चमकी बुखार से बचने के लिए डॉक्टरों ने दिए जरूरी टिप्स, फॉलो करें पेरेंट्स

punjabkesari.in Tuesday, Jun 18, 2019 - 01:17 PM (IST)

बिहार में चमकी बुखार यानि एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम के कहर से अब तक 100 मासूम बच्चे अपनी जान गवां चुके हैं और यह आकंड़ा थमने का नाम नहीं ले रहा है। मगर डॉक्टरों का कहना है कि लक्षण दिखते ही अगर इलाज करवा लिया जाए तो मरीज का जान बचाई जा सकती हैं। डॉक्टर्स का कहना है कि इलाज में देरी ही बच्चे की मौत की वजह बन रहा है। ऐसे में पेरेंट्स को और भी अलर्ट होने की जरूरत है।

 

गांव के बच्चों को अधिक खतरा

जेई अधिकतर गांव के बच्चों में ही होता है। दरअसल, जेई क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होता है। यह रात में काटता है। यह सब मानसून से पहले और मानसून के बाद जब खेतों में पानी जमा हो जाता तब होता है। इसका इलाज भी अन्य एईएस की तरह ही होता है। इसके अलावा जिन बच्चों का इम्यून सिस्टम कमजोर होता है उन्हें भी इसका खतरा अधिक है।

चमकी बुखार के लक्षण

स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी की गई गाइडलाइन के मुताबिक इस बुखार की शुरूआत बुखार से होती है, जो धीरे-धीरे बढ़ने लगता है और फिर गंभीर रूप ले लेता है। इसके अलावा इस बीमारी में ओर कई लक्षण दिखाई देते हैं जैसे 

-शुरुआत तेज बुखार
-शरीर में ऐंठन महसूस होना
-तंत्रिका संबंधी कार्यों में रुकावट आना
-मांसपेशियों और हड्डियों में दर्द
-कमजोरी, थकान और बेहोशी
-सुनने और बोलने में परेशानी
-दौरे पड़ना
-घबराहट महसूस होना
-बहकी-बहकी बातें करना
-बच्चे का चिड़चिड़ा होना

डॉक्टर्स का कहना है कि इस तरह के लक्षण दिखने पर तुरंत जांच करवाएं क्योंकि सावधानी से बच्चे की जान बचाई जा सकती है। अस्पताल के आंकड़ों के मुताबिक साल 2012 में इस बुखार से 120 बच्चों की मौत हुई थी।

खाली पेट लीची खाने से ग्लूकोज की होती है कमी

जांच के दौरान बहुत से बच्चों में ग्लूकोज की कमी पाई गई। डॉक्टर्स का कहना है कि ऐसा हो सकता है कि बच्चा रात को खाली पेट सोया हो। वहीं कुछ बच्चों में खाली पेट कच्चा लीची खाने से भी शुगर की कमी भी पाई गई। हालांकि यह अभी तक पूरी तरह स्पष्ट नहीं हुआ है कि लीची ही ऐईएस का मुख्य कारण है।

क्यों जानलेवा है लीची?

दरअसल, लीची में 'हाइपोग्लायसिन ए' और 'मेथिलीन सायक्लोप्रोपाइल ग्लायसीन' नामक दो तत्व पाए जाते हैं और खाली पेट लीची खाने से यह तत्व ब्लड शुगर लेवल घटा देते हैं, जिससे पहले तो धीरे-धीरे तबीयत बिगड़ने लगती और फिर व्यक्ति की मौत हो जाती है।

जरूर लगववाएं जेई का टीका

बच्चों को जैपनीज इंसेफलाइटिस इंजेक्शन लगवाएं, ताकि वो इसके खतरे से बचे रहे। अस्पतालों में यह टीका मुफ्त लगाया जाता है। यह टीका 9 से 15 साल की उम्र में लगाया जाता है, जिसमें पहला टीका 12 महीने तो दूसरा 16-24 माह में लगवाना पड़ता है।

10 दिन के बच्चे को चमकी से कैसे बचाएं?

बच्चे के कमरे का तापमान सही रखे और वहां साफ-सफाई का ख्याल रखें। मां बच्चे को स्तनपान करवाती रहे औरर उन्हें लेकर धूप में ना निकलें।

साढ़े पांच महीने की बेटी का एईएस से बचाव कैसे करें?

जैसे ही बच्चे में इस बीमारी के लक्षण दिखे तो बिना देरी किए तुरंत डॉक्टर के पास ले जाएं। भर्ती कराने में देरी होगी तो इसमें बच्चे की जान भी जा सकती है। साथ ही डॉक्टर की सलाह लिए बिना बच्चे को दवाई ना खिलाएं।

Content Writer

Anjali Rajput