कौन थी इंडियन आर्मी की पहली महिला जवान, जिन्होंने ट्रेनिंग में पुरुषों को भी छोड़ा था पीछा

punjabkesari.in Friday, Jan 15, 2021 - 02:30 PM (IST)

आर्मी जंग में पुरुषों की बहादुरी के किस्से तो आपने बहुत बार सुने होंगे लेकिन आज हम आपको भारत की पहली महिला जवान 'शांति तिग्गा' के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्होंने पुरुषों को भी पीछे छोड़ दिया। यही नहीं, भारतीय सेना में महिलाओं की भर्ती ऑफिसर रैंक पर होती थी लेकिन शांति ने इस प्रथा को भी तोड़ा। हालांकि देश की इस पहली जवान की जिंदगी आसान नहीं थी। चलिए आपको आर्मी दिवस (Army Day) के इस खास मौके पर बताते हैं पहली महिला जवान की हौंसले भरी कहानी....

पति का मौत के बाद भारतीय सेना में हुई भर्ती

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले की रहने वाली शांति तिग्गा के माता-पिता बहुत गरीब थे इसलिए उन्होंने बहुत कम उम्र में ही उनकी शादी कर दी। उनकी जिंदगी अच्छी चल रही थी लेकिन फिर उनके पति की मौत हो गई और वह बहुत कम उम्र में ही विधवा हो गई। उनका पति रेलवे में काम करता था, जो उनकी मौत के बाद शांति को मिल गई। दो बच्चों की परवरिश के लिए उन्होंने 2005 में भारतीय रेलवे में नौकरी शुरू की और अगले 5 सालों तक लिए बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के चलसा स्टेशन पर काम करती रही।

आर्मी ट्रेनिंग में पुरुषों को भी छोड़ा पीछा

2011 में उन्हें 969 रेलवे इंजीनियर रेजिमेंट ऑफ टेरिटोरियल आर्मी (TA) के एग्जाम के बारे में पता चला। क्योंकि शांति की पहचान आर्मी के कुछ लोगों से थी इसलिए उन्होंने उनकी मदद से परीक्षा देने का निर्णय किया। उन्होंने दिन रात मेहनत की और ट्रेनिंग के दौरान पुरुषों को भी पीछे छोड़ दिया। उन्होंने 1.5 कि.मी. की दौड़ पूरी करने में पुरुषों की तुलना में 5 सेकंड कम समय लिया और 12 सेकंड में 50m रन पूरा कर ली, जिसे देख बाकी अधिकारी बहुत प्रभावित हुए।

बेहतरीन निशाने के लिए मिली मार्क्समैन की उपाधि

यही नहीं, वह बंदूकों को बखूबी संभालते हुए ऐसे फायरिंग करती थी कि उन्हें Marksman की उपाधि दी गई उन्हें बेहतरीन निशानेबाज के सर्वोच्च पद व प्रशिक्षु (Trainee in the Recruitment) के खिताब से भी सम्मानित किया गया। इसके अलावा शांति के प्रदर्शन से खुश होकर उस समय की तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने भी उन्हें सम्मानित किया था।

अपराधियों ने किया अगवा

खबरों के मुताबिक, 9 मई 2013 को कुछ अज्ञात अपराधियों ने उन्हें अगवा कर लिया। अगले दिन उन्हें एक रेलवे ट्रैक के पास एक पोस्ट से बंधा पाया गया। पुलिस के उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाया और जांच शुरू होने के साथ ही उसे अस्पताल का केबिन सुरक्षा मुहैया करवाई गई।

बहुत दर्दनाक था शांति का अंत

एक सप्ताह बाद तिग्गा को 13 मई, 2013 को एक रेलवे अस्पताल में लटका पाया गया। उनका बेटा जो उस समय केबिन में था उसने अलार्म बजाया लेकिन जब वह काफी देर तक वह बाहर नहीं आई तो दरवाजा तोड़ दिया। पुलिस अधिकारियों ने इस मामले को आत्महत्या करार देकर केस बंद कर दिया।

Content Writer

Anjali Rajput