देश की पहली महिला लेफ्टिनेंट डॉ.पुनीता अरोड़ा का सफर, कुल मिलाकर जीते 15 मेडल

punjabkesari.in Sunday, Mar 08, 2020 - 01:44 PM (IST)

देश के लिए शहीद होने वाले पुरुष सेना अधिकारियों के बारे में तो हम सुनते ही रहते हैं। मगर मातृ भूमि की रक्षा के लिए महिलाएं भी किसी से कम नहीं हैं। देश की सेवा में जितना योगदान पुरुषों का है उतना ही महिलाओं का भी है। इंडियन आर्मी में जहां पुरुष प्रधान हैं, वहीं औरतें भी देश के लिए जान देने को हर वक्त तैयार रहती हैं। इन्हीं में से देश के इतिहास में एक नाम आता है, फर्स्ट वुमेन ऑफिसर पुनीता अरोड़ा जी का, जो कि एक गाइनी हैं। पुनीता अरोड़ा जी को  नेवी की पहली महिला वाइस एडमिरल बनने का सम्मान प्राप्त है। आइए नजर डालते हैं उनके इस गौरवमयी जीवन पर...

केवल 12 साल की थीं, जब देखा विभाजन

जब भारत और पाकिस्तान का विभाजन हुआ तो पुनीता केवल 12 साल की थी। विभाजन के बाद पुनीता और उनका परिवार पाकिस्तान से भारत आ गया था। यहां आने के बाद वे सब लोग पंजाब के सहारनपुर इलाके में रहने लगे। पुनीता जी ने सहारनपुर के सोफिया स्कूल में 8वीं तक पढ़ाई पूरी की। उनके परिवार की आर्थिक हालत कुछ खास नहीं थे। सब लोग अपना कमाते और अपना खाते थे। पुनीता बताती हैं कि आज वो जो कुछ भी हैं, उनकी और उनके परिवार की सच्ची मेहनत का नतीजा हैं। घर के हालात बुरे होते हुए भी घरवालों ने उनकी पढ़ाई-लिखाई में किसी चीज की कमी नहीं होने दी।

डॉक्टर बनने का था सपना!

पुनीता बताती हैं कि वह डॉक्टर बननेे का सपना लेकर सेना में भर्ती हुईं। मगर सेना में डॉक्टर भर्ती होने का सफर आसान नहीं था, क्योंकि 1960 में लड़कियों के लिए किसी भी कॉलेज में हिस्सा लेना आसान नहीं था। खासतौर पर डॉक्टरी पढ़ाई के लिए तो यह मुमकिन बिल्कुल नहीं। मगर पुनीता ने बताया कि उनके पिता उनके हर कदम के साथ रहे। पिता के साथ जब भी पुनीता कॉलेज में एडमीशन लेने जाती तो उन्हें हर जगह से न ही सुनने को मिलती। मगर एक दिन अचानक कॉलेज से खबर मिली कि कुल 3 लड़कियों को एडमीशन दी जा सकती है। उसके बाद पुनीता के लिए खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा। आखिर में उन्हें आर्म्ड फोर्सेस मेडिकल कॉलेज में एडमिशन मिल गई। उसके बाद शरु हुआ उनका डॉक्टर बनने का सफर।

किया विशिष्ट सेवा मेडल हासिल

कॉलेज स्टडी कंपलीट करने के बाद उनकी पोस्टिंग कानपुर के पास फतेहगढ़ जिले में हुई। उस दौरान भारत के हालात कुछ अच्छे नहीं थे। खासतौर पर फतेहगढ़ जैसा इलाका खास डाकूओं को इलाका माना जाता था। मगर इन सब के बावजूद पुनीता जी ने पूरे यकीन के साथ यहां रहकर लोगों की सेवा की। इस हिम्मत के लिए पुनीता जी को देश के उस वक्त के राष्ट्रपति से विशिष्ट सेवा का मेडल मिला। पुनीता की शादी सेना के एक होनहार शख्स से हुई। इनका बेटा डॉक्टर और बेटी आर्मी ऑफिसर नियुक्त हुई।

36 साल की नौकरी में मिले 15 मेडल

पुनीता अरोड़ा जी को अपने जीवन में 15 मेडल के साथ सम्मानित किया गया। इनमें से ज्यादा मेडल इन्हें महिलाओं के लिए स्पेशल गायनी-एंडोस्कोपी जैसी सुविधाओं के लिए मिला। 

Content Writer

Harpreet