Women Health: बच्चेदानी की रसौलियां अपने आप होंगी सही, जानिए कुछ Natural उपचार

punjabkesari.in Wednesday, Oct 20, 2021 - 03:32 PM (IST)

महिला शरीर के अहम अंगों में गर्भाश्य भी शामिल है लेकिन आज के अनहैल्दी लाइफस्टाइल का असर महिला के गर्भाश्य पर भी पड़ रहा है। छोटी उम्र में ही रसौलिया यानि बच्चेदानी में गांठें बन रही हैं। जिसे फायब्रॉइड्स कहते हैं और आम भाषा में बच्चेदानी में गांठें। ये गांठें पीरियड्स से लेकर प्रैग्नेंसी तक में परेशानी पैदा कर सकती हैं और अगर रसौलियों का आकार और गंभीरता बढ़ जाए तो ये कैंसर का रूप भी ले लेती है। ये गांठें 25 से 40 साल की उम्र में ज्यादा बनती हैं लेकिन बिगड़े लाइफस्टाइल के चलते यह समस्या टीनएज लड़कियों को भी हो रही है। 

फायब्रॉइड्स होते क्यों है?

फायब्रॉइड्स होते क्यों है इसकी कोई एक ठोस वजह नहीं पता चल सकी है हालांकि आमतौर पर इसकी वजह अनहैल्दी खान-पान, मोटापा, हार्मोनल प्रॉबल्म्स, गर्भ निरोधक गोलियों का सेवन, सही उम्र में मां ना बनना और कुछ केसेज में आनुवांशिकता भी है।  जिन महिलाओं के शरीर में एस्ट्रोजन नाम का हार्मोन ज्यादा बनता है उन्हें रसौलियों का खतरा ज्यादा रहता है। 

फायब्रॉइड्स के लक्षण

ये गांठें महिला की बच्चेदानी के आसपास उभरती हैं। जो मांस-पेशियां और फाइब्रस उत्तकों से बनती हैं। इनका आकार कुछ भी हो सकता है। अगर महिला को पीरियड्स में ज्यादा ब्लीडिंग और खून के मोटे थक्के आते हैं,
पीरियड्स में असहनीय दर्द होता है,
बार बार यूरिन आता है,
नाभि के नीचे पेट में दर्द या पीठ के निचले हिस्से में दर्द,
इंटरकोर्स के समय दर्द होता है,
पेट के निचले हिस्से में भारीपन महसूस होता है, 
पेट में सूजन
खून की कमी
पैरों में ऐंठन और दर्द
कमजोरी और कब्ज रहती है,

फायब्रॉइड्स का इलाज

तो ये गर्भाश्य में फायब्रॉइड्स होने के लक्षण है। वैसे तो यह दवाइयों की मदद से ठीक हो जाती हैं लेकिन अगर आकार बड़ा हो चुका हो तो डॉक्टर सर्जरी की सलाह भी दे सकते हैं। हालांकि कई बार भले ही यूट्रस में कोई फायब्रॉइड छोटा सा हो, लेकिन प्रेग्नेंसी के दौरान वह भी गर्भ की तरह ही बढ़ने लगता है। ऐसी स्थिति में डॉक्टरी जांच बहुत जरूरी होती है।

सही लाइफस्टाइल बहुत जरूरी

लेकिन इलाज की बात करें तो बता दें कि यह रोग लाइफस्टाइल से जुड़ा है। दवाइयों से आप फायब्रॉइड्स की समस्या ठीक तो हो जाती है लेकिन जैसे ही आप दवाई खाना बंद करेंगे तो यह समस्या दोबारा भी हो जाती है, इसलिए लाइफस्टाइल को हैल्दी रखें और बीमारी को जड़ से खत्म करें। 

कैसे हो डाइट?

अपनी डाइट में कुछ चीजों को जरूर शामिल करें और कुछ चीजों से परहेज करें। जैसे ग्रीन टी का सेवन करें। दिन में 1 से 2 कम ग्रीन टी जरूर पीएं। प्याज और लहसुन ज्यादा खाएं। लहसुन- प्याज, गर्भाशय फायब्रॉइड्स को बढ़ने से रोकती है। 

हल्दी

हल्दी का सेवन भी बहुत जरूरी है। यह सिर्फ रसौली की ग्रोथ ही नहीं रोकती बल्कि कैंसर के खतरे को भी कम करती है। आप हल्दी वाला दूध भी पी सकते हैं। पानी ज्यादा पीएं।

खट्टे फल

खट्टे फल खाएं। जैसे संतरा मौसमी, नींबू कीवी आदि। आंवला जरूर लें। रोजाना एक चम्मच आवंला पाउडर पानी या एक चम्मच शहद के साथ खाली पेट लें।

मुट्टीभर बादाम

मुट्टीभर बादाम जरूर खाएं। बादाम में ओमेगा 3 फैटी एसिड होते हैं जो कि यूट्रस की लाइनिंग को ठीक करते हैं। फाइब्रॉयड ज्‍यादातर यूट्रस की लाइननिंग पर ही होते हैं। सूरजमुखी के बीजों में भी काफी सारा अच्‍छा फैट और फाइबर होता है जो रसौली बनने नहीं देते। 

प्रोसेस्ड फूड, तली भुनी चीजें, मैदा पेस्ट्री और हाई शुगर चीजें खाने से परहेज करें। आपका वजन बढ़ा हुआ है तो इसे कंट्रोल करें। हल्की एक्सरसाइज और सैर जरूर करें। योग आसन जरूर करें पश्चिमोत्तानासन, भुजंगासन, मंडुकासन, पवनमुक्तासन आदि करें। ये गर्भाश्य को हैल्दी बनाए रखते हैं।

एक बार ये नियम अपना कर देखें आपका गर्भाश्य रोग मुक्त रहेगा।

Content Writer

Anjali Rajput