यह बहुत ही दुर्लभ लेकिन गंभीर जटिलता है इससे शरीर के विभिन्न अंगों में सूजन हो सकती है, जिसमें गले, गुर्दे, दिमाग, त्वचा और आंखें शामिल हैं।
 

अगर समय पर इलाज किया जाए तो बच्चों को इस सिंड्रोम से बचाया जा सकता है-
इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स के अनुसार, MIS-C की कंडीशन में देखभाल वाले अधिकांश बच्चों के ठीक होने की संभावना है, अगर समय पर इलाज किया जाए, क्योंकि बच्चों का इम्यून सिस्टम औरों के मुकाबले मजबूत होता है । कोरोना महामारी में अब तक किसी बच्चों को ICU की ज़रूरत नहीं पड़ी। IAP ने बताया है कि कोरोना की तीसरी लहर में कमजोर इम्यूनिटी वाले बच्चे ही संक्रमित हो सकते है। IAP ने अपनी एडवाइजरी में कहां है कि 2 से 5 साल के बच्चों को मास्क पहनने से लेकर सोशल डिस्टेंसिंग की ट्रेनिंग दें। वयस्क लोगों को काफी सावधानी की ज़रूरत है। 
 


 

'बच्चा जितना बड़ा, उसमें उतने ज्यादा लक्षण'
दिल्ली स्थित रेनबो अस्पताल में बाल रोग के महानिदेशक डॉ नितिन वर्मा ने प्रभावित बच्चों में वृद्धि के अनुभव पर बताया कि,   बच्चा जितना बड़ा होगा, उसमें उतने ज्यादा लक्षण दिखाई देने की संभावना है।
 

इन बातों का भी रखें खास ध्यान-

- कोविड से संक्रमित 60-70 % बच्चों में लक्षण दिखाई नहीं देते, सिर्फ 1-2 % बच्चों को ही ICU ट्रीटमेंट की जरूरत पड़ती हैं। 

- जो बच्चे पहले से ही हार्ट, शूगर, लीवर,किजनी जैसी बीमरियों से जुझ रहे हैं उन्हें संक्रमण का अधिक खतरा है।

- बच्चे वायरस के सुपर स्प्रेडर नहीं हैं

-कोविड 19 बच्चों के इलाज के लिए एज़िथ्रोमाइसिन, आइवरमेक्टिन, डॉक्सीसाइक्लिन, HCQ, आयुर्वेदिक, होम्योपैथिक आदि दवाओं के उपयोग के लिए कोई वैज्ञानिक प्रमाण मौजूद नहीं है।

- वहीं, घरेलू उपचार में इन दवाओं की कोई भूमिका नहीं है।

Content Writer

Anu Malhotra