इन लोगों के पैर छूने की कभी न करना गलती, नहीं तो सारी उम्र पछताओगे !
punjabkesari.in Thursday, Nov 07, 2024 - 06:17 PM (IST)
नारी डेस्क: हिंदू धर्म में पैर छूने की परंपरा का विशेष महत्व है। इसे विनम्रता, आदर, और संस्कार का प्रतीक माना जाता है। हालांकि पैर छूने के भी कुछ नियम होते हैं, और हर किसी के पैर छूना उचित नहीं माना गया है। चलिए जानते हैं किन लोगों के पैर छूना वर्जित है और पैर छूने के नियम क्या हैं।
अधर्मी और गलत कार्य करने वालों के पैर छूना
जो व्यक्ति अधार्मिक या गलत कार्यों में लिप्त होते हैं, उनका सम्मान करने का कोई धार्मिक आधार नहीं है। ऐसे लोगों के पैर छूना वर्जित माना गया है क्योंकि इससे नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव पड़ सकता है।
नशे में धुत्त लोगों के पैर नहीं छूने चाहिए
जो व्यक्ति नशा करके अपने कर्तव्यों से दूर रहते हैं, उनके प्रति आदर भाव नहीं दिखाया जाना चाहिए। नशे में धुत्त व्यक्ति का पैर छूना धर्म के अनुसार अनुचित माना गया है।
झूठ बोलने वाले और छल-कपट करने वाले व्यक्ति के
हिंदू धर्म में सत्य और ईमानदारी का विशेष महत्व है। झूठ बोलने वाले और छल-कपट करने वाले व्यक्ति का पैर छूना वर्जित है, क्योंकि ऐसा करने से उनके नकारात्मक गुणों का प्रभाव दूसरों पर भी पड़ सकता है।
स्वास्थ्य या मानसिक संतुलन ठीक न होने वालों के
जिन लोगों की मानसिक स्थिति ठीक न हो, या जिनकी सोच में स्थिरता न हो, उनके पैर छूना भी उचित नहीं माना गया है।
छोटे बच्चों के पैर छूने की आवश्यकता नहीं होती
पैर छूने का तात्पर्य सम्मान और आशीर्वाद प्राप्त करने से है। बच्चे स्वयं दूसरों से आशीर्वाद लेने की अवस्था में होते हैं, इसलिए छोटे बच्चों के पैर नहीं छुए जाते।
पैर छूने के नियम और आचार
- माता-पिता, गुरु, और अन्य बुजुर्गों के पैर छूना सदा शुभ माना गया है। इससे उनकी सकारात्मक ऊर्जा और आशीर्वाद प्राप्त होता है।
-संत, साधु-महात्मा, और धार्मिक गुरुओं का आशीर्वाद लेने के लिए उनके पैर छूना शुभ माना जाता है।
- उन लोगों का पैर छूना लाभकारी माना गया है जो अपने धर्म और कर्तव्यों का पालन करते हैं और अच्छे आचरण वाले होते हैं।
पैर छूने का महत्व
पैर छूना न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि यह आदर, प्रेम और सम्मान का प्रतीक भी है। ऐसा माना जाता है कि इस क्रिया से सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है, और आशीर्वाद देने वाले का शुभ प्रभाव मिलता है। इन नियमों का पालन करके पैर छूने की परंपरा को सही तरीके से निभाया जा सकता है और इसका आध्यात्मिक लाभ भी प्राप्त किया जा सकता है।