Guru Purnima: इस दिन पड़ रही है गुरु पूर्णिमा, जानिए शुभ मुहूर्त व चमत्कारी उपाय

punjabkesari.in Thursday, Jul 22, 2021 - 06:20 PM (IST)

भारतीय संस्कृति में गुरु को विशेष महत्ता दी जाती है। गुरु हमेशा अपने शिष्यों को सही राह पर चलने की प्रेरणा देते हैं। साथ ही उनका ध्यान भटकने पर उन्हें सही व गलत की पहचान करवाते हैं। वैसे तो उनकी सेवा सालभर ही करनी चाहिए। मगर हर साल आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को खासतौर पर गुरु पूर्णिमा यह पावन पर्व मनाया जाता है। इस दिन गुरुओं की पूजा करना व उनका आशीर्वाद लेने का महत्व है। इस साल यह पर्व 23 जुलाई को मनाया जाएगा। मगर कुछ राज्यों के लोग इसे 24 तारीख को मनाएंगे। चलिए आज हम आपको बताते हैं गुरु पुर्णिमा का शुभ मुहूर्त, महत्व, पूजा विधि...

गुरु पूर्णिमा का महत्व

मान्यता है कि इस शुभ दिन पर महर्षि वेद व्यास जी का जन्म हुआ था। उन्हीं के नाम से इस दिन को व्यास पूजा भी कहते हैं। व्यास जी ने मानव जाति को चारों वेदों का ज्ञान दिया था। साथ ही वे सभी पुराणों के रचयिता थे। इसके साथ इसी दिन आदियोगी यानि भगवान शिव ने अपने पहले 7 ऋषियों को योग का विज्ञान दिया था। इस वजह से आदियोगी पहले गुरु बने थे। इस शुभ दिन पर गुरु जी की पूजा करने से जीवन में खुशहाली आती है।

गुरु पूर्णिमा शुभ मुहूर्त

पूर्णिमा तिथि आरंभ, 23 जुलाई 2021, सुबह 10:43 मिनट से
पूर्णिमा तिथि समाप्त, 24 जुलाई 2021, सुबह 08:06 मिनट तक रहेगी।

पूजन विधि

. सुबह उठकर नहाएं और साफ कपड़े पहनें।
. अब अपने गुरु जी के चरणों को धोकर उनकी पूजा करें।
. उन्हें फूल-माला, रोली, श्रीफल, जनेऊ, दक्षिणा, पंचवस्त्र अर्पित करें।
. उन्हें मिठाई का भोग लगाकर आशीर्वाद लें।

इस शुभ दिन पर करें ये उपाय

 

घर-क्लेश होगा दूर

दांपत्य जीवन से परेशान लोग इस दिन एक साथ चंद्रमा का दर्शन करना चाहिए। साथ ही चंद्रमा को गाय के दूध का अर्घ्य दे। इससे दांपत्य जीवन की समस्याएं दूर होकर खुशहाली आएगी।

वैदिक मंत्र जाप

इस दिन वैदिक मंत्र जाप और विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करने से गुरु की विशेष कृपा मिलती है।

खीर दान करें

गुरु पूर्णिमा की रात खीर बनाकर दान करें। इससे मानसिक शांति मिलेगी। साथ ही कुंडली में चंद्र ग्रह का प्रभाव भी दूर होगा।

कुंडली में चंद्र दोष होगा दूर

यदि आपकी कुंडली में चंद्र दोष है, तो आपको गुरु पूर्णिमा के दिन चंद्रमा का दर्शन करने के बाद दूध, गंगाजल और अक्षत मिलाकर चंद्रमा को अर्घ्य देना चाहिए। इससे कुंडली के भीतर चंद्र दोष समाप्त हो जाता है। इसके बाद ‘ॐ सों सोमाय नमः’ मंत्र का जाप करना चाहिए।

 

Content Writer

neetu