सरकार का कड़ा आदेश, कक्षा के हिसाब से होगा बस्ते का वजन

punjabkesari.in Wednesday, Nov 28, 2018 - 06:18 PM (IST)

आजकल बच्चों के लिए कंपीटिशन इतना ज्यादा बढ़ गया है कि पढ़ाई का बोझ उनके दिमाग पर हावी हो रहा है। इसके अलावा जिस तरह से उनके विषय बढ़ते जाते हैं किताबों का बोझ भी उनके कंधों पर आ जाता है यानि बच्चों के बैग भारी हो रहे हैं। 18 साल की उम्र तक बच्चे की हड्डियां बहुत कमजोर होती हैं, रीढ़ की हड्डी वजन सहने के लिए इतनी ज्यादा मजबूत नहीं होती। जिस कारण 58 प्रतिशत बच्चे हड्डी रोग से पीड़ित हैं। 

HRD ने तय किया बस्ते का वजन

बच्चे के स्कूल बैग के बढ़ने वजन से चिंतित मानव संसाधन मंत्रायल( Human Resource Development Ministry) भारत सरकार ने बैग के वजन संबंधी आदेश पारित किया है। इस आदेश के अनुसार तय वजन से ज्यादा भार लाने के लिए बच्चे को बाध्य नहीं किया जा सकता। अब स्कूल प्रशासन को बच्चे का टाइम टेबल भी उसी अनुसार सेट करना होगा ताकि एक दिन में ज्यादा किताबें या कापियां न लें जानी पड़ें। इसके अलावा अब स्कूल में ही बच्चे की किताबें रखने पर भी विचार किया जा सकता है ताकि बच्चे को कम से कम भार उठाना पड़े। 

कक्षा के हिसाब से निर्धारित बस्ते का वजन

कक्षा 1 से 3 तक

क्लास 1 से 3 तक पढ़ने वाले बच्चे के बैग का भार 1.5 किलोग्राम तय किया गया है।

कक्षा 3 से 5 तक

जो बच्चे 3 से 5 तक की कक्षा में पढ़ते हैं वे 2 से 3 किलों बस्ते का वजन उठा सकते हैं। 

कक्षा 6 से 7 तक

छठी से सातवीं क्लास तक के बच्चों के बैग का वजन 4 किलोग्राम तक तय किया गया है। 

कक्षा 8 से 9 तक 

इनके लिए 4.5 किलोग्राम तक का वजन तय किया गया है। 

कक्षा 10 तक 

10 क्लास के विद्यार्थियों के लिए 5 किलोग्राम का वजन तय किया गया है। 

भारी बैग से सेहत को नुकसान  

भारी बैग बच्चे की रीढ़ की हड्डी को बहुत नुकसान पहुंचा सकता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, बच्चे को इससे धीरे-धीरे पीठ दर्द, मांसपेशियों की समस्या, गर्दन की दर्द आदि से गुजरना पड़ता है। इसका कारण है कि 18 साल की उम्र तक बच्चे की हड्डियां कमजोर होतू हैं जो बैग का भारी वजन उठाने लायक नहीं होती। 


फेफड़ों को नुकसान

बैग के भार का न सिर्फ हड्डियों बल्कि फेफड़ों पर भी बुरा असर पड़ता है। इससे सांस की समस्याएं, हाथों की नसें कमजोर होन, कंधे पर बैग टांगने से वन साइडेड पेन शुरू होने जैसी परेशानियां आनी शुरू हो जाती हैं। 

निकल सकता है कूबड़

हाल ही में एक शोध में यह बात भी सामने आई है कि बस्ते का बढ़ता बोझ बच्चे का कूबड़ भी निकाल सकता है। एसोचैम की स्वास्थ्य समिति के अध्यक्ष बी के राव के अनुसार इन बच्चों को स्लिप डिस्क, स्पॉंडिलाइटिस, पीठ में लगातार दर्द, रीढ़ की हड्डी का कमजोर होने और कूबड़ निकलने जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
 

Content Writer

Priya verma