गोवर्धन पूजा 2025: जानिए सही तारीख, शुभ मुहूर्त और महत्व
punjabkesari.in Sunday, Oct 05, 2025 - 04:37 PM (IST)

नारी डेस्क : गोवर्धन पूजा दिवाली के अगले दिन मनाया जाने वाला प्रमुख हिंदू त्योहार है, जिसे अन्नकूट पर्व के नाम से भी जाना जाता है। यह पर्व भगवान कृष्ण द्वारा इंद्रदेव के घमंड को तोड़े जाने और ब्रजवासियों की रक्षा करने की याद में मनाया जाता है। इस दिन श्रद्धालु भगवान गोवर्धन की पूजा करते हैं, अन्नकूट का भोग लगाते हैं और गायों की आराधना करते हैं।
गोवर्धन पूजा 2025 कब है?
वर्ष 2025 में गोवर्धन पूजा बुधवार, 22 अक्टूबर को मनाई जाएगी।
यह कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा तिथि के अनुसार है।
तिथि प्रारंभ: 21 अक्टूबर 2025, शाम 5:54 बजे
तिथि समाप्त: 22 अक्टूबर 2025, रात 8:16 बजे
शुभ मुहूर्त
प्रातःकाल पूजा मुहूर्त: सुबह 6:26 बजे से 8:42 बजे तक
सायंकाल पूजा मुहूर्त: दोपहर 3:29 बजे से शाम 5:44 बजे तक
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गोवर्धन पूजा का कारण और कथा
कथाओं के अनुसार, जब इंद्रदेव के अहंकार के कारण गोकुल में लगातार मूसलाधार बारिश होने लगी, तब भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी कनिष्ठा उंगली पर उठाकर ब्रजवासियों को उस प्रकोप से बचाया। इस घटना के बाद इंद्रदेव का अहंकार टूट गया और तब से इस पर्व को गोवर्धन पूजा के रूप में मनाया जाता है।
गोवर्धन पूजा का महत्व
गोवर्धन पूजा न केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि सामाजिक और पर्यावरणीय दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व है। यह त्योहार प्रकृति, अन्न और गौ माता के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का प्रतीक है। इस दिन घरों में गोबर से गोवर्धन पर्वत का प्रतीक बनाकर उसकी पूजा की जाती है। साथ ही अन्नकूट के रूप में विभिन्न प्रकार के शाकाहारी व्यंजनों का भोग भगवान श्रीकृष्ण को अर्पित किया जाता है, जिससे समृद्धि और आभार का संदेश प्रसारित होता है।
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धार्मिक और सामाजिक संदेश
अहंकार पर विजय: यह त्योहार सिखाता है कि ईश्वर के समक्ष किसी का अहंकार नहीं टिक सकता।
सामुदायिक एकता: इस दिन लोग मिलकर पूजा करते हैं, भोग लगाते हैं और प्रसाद ग्रहण करते हैं, जिससे सामाजिक समरसता बढ़ती है।
गौ-पूजा का महत्व: इस दिन गौमाता और बैलों की पूजा की जाती है, जो कृषि और आजीविका के प्रतीक हैं।
गोवर्धन पूजा सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं बल्कि प्रकृति, अन्न और पशु जीवन के प्रति सम्मान का प्रतीक है। यह हमें सिखाती है कि अहंकार नहीं, बल्कि विनम्रता और कृतज्ञता ही सच्ची भक्ति का मार्ग है।