गरीब बच्चों और औरतों में बांटती हैं खुशियां, कुछ ऐसी है सिमरन प्रीत कौर

punjabkesari.in Saturday, Aug 18, 2018 - 03:31 PM (IST)

महिलाएं आज किसी भी फील्ड में पीछे नहीं हैं। अपनी मेहनत और स्मार्टनेस के कारण वह हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर रही हैं। मगर आज हम आपको एक ऐसी महिला के बारे में बताने जा रहे हैं, जोकि अपनी मेहनत से कई बच्चों में खुशियां बांट रही है। हम बात कर रहे हैं दिल्ली की रहने वाली सिमरन प्रीत कौर की, जोकि आज पूरे देश के लिए मिसाल बन चुकी है। सिमरन प्रीत कौर गरीब बच्चों और महिलाओं में खुशियां बांटने के लिए हर मुमकिन कोशिश कर रही है। आइए जानते हैं उनके इस संघर्ष के बारे में।
 

बच्चों और महिलाओं की जिंदगी में भर दिए खुशियों के रंग
रैन बसेरा और स्लम में रहने वाली औंरतें दिन-रात घर का काम करते अपना गुजारा करती हैं। इतना ही नहीं, इन गरीब महिलाओं को दिनभर काम करने के बाद अपने पति की मार भी सहनी पड़ती है। इन्ही की जिदंगी में उजाला भरने के लिए सिमरन प्रीत कौर ने जीके वन में अपने घर से ही गरीब बच्चों को पढ़ाने और उनकी माताओं को आत्मनिर्भर बनाने की शुरुआत की।

उन्होंने 'Pins and Needles' नाम से एक ऐसी संस्था की शुरुआत की जहां इन महिलाओं को रोजगार मिलता है। सिमरन ने इन महिलाओं को पहले सिलाई और फिर कपड़ों पर एम्ब्रॉयडरी करनी सिखाई। इतना ही नहीं, सिमरन उन्हें परिवार के सदस्यों और आसपास के लोगों से पुराने कपड़े, चादर और पर्दे इकट्ठा करके उनसे बैग बनाना भी सिखाती है। इसके बाद सिमरन इन चीजों को मार्किट में बेचकर उनसे मिलने वाले पैसे महिलाओं में बांट देती है।

सिमरन प्रीत कौर की वजह से आज रैन बसेरा और स्लम में रहने वाली कई औंरतें महीना का 7-8 हजार कमा लेती है। इतना ही नहीं, सिमरन के दिए हौंसले से यह महिलाएं आज आत्मनिर्भर भी हो गई हैं। सिमरन प्रीत कौर का कहना है, 'जब आप नेकी के रास्ते पर चलते हैं तो आपको सफर में आपके जैसे लोग जरूर मिल जाते हैं जैसे मुझे गुरप्रीत सिंह टिक्कू मिले। वो हमारी संस्था से जुड़ी महिलाओं की मदद के लिए हमेशा एम्ब्रोडरी का ऑर्डर देते रहते हैं।'

इतना ही नहीं, सिमरन स्लम और नैन बसेरा में रहने वाले गरीब बच्चों को उनके घर जाकर पढ़ाती भी है। वह गरीब बच्चों की एक मुस्कान के लिए हर मुमकिन कोशिश करती हैं। सिमरन ने कहा, 'जब आप कोई अच्छा काम करते हैं तो बदले में आपको अच्छाई जरूर मिलती है। कई मासूम बच्चों और महिलाओं की ही दुआएं हैं कि आज मेरे दोनों बच्चे यूएस में अच्छे से पढ़-लिख रहे हैं।'

Content Writer

Anjali Rajput