वर्ल्ड एड्स डे: बच्चों में कैसे फैलता है HIV एड्स, कैसे होगा बचाव?

punjabkesari.in Tuesday, Dec 01, 2020 - 10:29 AM (IST)

एड्स को लेकर लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए हर साल दुनियाभर में 1 दिसंबर को 'विश्व एड्स दिवस' मनाया जाता है। दरअसल, HIV वायरस से फैलने वाली यह बीमारी ऐसी है जिससे ग्रस्त व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है और वह बीमारियों की चपेट में रहने लगता है। आपको बता दे कि यह घातक बीमारी किसी को भी हो सकती है। बच्चे भी कई कारणों से बीमारी की चपेट में आ जाते है। आइए जानते है बच्चों में इस बीमारी के कारण, लक्षण व बचाव के तरीके।

बड़ों से ज्यादा बच्चों में HIV का असर

2005 में यूनिसेफ द्वारा किए गए एक सर्वे के मुताबिक हर 14 सेकेंड में एक बच्चे को एच.आई.वी./एड्स होता है। वहीं 2008 में पूरे विश्व में एच.आई.वी. एड्स के 21 लाख मामलों में सामने आए जिसमें भारत के 15 साल से कम उम्र के बच्चों की 70 हजार थी। सर्वे में पता चला कि 70 हजार में से 21 हजार बच्चों को यह बीमारी उनकी मां से उनके जन्म के साथ ही हो जाती है।

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बच्चों में एच.आई.वी./एड्स के कारण

अधिकतर बच्चों में एच.आई.वी. एड्स उनके जन्म के दौरान होता है। दरअसल,  मां से बच्चे में एच.आई.वी वायरस बच्चे के इम्यून सिस्टम में प्रवेश करता है, जिस वजह से बच्चे के इम्यून सिस्टम में श्वेत रक्त कोशिकाए खत्म होने लगती है। इसके अलावा यह बीमारी बच्चे में संक्रमित खून, संक्रमित इंजेक्शन से भी फैल सकती है। 

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बच्चे में एच.आई.वी./एड्स के लक्षण 

वैसे तो ज्यादातर बच्चों में इस घातक बीमारी के लक्षण नजर नहीं आते लेकिन उम्र बढ़ने के साथ उनमें यह लक्षण पैदा होने लगते है। 

- बच्चे का वजन बढ़ना
- बच्चे को मिर्गी और दौरा पड़ना
- नवजात शिशु के कानों में इंफेक्शन 
- सर्दी, पेट दर्द व डायरिया होना
- निमोनिया होना
- फेफड़ो में फंगल इंफेक्शन
- बच्चों में यीस्ट इंफेक्शन 

नवजात शिशु में मुश्किल है एचआईवी का इलाज

बड़ों के मुकाबले बच्चों में एचआईवी का इलाज करना ज्यादा मुश्किल है। इस वायरस के लिए कुछ एंटीबायोटिक्स तरल नहीं होते, जोकि नवजात शिशु को नहीं दिए जा सकते क्योंकि वह सिर्फ तरल चीजें ही खा सकते हैं। इसी वजह से उनका इलाज करना ज्यादा मुश्किल हो जाता है।

एचआईवी से ग्रस्त बच्चे की यूं करें परवरिश

एच.आई.वी. एड्स से पीड़ित बच्चे की दिनचर्या में सावधानियां बरत कर आप उनके साथ सामान्य जीवन व्यतीत कर सकते है।

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- रोजाना समय पर दवाइयां खिलाएं
- सुबह उठ कर व्यायाम करवाएं
- उनका लाइफस्टाइल अच्छा रखे
- उन्हें साकारात्मक सोच रखने की सलाह दें
- संक्रमित रोगों से बच्चे को बचाए


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Content Writer

Sunita Rajput

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