जानिए आखिर क्यों रहा ऑपरेशन फतेहवीर असफल, कारण सरकार या फिर कुछ और ...

punjabkesari.in Thursday, Jun 13, 2019 - 06:44 PM (IST)

पंजाब के संगरूर जिले में बोरवेल में फंसे मासूम फतेहवीर को सुरक्षित बचाने के सभी हलों पर पानी फिर गया,5 दिन की कड़ी मेहनत के बवजूद बच्चे को बचाया नहीं जा सका। दो साल के मासूम फतेहवीर सिंह की तड़प-तड़प कर मौत के एक नहीं बल्कि कई कारण हैं। आइए जानते हैं आखिर किन कारणों से फतेवीर को जिंदा नहीं बचाया जा सका...

रेत के कारण हुआ फतेह मौत का शिकार

दो साल के मासूम फतेहवीर सिंह की मौत तड़प-तड़प कर हुई है। पोस्टमार्टम की रिपोर्ट के मुताबिक जब फतेहवीर को अस्पताल लाया गया तो उसकी उसकी पल्स नहीं चल रही थी और न ही वह सांस ले रहा था। जब फतेहवीर बोर में गिरा तो उसके साथ रेत की बोरी भी गिर गई थी, इस बात का खुलासा फतेहवीर के पोस्टमार्टम से हुआ है। जिसमें यह बात खुलकर आई है कि फतेह के मुंह में से रेत के कण मिलें हैं। जिसकी वजह से फतेह खुलकर सांस नहीं ले पाया और उसकी मौत हो गई।

पर्याप्त ऑक्सीजन का न मिलना

सरकार ने बोरवेल में ऑक्सीजन की पाइप सबसे उपलब्ध करवा दी थी, लेकिन मुंह के ऊपर रेत होने के कारण उसे सांस लेने में दिक्कत आ रही थी। जिस वजह से वह जल्द ही घुटन महसूस करने लग गया था। सूत्रों के मुताबिक फतेह 1 से 2 दिन में ही अपनी जान गवा चुका था। जिस वजह से उसका शरीर काफी हद तक गल-सड़ चुका था।

तापमान का अधिक होना

इतनी गर्मी में जहां लोग धरती के उपर हालो-बेहाल हुए पड़े हैं, वहीं इतनी गहराई में उस नन्हीं सी जान का कितना बुरा हाल हुआ होगा। तापमान अधिक होने की वजह से और साथ ही खाने-पीने को कुछ न मिलने की वजह से बच्चे को डिहाइड्रेशन हो गई। 

सरकार पर उठे सवाल

ऑपरेशन फतेहवीर को लेकर पहले दिन से ही सरकार पर सवाल उठाए जा रहे थे। दर्द से पीड़ित घरवाले और गांव के लोग सभी को लग रहा था कि शायद सरकार जान बूझ कर फतेह को बचा नहीं रही। हालांकि छह जून को वह दिन, जिस दिन फतेहवीर गिरा, उस दिन एनडीआरएफ की टीम ने बच्चे के हाथों में रस्सी डालकर खींचने की कोशिश की, लेकिन टीम इस काम में नाकामयाब रही। प्रशासन चाहता तो अधिक से अधिक मशीने मंगवाकर, बेहतरीन तरीके से काम करवा सकता था। 

गांव को नौजवान ने दिखाई हिम्मत

जब प्रशासन अपनी  हजार कोशिशों के बाद हार गया तो 11 जून को सुबह मौके पर मौजूद गुरिंदर सिंह ने फतेह के शव को बाहर निकाला। हालांकि इस शख्स ने पहले ही दिन सरकार को अपीन की थी कि उसे फतेह को बाहर निकालने दिया जाए। लेकिन सरकार इस काम का तगमा शायद अपने सिर पर लेना चाहती थी। पूरे ऑपरेशन में सरकार की अनुभवहीनता साफ तौर पर दिखाई दी गई। अगर सरकार गुरिंदर सिंह की बात पहले दिन ही सुन लेती तो शायद फतेह आज हम सब के बीच में होता।
 

Content Writer

Anjali Rajput