भारतीय झंडे से जुड़ी दिलचस्प बातें, 6 बार बदला तिरंगे का रंग
punjabkesari.in Saturday, Aug 15, 2020 - 10:57 AM (IST)
भारतीय तिरंगे का रंग केसरी, सफेद व हरा है जिसके बीच में नीले रंग का चक्र होता है, लेकिन हमारे देश का तिरंगा अपना यह रुप पाने से पहले कई रंग व रुपों का लंबा सफर तय कर चुका है। आजादी के लोगों ने किस तरह संघर्ष किया यह बयान करता है भारत के बदलते हुए तिरंगे का रंग व रुप। जी हां बहुत कम लोग जानते होंगे कि भारत के ध्वज ने 6 बार अपना रंग व रुप बदला है। आइए आज हम आपको बताते हैं किस तरह भारतीय तिरंगे को उसका रुप व रंग मिला। 22 जुलाई 1947 के दिन संविधान सभा ने तिरंगे को, देश के झंडे के रूप में स्वीकार किया था। जानिए भारत के झंडे के बारे में कुछ दिलचस्प बातें...
तिरंगे का निर्माता
1921 में पिंगली वेंकैया ने हरे और लाल रंग का इस्तेमाल कर झंडा तैयार किया। लाल और हरा रंग, हिंदू और मुस्लिम समुदाय के प्रतीक थे। गांधी जी के सुझाव के बाद इसमें सफेद रंग की पट्टी और चक्र को जोड़ा गया, जो अन्य समुदाय के साथ देश की प्रगति का प्रतीक थे।
तिरंगे के हर रंग का अपना महत्व
भारत के तिरंगे में तीन रंग है, जिसमें केसरी, सफेद व हरा रंग शामिल है। केसरी रंग बलिदान, हिम्मत का प्रतीक होता है। यह अंहकार से मुक्ति व त्याग का संदेश देता है, जिससे लोगों को एकता बनाए रखने का संदेश दिया जाता है। साधु, ऋषि, मुनि, मंदिर के पंडित अधिकतर केसरी रंग में दिखाई देते है। सफेद रंग स्वच्छता व ज्ञान का प्रतीक होता है। यह देश में शांति बनाए रखने का संदेश देता है। हर रंग विश्वास, उर्वरता, खुशहाली व प्रगति का प्रतीक है। इसके साथ ही यह देश में पाए जाने वाले मुस्लिम धर्म को भी दर्शाता है। यह भारत में पाई जाने वाली हरियाली व प्रकृति जीवन का संदेश भी देती है।
ये सिर्फ रंग नहीं:
केसरिया: त्याग और बलिदान का प्रतीक
सफेद: सत्य, शांति और पवित्रता का प्रतीक
हरा: समृद्धता का प्रतीक
अशोक चक्र: न्याय का प्रतीक
भारतीय तिरंगे का इतिहास
पहला तिरंगा, 1906
भारत के सबसे पहला तिरंगा 7 अगस्त, 1906 में पहली बार राष्ट्रीय झंडे को कोलकाता के पारसी बागान चौक पर फहराया गया। इसमें तीन रंग की पट्टियों के बीच वंदे मातरम लिखा हुआ था। इसके बीच सफेद की जगह पीले रंग की पट्टी शामिल थी। नीले की लाल पट्टी पर अर्ध चंद्र व सूरज वहीं ऊपर की हरी पट्टी पर कमल का फूल बना हुआ था।
दूसरा तिरंगा, 1907
भारत की दूसरा झंडा 1907 में मैडम भीकाजी कामा ने फहराया था। पहले झंडे से मेल खाते हुए इस झंडे में थोड़ा सा बदलाव किया गया। ऊपर की पट्टी पर कमल के फूल की जगह सात तारे, जो कि सप्तर्षि के तारामंडल के प्रतीक थे। इसे बर्लिन में आयोजित एक सभा में भारत के झंडे के तौर पर फहराया गया था।
तीसरा तिरंगा, 1917
होम रुल आंदोलन के दौरान तीसरा तिरंगा 1917 में सबके सामने आया। इसे होम एनी बेसेंट और लोकमान्य तिलक ने फहरायाथा। इसमें पांच लाल व चार हरी पट्टियां शामिल कर सातर तारे अंकित किए गए। इसके बाएं कोकने के ऊपर ब्रिटेन का आधिकारिक झंडा भी छापा गया।
चौथा तिरंगा, 1921
1921 में ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी की एक बैठक में एक युवा ने गांधी जी को यह झंडा दिया। तीन रंग से बने इस झंडे पर नीले रंग से चरखा बनाया गया था। इसके तीन रंगों सफेद रंग सबसे ऊपर, उसके नीचे हरा रंग और सबसे नीचे लाल रंग था।
पांचवां तिरंगा, 1931
1931 में भारतीय तिरंगे के सफर ने एक महत्वपूर्ण पड़ाव में कदम रखा। एक रेज्योल्यूशन पास कर तिरंगे ने आधिकारिक तौर पर भारत के ध्वज का रुप ले लिया था। इसमें सफेद पट्टी को शामिल किया गया, जिसमें गांधी जी का चरखा अंकित था।
भारतीय तिरंगा, 1950
एक लंबे सफर के बाद 26 जनवरी 1950 को भारत के तिरंगे ने राष्ट्रध्वज का रुप लिया। इस ध्वज की कल्पना पिंगली वेंकैयानंद ने की थी। पहली बार इसे भारतीय संविधान सभा की बैठक में 22 जुलाई को अपनाया गया था।
खादी से तैयार तिरंगा बना भारतीय पहचान
1. झंडा सिर्फ खादी के कपड़े से तैयार होता है.
2. सबसे बड़ा 48 किलो का झंडा फरीदाबाद शहर में फहराया गया जिसका आकार 96x64 फीट था। ये 75 मीटर की ऊंचाई पर फहराया गया।
3. आसमान में तिरंगा 1984 में पहली बार अपोलो-15 से अंतरिक्ष में जाने वाले भारतीय राकेश शर्मा ने अपने स्पेस सूट पर तिरंगे को एक पदक के तौर पर लगाया। इसके बाद राकेश दो अन्य मिशन पर भी अंतरिक्ष में गए।
4. 29 मई 1953 में पहली बार माउंट एवरेस्ट पर तेनजिंग नोर्गे ने तिरंगा फहराया था।