बीमारियों का काल है सूर्य नमस्कार, सही स्टेप से मिलेंगे बेमिसाल फायदे

punjabkesari.in Thursday, Jun 20, 2019 - 11:16 AM (IST)

सुबह की शुरूआत सूर्य नमस्कार से करने पर तन और मन दोनों ही स्वस्थ रहते हैं। प्राचीन सालों से किए जा रहा सूर्य नमस्कार का अर्थ है सूरज को अर्पन या नमस्कार करना।  इस आसन को करते समय सूरज की किरणें सीधा शरीर पर पड़ती है, जिससे ना सिर्फ आपको विटामिन डी मिलता है बल्कि इससे आप कई बीमारियों से भी बचे रहते हैं। इतना ही नहीं, सिर्फ 5-10 मिनट सूर्य नमस्कार करने के बाद आपको कोई आसन करने की भी जरूरत नहीं पड़ेगी क्योंकि यह अकेला आसन ही शरीर की हर जरूरत को पूरा कर देता है। कल यानि 21 जून को हर साल इंटरनेशनल योगा डे मनाया जाता है और इस मौके पर हम आपको सूर्य नमस्कार करने के कुछ ऐसे फायदे बताएंगे, जिसे बाद आप भी इसे अपनी रूटीन का हिस्सा बना लेंगे।

 

कितनी देर करें सूर्य नमस्कार?

यह आसन शरीर के लगभग सभी अंगों पर अच्छा प्रभाव डालता है इसलिए यह सभी योगासनों में से सर्वश्रेष्ठ है। अगर सूर्य नमस्कार रोजाना 5-12 बार तक कर लिया जाए तो आपको कोई और आसन करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। इस आसन को सुबह सूर्य की किरणों के सामने स्वच्छ व खुली हवादार जगह पर करना होता है।

सूर्य नमस्कार आसन व विधि

सूर्य नमस्कार में कुल 12 आसन होते हैं। इसमें 6 विधि के बाद फिर उन्हीं 6 विधि को उल्टे क्रम में दोहराया जाता है। चलिए जानते हैं कैसे करें सूर्य नमस्कार...

प्रणामासन (Pranamasana)

इस आसन को करने के लिए सीधे खड़े होकर दोनों हाथों को कंधे के सामान उठा लें। फिर दोनों हथेलियों को ऊपर की तरफ उठाकर नमस्कार की मुद्रा में आ जाए। इसके बाद नीचे की तरफ गोल घूमाते हुए नमस्कार की मुद्रा में खड़े हो जाएं।
 
फायदेः इस आसन को करने से ना सिर्फ शरीर में संतुलन बना रहता है बल्कि यह एकाग्रता व मानसिक शांति भी देता है।

हस्तउत्तानासन (Hastottanasana)

इसके लिए गहरी सांस लेते हुए दोनों हाथों को ऊपर की तरफ उठाएं। इसके बाद हाथों को कमर से पीछे की ओर झुकाते हुए बाजू व गर्दन को भी पीछे की ओर झुकाएं।

फायदेः इससे पूरे शरीर में ऑक्सीजन का प्रवाह सही मात्रा में होता है, जिससे फेफड़े स्वस्थ रहते हैं। साथ ही यह दिमाग के लिए भी अच्छा है और इससे कंधे व पीठ दर्द से भी छुटकारा मिलता है।

हस्तपादासन (Hasta Padasana)

इस आसन को करने के लिए सीधा खड़ा होकर आगे की तरफ झुकें और धीरे-धीरे सांस को बाहर निकालें। इसके बाद हाथों को गर्दन व कानों के साथ लगाते हुए नीचे लेकर जाएं और हाथों से फर्श को छुएं। कुछ देर इस स्थिति में रुकें और फिर घुटनों को सीधा कर लें।

फायदेः अगर आपको कमर, रीढ़ की हड्डी में दर्द रहता है तो यह आपके लिए बेस्ट है क्योंकि इससे मांसपेशियों को आराम मिलता है। साथ ही इससे मोटापा, डार्क सर्कल्स और चेहरे के दाग-धब्बे भी दूर होंगे।

अश्वसंचालासन (Ashwa Sanchalanasana)

इस स्थिति में हथेलियों को जमीन पर रखकर सांस लेते हुए दाएं पैर को पीछे की ओर ले जाएं। अब गर्दन को ऊपर की ओर उठाएं। अब इस स्थिति में कुछ समय तक रुकने के बाद सामान्य हो जाएं।

फायदेः इस आसन को करने से शरीर में ब्लो फ्लो तेज होगा है और शरीर में लचीलापन आता है। इससे ना सिर्फ हेल्थ प्रॉब्लम्स बल्कि ब्यूटी से जुड़ी समस्याएं भी दूर रहती हैं।

अधोमुखश्वानासन (Adho Mukha Svanasana)

इसमें सांस को धीरे-धीरे छोड़ते हुए बाएं पैर को पीछे की ओर ले जाएं। फिर शरीर के आधे हिस्से को नीचे की ओर झुका लें। मगर ध्यान रहे कि इस स्थिति में दोनों पैरों की एड़ियां साथ में मिली हुई हों। अब ठोड़ी को गले में लगाने की कोशिश करें।

फायदेः इस आसन को करने से सांस संबंधी परेशानियां जैसे साइनम व अस्थमा की समस्या दूर रहती है। इसके अलावा इससे शरीर को एनर्जी भी मिलती है।

अष्टांगनमस्कारासन (Ashtanga Namaskara)

धीरे-धीरे सांस लेते हुए शरीर को सीधा करके लेट जाएं। अब घुटने, छाती और ठोड़ी पृथ्वी पर लगाकर कूल्हों को थोड़ा ऊपर उठाए। अब धीरे-धीरे सांस छोड़ें। कुछ देर इस स्थिति में रहने के बाद सामान्य हो जाए।

फायदेः यब आसन पीठ, कंधे और गर्दन को मजबूती देता है। साथ ही यह फेफड़ों, किडनी व पाचन क्रिया के कार्य को भी सही रखता है।

भुजंगासन (Bhujangasana)

इस स्थिति में धीरे-धीरे सांस लेते हुए छाती को आगे की ओर खींचे। फिर हथेलियों को सीधा करके जमीन पर रखें। अब गर्दन को धीरे-धीरे पीछे की ओर ले जाएं। फिर घुटने जमीन को स्पर्श करें तथा पैरों के पंजे खड़े रहें।

फायदेः बैली फैट, कमर दर्द, स्लिप डिस्क और डायबिटीज से बचने के लिए यह आसन बेस्ट ऑप्शन है। साथ ही इससे पीरियड्स में होने वाले दर्द से भी छुटकारा मिलता है।

अधोमुखश्वानासन (Adho Mukha Svanasana)

यह स्थिति पांचवीं स्थिति के समान है और आपको ऊपर किए गए आसनों को उल्टे क्रम में दोहराना है। इस स्थिति में सांस को धीरे-धीरे छोड़ते हुए बाए पैर को पीछे की ओर ले जाएं। ध्यान रहें इस स्थिति में दोनों पैरों की एड़ियां एक साथ मिली हुई हों। अब गर्दन को नीचे झुकाकर ठोड़ी को गले से लगाने की कोशिश करें।

अश्वसंचालासन (Ashwa Sanchalanasana)

यह स्थिति चौथी स्थिति के समान है। इस स्थिति में हथेलियों को जमीन पर रखें। अब सांस लेते हुए दाए पैर को पीछे की ओर ले जाए और फिर गर्दन को ऊपर उठाएं। अब इस स्थिति में कुछ समय तक रुकें।

हस्तपादासन (Hasta Padasana)

इस स्थिति में आगे की ओर झुकतें हुए सांस को धीरे-धीरे छोड़ें। हाथों को गर्दन के साथ, कानों से लगाते हुए नीचे लेकर जाएं और हाथों से फर्श को स्पर्श करें। अब कुछ देर इसी स्थिति में रुकें और फिर घुटनों को एकदम सीधा करके सामान्य हो जाए।

हस्तउत्तानासन (Hastottanasana)

इसमें धीरे-धीरे सांस भरते हुए दोनों हाथों को कानों से सटाते हुए ऊपर की ओर तानें। फिर बाजू और गर्दन को पीछे की ओर झुकाएं।

प्रणामासन (Pranamasana)

सांस को धीरे-धीरे छोड़ते हुए शरीर को सीधा कर लें और फिर हाथों को नीचे की ओर सीधा करें। कुछ देर इस स्थिति में रहने के बाद सामान्य हो जाए।

अन्य फायदे

-इससे नर्वस सिस्टम शांत होता है। इसके अलावा सूर्य नमस्कार से एंडोक्राइन ग्लैंड्स खासकर थॉयरायड ग्लैंड की क्रिया नॉर्मल होती है। इससे आपके मानसिक तनाव की समस्या दूर हो जाती है।
-इससे ब्लड सर्कुलेशन व मेटाबॉलिज्म तेज होता है, जिससे वेट लूज होता है और ब्लड प्रेशर भी कंट्रोल में रहता है।
-रोजाना 10-15 मिनट सूर्यनमस्कार करने से शरीर में ऑक्सीजन का स्तर बढ़ता है और कार्बन-डाईऑक्साइड बाहर निकलती है, जिससे शरीर में एनर्जी आती है।
-रोजाना इस आसन को करने से झड़ते बाल, असमय सफेद होने और डैंड्रफ की समस्या भी दूर होती है।
-इससे शरीर को प्रयाप्त मात्रा में विटामिन डी मिलता हैं, जोकि त्वचा को निखरी और बेदाग बनाता हैं।
-अनियमित मासिक चक्र की समस्या होने पर महिलाओं को सूर्य नमस्कार के आसन करने चाहिए। इससे आपके मासिक-धर्म रेगुलर हो जाते है।
-इस योग के दौरान पेट के आर्गन्स पर दवाब पड़ता है, जिससे पाचन तंत्र ठीक रहता हैं। सुबह खाली पेट सूर्य नमस्कार करने से कब्ज, अपच या पेट में जलन की शिकायत भी दूर होती है।
-रोजाना यह आसान करने से ना सिर्फ दिमाग शांत रहता है बल्कि इससे स्मरण शक्ति भी बढ़ता है।

बरतें ये सावधानियां

-सूर्य नमस्कार को करने के बाद कुछ देर शवासन जरूर करें।
-उचित समय और धीमी गति से करें और एक स्थिति में सांस सामान्य होने के बाद ही दूसरी स्थिति शुरू करें।
-कोमल, अधिक गद्देदार मैट या बिस्तर पर यह आसन न करें क्योंकि इससे आपकी रीढ़ की हड्डी में बल पड़ सकता है।
-स्लिप डिस्क और हाई ब्लड प्रैशर के मरीजों को भी यह योग नहीं करना चाहिए।

Content Writer

Anjali Rajput