घर पर चल रही है तुलसी शालीग्राम के विवाह की तैयारी, तो तुंरत ले आएं ये जरूरी सामान
punjabkesari.in Friday, Oct 31, 2025 - 03:47 PM (IST)
नारी डेस्क: देवउठनी एकादशी जिसे प्रबोधिनी एकादशी भी कहते हैं का हिंदू धर्म में बहुत बड़ा महत्व है। इस दिन भगवान विष्णु चार महीने की योगनिद्रा से जागते हैं और धार्मिक कार्य, विवाह और शुभ मांगलिक कामों की शुरुआत होती है। इसी दिन तुलसी माता और शालीग्राम भगवान (विष्णु जी) का पवित्र विवाह संपन्न किया जाता है। अगर आप तुलसी–शालीग्राम विवाह कर रहे हैं, तो कुछ जरूरी चीजें नोट कर लें,जिनके बिना यह विवाह अधूरा माना जाता है।

तुलसी और शालीग्राम
विवाह का मुख्य आधार यही हैं। तुलसी माता (वृंदा जी) को वधू माना जाता है और शालीग्राम (भगवान विष्णु का प्रतीक) को वर। तुलसी माता को सुंदर साड़ी, गहने, चूड़ियां आदि से सजाया जाता है। शालीग्राम को धोकर साफ कपड़े में रखकर हल्दी, चंदन और फूल चढ़ाए जाते हैं।
मण्डप और दीप सजावट
तुलसी चौरा या गमले के पास एक छोटा मण्डप बनाएं। यहां दीपक जलाना अत्यंत शुभ माना जाता है। मण्डप को आम, केले या आंवले के पत्तों से सजाया जा सकता है। इस विवाह के लिए हल्दी, कुंकुम, रोली, चावल, फूल, तुलसी के पत्ते, दीपक, घी, कपूर, मिठाई, नारियल, जल, अक्षत शालीग्राम जी के लिए पीले फूल और तुलसी के पत्ते तुलसी माता के लिए लाल फूल, साड़ी, चूड़ियां, बिंदी, मंगलसूत्र आदि बेहद जरूरी माने जाते हैं7

विवाह की रस्में
तुलसी माता के आगे कन्यादान, वरमाला और फेरे की रस्में की जाती हैं। इस दौरान ॐ तुलस्यै नमः, ॐ शालिग्रामाय नमः**” मंत्रों से पूजन करें। पूजा के बाद तुलसी के पत्ते और प्रसाद सभी को बांटें। इस दिन एकादशी व्रत रखना और तुलसी जी की परिक्रमा करना पुण्यदायी माना गया है। विवाह के बाद “जय तुलसी माता की, जय श्रीहरि की” कहकर पूजा पूर्ण करें। ऐसा माना जाता है कि तुलसी–शालीग्राम विवाह करने से घर में सुख-शांति, धन-समृद्धि और वैवाहिक जीवन में प्रेम बढ़ता है।

