भारत के लिए चुनौती है तेजी से बढ़ती जनसंख्या, जानिए क्या है कारण?

punjabkesari.in Thursday, Jul 11, 2019 - 01:42 PM (IST)

11 जुलाई  विश्व जनसंख्या दिवस के रुम में मनाया जाता हैं। इस दिन लोगों को बढ़ती हुई जनसंख्या के प्रति जागरुक किया जाता हैं। विश्व भर में विभिन्न स्कूल, कॉलेज व जगहों पर प्रोग्राम करवाए जाते है, जिसमें बताया जाता है कि परिवार नियोजन किस तरह से कर सकते हैं। इसकी शुरुआत 1989 से हुई थी। Worldometers के माने तो विश्‍व की कुल जनसंख्‍या 7.6 बिलियन यानी कि 760 करोड़ है। विश्व की सबसे ज्यादा जनसंख्या वाले देश चीन के आंकड़ा 141 करोड़, व  जबकि भारत का 135 करोड़ हैं। वहां तीसरे नंबर पर पाए जाने वाले अमेरिका का आंकड़ा 32.67 करोड़ हैं। 

बिहार में सबसे अधिक जनसंख्या 

देश में इस समय बिहार राज्य में सबसे अधिक तेजी से जनसंख्या में वृद्धि हो रही हैं। 2001 से 2011 तक देश की जनसंख्या 17.64 फीसदी पाई गई थी, जिसमें बिहार का 25.07 फीसदी रहा। वहीं 2018 में इसकी जनसंख्या 12 करोड़ा पाई गई हैं, इससे पहले यहां की जनसंख्या 10 करोड़ 38 लाख थी। देश में जनसंख्या घनत्व का औसतन 382 व्यक्ति प्रति वर्गकिमी है, जबकि बाहर में 1106  प्रति  वर्गकिमी हैं। 

यह है विश्व जनसंख्या दिवस का स्लोगन

इस साल विश्व जनसंख्या दिवस का स्लोगन 'Family Planning is a Human Right.' यानी कि 'परिवार कल्‍याण मानव का अधिकार है'। यानि की परिवार के कल्याण के बारे में सोचना मानव का अधिकार हैं। 

फर्टिलिटी में पश्चिमी अफ्रीका है सबसे आगे

विश्व में जब भी जनगणना की बात होती है तब चीन व भारत सबसे आगे होते है, वहीं जब जनक्षमता की बात की जाती है तो पश्चिमी अफ्रीकी देश निगर सबसे आगे है। जहाँ पर एक औरत औसतन 7 बच्चे पैदा करती हैं। इसकी आबादी 23.32 मिलियन हैं। यह पश्चिम अफ्रीका का सबसे ज्यादा आबादी वाला देश हैं। वहीं सोमालिया, माली में हर महिला 6 बच्चों को जन्म देती हैं। वहीं भारत जनक्षमता के मामले में 102 नंबर पर हैं यानि की यहां महिलाओं की क्षमता 2.24 हैं। वहीं चेन्नई 156 नंबर यानि की वहां की महिलाओं की क्षमता 1.69 हैं। 

भारत के लिए क्या है चुनौती ? 

आंकड़ों के हिसाब से इस समय भारत में हर एक मिनट में 25 बच्चे पैदा होते है, यह वह बच्चें है जो अस्पताल में पैदा होते हैं। जबकि घरों में भी कई बच्चे पैदा होते है। अगर भारत की आबादी पर जल्द ही काबू नही पाया गया तो आने वाले कुछ सालों में भारत चीन को भी पीछे कर जनसंख्या के मामले में आगे हो जाएगा। 

 लड़कों की चाह में कई रुढ़िवादों परिवारों में लगातार बच्चे पैदा किए जाते है तो कहीं लड़कियों को मार दिया जाता हैं। 

 

महिलाओं को गर्भ निरोधक के उपाय की नहीं होती है सही जानकारी। शिक्षा के अभाव के कारण महिलाओं को गर्भ निरोधक या परिवार नियोजन के बारे में जानकारी नहीं होती हैं। 


 
देश के कई हिस्सों में आज भी बाल विवाह होेते है, जिस कारण कम उम्र में बच्चे पैदा होता है। 

 

मध्यवर्गीय परिवाराें की सोच होती है कि अधिक बच्चे विशेष तौर पर लड़के बुढ़ापे का सहारा बनेगें। इसलिए वह तीन से चार बच्चे करना पसंद करते हैं। 

 

परिवार में बैठ कर परिवार नियोजन पर बात करना गलत समझा जाता हैं। इसलिए घर के बड़े युवा लोगों को परिवार नियोजन का अर्थ नही समझाते हैं। 

 

गरीबी के कारण लोगों को लगता है कि जितने बच्चे होगें घर में उतने कमाने वाले होंगे।  इससे घर का खर्च आराम से चलेगा, लेकिन वह भूल जाते है कि जितने लोग होंगे खर्च भी उतना ही बढ़ेगा। 

जनसंख्या वृद्धि के नुकसान

जब परिवार में अधिक बच्चें होंगे तो उन्हें पोषित खाना नही मिलेगा। इसके साथ ही उनके भविष्य भी सही ढंग से नहीं बन पाएगा। उन्हें सुख सुविधाएं देने में काफी दिक्कत होगी। 

घर में परिवार के अधिक सदस्य होने के कारण गरीबी बढ़ती जाती है, जिससे अमीरी व गरीबी का अंतर बढ़ता हैं। व्यक्ति जो कमाता है घर पर खर्च कर देता है,भविष्य के लिए कुछ बचा ही नहीं पाता हैं। 

कम आबादी में विकास भी अधिक होगा। लोग एक दूसरे को समझ कर काम करेंगे। जितनी आबादी ज्यादा होगी देश में चोरी के केस उतने ही बढ़ेगें। जिससे समाज की तरक्की कम होगी। 

इस तरह रोकें बढ़ती आबादी

घर - घर तक लोगों को जनसंख्या रोकने के तरीके बताएं जाएं। स्कूल व कॉलेज में बच्चों को इस बारे में जानकारी दी जाए। 

 

युवाओ का 25 से 30 की उम्र में विवाह करें। घर वाले उन्हें दो से ज्यादा बच्चे न करने की सलाह दे, साथ दोनों में 5 साल का अंतर रखें। इससे मां व बच्चा दोनो स्वस्थ रहेगें। 



 

Content Writer

khushboo aggarwal