जन्माष्टमी में कैसे लगाएं लल्ला को भोग ?

punjabkesari.in Saturday, Aug 24, 2019 - 11:52 AM (IST)

पूरे भारत में आज के दिन जनमाष्टमी का पवित्र त्यौहार मनाया जा रहा है। कान्हा से जुड़े इस दिन को लेकर कृष्ण भक्त बहुत ही खुश हैं। हर कोई इस दिन को अपनी पूरी श्रद्धा से मनाना चाहता है। खासतौर पर कान्हा पूजा के वक्त लोग अलग-अलग तरह के पकवान बनाकर कान्हा को भोग लगाते हैं और अपना प्रेम व स्नेह कान्हा के प्रति बयान करते हैं। तो चलिए जानते हैं कान्हा को भोग लगाने के तरीके के बारे में विस्तार से... 

स्नान प्रक्रिया

बाल गोपाल का जन्म रात में 12 बजे के बाद होगा। सबसे पहले 12 बजते ही कान्हा को कच्चे दूध के साथ स्नान करवाएं। उसके बाद कान्हा को नए पीले रंग के वस्त्र पहनाकर झूले में बिठाएं। झूले में बिठाने के बाद कुछ देर झूला झुलाएं और उसके बाद कान्हा को भोग लगाएं। भोग की तैयारी पहले से ही करके रखें।

श्रृंगार सामग्री

बाल गोपाल के जन्म के बाद उनके श्रृंगार के लिए इत्र, कान्हा के नए पीले वस्त्र, बांसुरी, मोरपंख, गले के लिए वैजयंती माता, सिर के लिए मुकुट, हाथों के लिए कंगन रखें।

प्रसाद सामग्री

भोग लगाते वक्त एक खीरा रखना मत भूलें। शास्त्रों के मुताबिक खीरे के बिना भगवान कृष्ण की पूजा अधूरी है। खीरे के साथ-साथ आप एक गंगाजल, दही, शहद, दूध, दीपक, घी, बाती, धूपबत्ती, गोकुलाष्ट चंदन, साबुत चावल, तुलसी का पत्ता, माखन, मिश्री जरुर रखें। आप चाहें तो माखन-मिश्री का प्रसाद भी तैयार कर सकते हैं। उसके लिए आप ताजे माखन में तुलसी के पत्ते, मिश्री और लाल सिंदूर डालकर अच्छी तरह मिक्स कर लें। स्नान कराने के बाद आप इससे कान्हा को भोग लगाएं।

खीरे का भोग

जन्माष्टमी पर लोग श्रीकृष्ण को खीरा चढ़ाते हैं, माना जाता है कि नंदलाल खीरे से काफी प्रसन्न होते हैं और भक्तों के सारे संकट हर लेते हैं। खीरे को काटने की प्रकिया को 'नाल छेदन' के नाम से जाना जाता है। 12 बजते ही सबसे पहले खीरे को एक सिक्के की मदद से बीच में से काट दें। उसी के बाद कान्हा को स्नान करवाएं। खीरे काटने के बाद शंख बजाना मत भूलें। 


 

Content Writer

Harpreet