Health: बैली फैट को घटाएगा यह 1 योगासन, डिप्रेशन को भी रखेगा दूर

punjabkesari.in Sunday, May 26, 2019 - 01:04 PM (IST)

वीरभद्रासन शरीर को शक्ति और दृढ़ता देने वाला योग है। इस आसन से न सिर्फ आपकी बीमारियां दूर होती है बल्कि इससे आप में आत्मविश्वास भी बढ़ता है। इसके अलावा इससे शरीर में रक्त संचार भी अच्छे से होता है। वीरभद्रासन का नाम भगवान शिव के एक जन्म अवतार वीरभद्र से पड़ा। वीरभद्रासन को करने की तीन विधियां होती लेकिन आप चाहें तो इसमें से किसी भी एक विधि को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बना सकते हैं। शुरुआत में इस आसन को करने में थोड़ी दिक्‍कत आती है क्‍योंकि पैरों को बैलेंस करना थोड़ा मुश्‍किल होता है लेकिन नियमित अभ्‍यास से आप इसे आराम से कर सकते हैं।

 

वीरभद्रासन की पहली विधि

इस मुद्रा को करने के लिए सबसे पहले आप पैरों पर सीधे खड़े हो जाएं। ध्यान रहे कि दोनों पैरों के बीच कम से कम 3-4 फीट की दूरी हो। अब अपने बाएं पैर को सीधा करके हल्का बाएं ओर घुमाएं। इसके बाद दाएं पैर को थोड़ा आगे बढ़ाकर दोनों पैरों को थोड़ा-सा मोड़ लें। अब अपने हाथों को नमस्‍ते की मुद्रा में रखें और थोड़ी देर इस स्थिति में रहने के बाद सामान्य स्थिति में आ जाएं।

वीरभद्रासन की दूसरी विधि

वीरभद्रासन की दूसरी मुद्रा करने के लिए अपने पैरो को 3-4 फुट की दूरी पर फैला कर सीधे खड़े हो जाएं। अपने दाएं पैर को 90 डिग्री और बाएं पैर को 15 डिग्री तक मोड़े और दाहिनी एड़ी-बाया पैर के सीध में रखें। इसके बाद अपने दोनों हाथों को कंधो तक ऊपर उठाएं और हथेलियों को आसमान की तरफ खुली छोड़ दें। इस बात का ध्यान रखें कि आपका घुटना टखने से आगे न जाए। अब आप अपने सिर को घुमाएं और अपनी दाहिनी ओर देखें। आसन में स्थिर होने के बाद हाथों को योद्धा की तरह खीचें। इसे करते वक्त आपको अपने चेहरे पर तनाव नहीं आने देना है। कुछ देर इस स्थिति में रहने के बाद सामान्य मुद्रा में आ जाए।

वीरभद्रासन की तीसरी विधि

इस आसन की तीसरी मुद्रा को करने के लिए सीधे खड़े हो जाएं और सांस को अंदर की ओर खींचें। इसके बाद पैर को पीछे की तरफ मोड़ें और अपने एंकल को पकड़कर ऊपर की ओर खींचते हुए अपनी रीढ़ की हड्डी को सीधा करें। अब सांस को बाहर की ओर छोड़ें और नार्मल पोजिशन में आ जाएं। दूसरे पैर से भी इस प्रक्रिया को दोहराएं। शुरूआत में उस आसन को 2-3 बार दोहराए और धीरे-धीरे इसकी अवधि को बढ़ाएं।

वीरभद्रासन करने के फायदे

बैली फैट से छुटकारा

इस आसन से पेट के दोनों तरफ जमा फैट भी कम होता है। जिन लोगों को बेली फैट की शिकायत है उनके लिए यह आसन काफी मददगार है। साथ ही इससे शरीर की एक्स्ट्रा चर्बी भी कम होती है।

शरीर के हर दर्द से छुटकारा

इस आसन को करने से कमर, हाथों, कंधों और घुटनों में मजबूती आती हैं, जिससे घुटनों और कमर दर्द की समस्या दूर हो जाती है।

संतुलन बनाने में मददगार

वीरभद्रासन करने से शरीर के कई हिस्सों में खिचाव पड़ता है, जोकि संतुलन बनाए रखने में मदद करता है। इससे आप में आत्मविश्वास और सहनशीलता बढ़ती है। इसके अलावा इससे चिड़चिड़ापन और ज्यादा गुस्सा आने की प्रॉब्लम भी दूर हो जाती है।

फेफड़ों के लिए फायदेमंद

इस आसन को करने से छाती में काफी फैलाव होता है, जोकि फेफड़ों के लिए बहुत फायदेमंद होता है। इसके अलावा यह आसन अच्छे श्वसन को उत्साहित करती है, जिससे लंग्स हैल्दी बनते हैं और ब्रीदिंग प्रॉब्लम दूर होती है।

मानसिक तनाव

नियमित रूप से वीरभद्रासन करने से आप मानसिक तनाव से भी छुटकारा पा सकते हैं। इसके अलावा इस आसन को रोज एक निश्चित समय पर करने से शरीर चुस्त और फुर्तीला रहता है।

ब्लड प्रैशर को करे कंट्रोल

यह आसन शरीर के खून के बहाव को संतुलित बनाए रखता है, जिससे हाई-लो ब्लड प्रैशर कंट्रोल में रहते हैं।

स्ट्रांग मसल्स

वीरभद्रासन शरीर के वसा को तोड़कर वजन कम करने में मदद करता है। इसके अलावा इससे मसल्स भी स्ट्रांग होती है।

मजबूत पाचन क्रिया

इस आसन से आपकी पाचन शक्ति मजबूत रहती है। इसके साथ ही इससे पेट की कई सारी बीमारियां जैसे- कब्ज आदि से छुटकारा मिलता है। 

हेल्दी हार्ट

यह आसन ह्रदय को मजबूत बनाता है और ह्रदय सम्बंधी बीमारियों को दूर रखता है।

किडनी व लिवर डिटॉक्स

नियमित रूप से इस आसन को करने से किडनी और लिवर डिटॉक्सीफाई होते हैं, जिससे आपकी कई समस्याएं दूर हो जाती है।

साइटिका की समस्या

इस आसन को करने से कार्पल टनल सिंड्रोम, फ्लैट पैर, ऑस्टियोपोरोसिस और साइटिका की समस्या भी दूर होती है।



इन बातों का रखें ध्यान

-वह लोग जिन्‍हें हाई ब्‍लड प्रैशर, हार्ट प्रॉब्लम, कंधे और गर्दन में दर्द आदि है उन्‍हें इसे बड़ी ही सावधानी या किसी एक्सपर्ट की निगरानी में करना चाहिए।
-अगर आप रीढ की हड्डी के दर्द से पीड़ित है या आपको कोई पुरानी बीमारी है तो इसे करने से पहले एक्सपर्ट से सलाह लें।
-गर्भवती महिलाओं को तीसरी महीने, दस्त से पीड़ित लोग, घुटनों में दर्द से गठिया की समस्या होने पर भी यह आसन नहीं करना चाहिए।

Content Writer

Anjali Rajput