Teenager की परेशानियों का इस तरह करें हल

punjabkesari.in Wednesday, Jan 17, 2018 - 12:44 PM (IST)

जिंदगी की तीन चरण होते हैं एक बचपन,दूसरा जवानी और तीसरा बुढ़ापा। बचपन को पार करके जब बच्चे युवावस्था में पहुुंचते हैं तो कुदरती रूप से उनकी जिंदगी के साथ-साथ शरीर में भी कई तरह के बदलाव आने शुरू हो जाते हैं। किशोरावस्था और युवावस्था में बच्चों को ध्यान रखना बहुत जरूरी हो जाता है क्योंकि इन आने वाले बदलावों के बारे में बच्चे समझ नहीं पाते, उनके मन में कई तरह के सवाल उठते हैं,जिन्हें वह अपने मां-बाप के साथ शेयर करने से कतराते हैं। पेरेंट्स उम्र के इस नाजुक पड़ाव पर उनके मन में उठने वाले सवालों का सही तरीके से जवाब देकर भविष्य के लिए उनकी बहुत मदद कर सकते हैं। उन्हें बता सकते हैं कि ये परिवर्तन कुदरती हैं। 
 

1. शारीरिक परिवर्तन


बच्चे जब टीनेजर की उम्र में कदम रखते हैं तो उनमें कई तरह के शारीरिक बदलाव आते हैं, जिन्हें महसूस करके वह घबरा जाते हैं। उनके मंन में खुद को लेकर कई तरह के सवाव उठते हैं। ऐसे में मां-बाप के फर्ज है कि बच्चों के समझाएं कि आप खुद भी इस उम्र से गुजरे हैं। इस तरह के बदलाव हर किसी के साथ होते हैं। इसमें घबराने की कोई जरूरत नहीं है। 
 

2. पीरियड्स
लड़कियों को इस समय पहले से ही मासिक धर्म के बारे में थोड़ी-थोड़ी जानकारी देना मां का फर्ज है। इस समय बेटी की सहेली बनें, उसकी मदद करें ताकि एकदम से पीरियड्स शुरू होने पर वह घबराए नहीं। 
 

3. प्यूबर्टी (Puberty)
इस समय बच्चों की आवाज में बदलाव,प्यूबिक हेयर,चेहरे पर पिंपल्स,हार्मोंस में बदलाव आदि और भी बहुत सी बदलावों का सामना करना पड़ता है। जिसे बच्चे ठीक से समझ नहीं पाते। पेरेंट्स को इस समय शर्म न करके बात-बात में बच्चे को समझाते रहें। 

4. दूसरों की तरफ आकर्षण


लड़का हो या लड़की इस उम्र में दोनों के शरीर में हार्मोंस को लेकर बदलाव आने शुरू हो जाते हैं। ऑपोजिट सैक्स की तरफ दोनों का आकर्षण होना सहज है। इस समय पेरेंट्स की जिम्मेदारी बनती है कि बच्चों के मन में उठ रहे सवालों का जवाब दें। उनकी इस अट्ररैक्शन को साकारत्मक सोच में बदलें। उन्हें समझाएं कि लड़का-लड़की अच्छे दोस्त हो सकते हैं, जो एक दूसरे की मदद कर सकते हैं। बच्चों की सोच और नजरिया बदलें। 
 

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