कौन थी आजाद भारत की पहली IAS अन्ना राजम मल्होत्रा, जिन्हें औरतों टाइप सर्विस चुनने की मिली थी हिदायत

punjabkesari.in Thursday, Feb 03, 2022 - 01:47 PM (IST)

आजादी के बाद का वो दौर जब एक महिला को IAS के रूप में देखने की ना किसी ने कल्पना की था ना किसी को यह स्वीकार्य था। उस समय समाज की हर बंदिश को तोड़कर अपनी काबलियत सबके सामने पेश की अन्ना राजम मल्होत्रा ने। अन्ना राजम ने ना सिर्फ अपना लक्ष्य पाने का निर्णय किया बल्कि उन्होंने भारत में एक बदलाव लाने की भी शुरूआत की लेकिन उनका यह सफर आसान नहीं था, उनके कदम कदम पर मुश्किलें खड़ी थी। चलिए आपको बताते हैं एक साधारण-सी लड़की का पहली महिला IAS बनने का सफर कैसा रहा...

कौन थी अन्ना राजम मल्होत्रा?

अन्ना का जन्म 1927 में निरानाम, पठानमथिट्टा में ओटावेलिल ओ.ए. जॉर्ज और अन्ना पॉल की बेटी के रूप में हुआ था। वह मलयालम लेखक पाइलो पॉल की पोती थीं। उन्होंने आर एन मल्होत्रा ​​से शादी की, जिन्होंने 1985 से 1990 तक भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर के रूप में कार्य किया। शादी के बाद उनका नाम अन्ना राजम मल्होत्रा हो गया था।

औरतों टाइप सर्विस चुनने को कहा गया

1951 बैच की अन्ना राजम मल्होत्रा एक भारतीय प्रशासनिक सेवा की अधिकारी थी। वह इस पद को धारण करने वाली भारत की पहली महिला थीं। मगर, जब वह IAS इंटरव्यू देने गई तो उन्हें 'औरतों टाइप सर्विस' चुनने की हिदायत दी गई। उन्हें विदेश सेवा और केंद्रीय सेवाओं की पेशकश की गई क्योंकि वे 'महिलाओं के लिए अधिक उपयुक्त' थीं। लेकिन वो टस से मस नहीं हुई और IAS बनने के फैसले पर डटी रही।

अपना हक पाने के लिए उन्होंने कई दलीलें दी और निडर होकर स्वयं के लिए मद्रास कैडर चुना। इसके बाद उन्होंने मुख्यमंत्री सी राजगोपालाचारी के अधीन मद्रास राज्य में सेवा की। यही नहीं, उनके नियुक्ति पत्र में यह भी लिखा गया था, "अगर आपकी शादी होती है तो आपकी सर्विस समाप्त कर दी जाएगी।" हालांकि कुछ समय बाद UPSC नियमों में बदलाव किए गए और फिर ऐसा किसी भी महिला अफसर के साथ नहीं हुआ।

7 मुख्यमंत्रियों के साथ किया काम

अपने कार्यकाल के दौरान अन्ना ने 7 मुख्यमंत्रियों के साथ सहारनीय काम किया। राजीव गांधी के साथ एशियाड प्रोजेक्ट में और कुछ समय के लिए इंदिरा गांधी के साथ काम किया। उन्हें मुंबई के पास देश के आधुनिक बंदरगाह जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट (जेएनपीटी) की स्थापना में योगदान देने के लिए भी जाना जाता है। फांसी के वक्त वह जेएनपीटी की चेयरपर्सन थीं। मल्होत्रा ​​को केंद्र सरकार में उनकी प्रतिनियुक्ति के एक हिस्से के रूप में जेएनपीटी का कार्य दिया गया था।

रिटायरमेंट के बाद भी किया काम

उन्होंने पितृसत्तामक सोच, लैंगिक भेद-भाव को बदलने के लिए कई लड़ाइयां लड़ीं। रिटायरमेंट के बाद भी उन्होंने आराम करने की नहीं सोची बल्कि उन्होंने मशहूर होटल लीला वेंचर लिमिटेड में बतौर डायरेक्टर अपनी सेवाएं दी। बता दें कि अन्ना जी घुड़सवारी, राइफल, रिवॉल्वर शूटिंग और मजिस्ट्रेट शक्तियों की भी महारथ हासिल थी। देश की सेवा के लिए उन्हें साल 1989 में उन्हें पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। सितंबर 2018 में 91 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया और वह दुनिया को अलविदा कह गई।

अन्ना के कभी भी खुद को पुरुषों के मुकाबले कमजोर नहीं माना और यही उनकी सबसे बड़ी खासियत थी.... आज वह लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा है।

Content Writer

Anjali Rajput