प्लास्टिक-रबड़ से होगा बच्चे को नुकसान, इस्तेमाल करें नेचुरल टिथर
punjabkesari.in Monday, Dec 24, 2018 - 06:50 PM (IST)
नवजात बच्चे को स्पैशल केयर की जरूरत रहती है क्योंकि वह अपने साथ होने वाली असुविधा के बारे में बोल कर नहीं बता पाता। 1 माह से लेकर 1 साल तक के पीरियड में बच्चे कई छोटी-मोटी प्रॉब्लम मेें से गुजरते हैं जिसमें एक दांत निकालने का समय भी है।
यह समय बच्चे के लिए काफी कठिन होता है। 4 से 12 माह की आयु में बच्चे के दांत निकलने शुरू हो जाते हैं। मसूढ़ों में सूजन व दर्द के चलते बच्चा काफी चिढ़चिढ़ा महसूस करता है। इसी इरिटेशन में कुछ बच्चे सिर के भारीपन, मतली-दस्त जैसी प्रॉब्लम का सामना करते हैं। वहीं कुछ बार-बार लार निकालने लगते हैं।
दांत निकलने से मसूढ़ों में अलग सी खुजली व इरिटेशन होती है जिससे बच्चा चीजों को चबाना शुरू कर देता है। तभी बच्चे को टिथर चबाने के लिए दिया जाता हैं यह टिथर प्लास्टिक या रबड़ के बने होते हैं जो कि बच्चे के सेहत के लिए बढ़िया नहीं माने जाते।
क्यों इस्तेमाल करना चाहिए नेचुरल टिथर?
बच्चे को प्लास्टिक व रबड़ के टिथर की बजाए लकड़ी का टिथर देना चाहिए क्योंकि प्लास्टिक व रबड़ से बने टिथर पर कई तरह के कैमिकल लगे होते हैं जो पेट में जाकर इंफेक्शन और डायरिया का कारण बनते हैं। आप टिथर के रुप में वूडन के साथ फ्रोजन स्टिक्स का इस्तेमाल भी कर सकते हैं।